मेरी बुआ विदुषी गिरिजा देवी

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गिरिजा देवी को भले ही ठुमरी साम्राज्ञी और ठुमरी की रानी मात्र कहा गया, लेकिन वे छंद-प्रबंध, ध्रुवपद धमार, ख्याल, तराना, ठुमरी, दादरा टप्पा, कजरी, चैती, होली, झूला और भजन आदि जैसी दर्जनों गान विधाओं की कंठसिद्ध गायिका थीं| डॉक्टरों के मना करने पर भी वे गाती रहीं... लोगों को हंसाती रहीं... रूलाती लुभाती और मनाती रहीं... और फिर गहरी नींद में सो गईं...फिर कभी न खुलने वाली नींद में...

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