राजस्थान कांग्रेस का बवंडर अस्वाभाविक नहीं
अशोक गहलोत प्रकरण इस बात की फिर से पुष्टि करता है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका वाड्रा का दिन-रात गुणगान करने वाले लोग भी तभी तक साथ हैं जब तक उनका राजनीतिक लक्ष्य इनके माध्यम से सधता है। जैसे ही उन्हें अपनी राजनीति जोखिम भरी लगेगी उनकी निष्ठा मिनट में बदल जाएगी। सोनिया गांधी एवं परिवार को समझ लेना होगा कि अगर अशोक गहलोत ऐसा कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है। इस घटना को अगर परिवार चेतावनी के रूप में ले तो कांग्रेस के अंदर सुधार की थोड़ी गुंजाइश बन सकती है, पर इसकी संभावना न के बराबर है।