काश..! लोकतंत्र के लिए काँग्रेस मजबूत हो पाती?
राहुल गांधी 7 सितंबर से कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं। यात्रा 150 दिनों में 3750 किमी दूरी तय करेगी और जम्मू होकर श्रीनगर में खत्म होगी। यह सब काफी पहले होना था। लेकिन ठीक है देर आयद, दुरुस्त आयद। काँग्रेस का यह असल संक्रमण काल है। उसे अपने पराए और अवसरवादियों को पहचान खुद ही अलग करना होगा। बरसों से पदों पर बैठे झुर्रीदार क्षत्रपों, लेटर बम बाजों, विज्ञप्तिवरों के अलावा चरण वन्दन की राजनीति कर ढ़िठाई दिखाने वाले फुस्सी बमों को खुद ही फोड़ना होगा। ज्यादा से ज्यादा युवाओं तथा नए लोगों को जोड़ना होगा वरना बिखरने का यही सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा चाहे यात्रा नहीं निरंतर महायात्राएं कर ले। ठीकरा भी उसी पर होगा जो मुखिया रहेगा। मजबूत लोकतंत्र के लिए दमदार विपक्ष जरूरी है। कितना अच्छा होता कि काँग्रेस राजनीति के लिए नहीं लोकतंत्र के लिए खुद को मजबूत कर पाती!