घुमरी परैया

Continue Readingघुमरी परैया

दादी की आंखों में एक बड़ा-सा स्कूल, उसकी खिड़कियां, दरवाजे, स्कूल की क्यारी, मैदान में प्रार्थना करने के लिए पंक्तिबद्ध खड़े बच्चे, लाल फ्राक पहने धुमरी परैया खेलती ढेर सारी लड़कियां घ्ाूमने लगी थीं। और फिर अचानक उन्हीं लड़कियों में एक छोटी पारो भी शामिल हो जाती है। लाल फ्राक पहने, लाल रिबन बांधे। दूर से मां जाती हुई दिखती है, पारो को बुलाती हुई।

रतजगे की रात दीवाली

Continue Readingरतजगे की रात दीवाली

व्रत-पर्व त्योहारों की बात करना भारतीय लोकमन की, लोक जीवन की बात करना है। भारतवर्ष ऊपर से भले ही गरीब दिखे पर भीतर से इसका मन बहुत सम्र्फेन है। गरीब से गरीब आदमी भी खुशी मनाना चाहता है, इसलिए कि इस खुशी की हिलोर समूची जिन्दगी को छुए। भारत में…

 प्रकाश के संकल्प कापर्व दीपावली

Continue Reading प्रकाश के संकल्प कापर्व दीपावली

दीपावली का आलोक पर्व भीतर बाहर सर्वत्र प्रकाश भरने के लिए आता है| यह याद दिलाता है कि असत्य का हर अंधेरा सत्य के छोटे-छोटे दीपकों के प्रकाश से भी छंट सकता है| आवश्यकता है सत्य के प्रकाश के संकल्प की, प्रयास के पहल की|

End of content

No more pages to load