डॉक्टर भागवत के पूरे भाषण की थीम यही है कि आपके मतभेद होंगे लेकिन देश के द हित का ध्यान रखेंगे तो यह अपने आप कम हो जाएंगे और इसकी कोशिश हर भारतीय को करते रहनी चाहिए। इसमें सबसे नकारात्मक भूमिका किसी व्यक्ति या समुदाय में प्रभावी संगठनों या सरकारों को लेकर भय के मनोविज्ञान का है। अगर किसी समाज के अंदर अपने देश की व्यवस्था, यहां के बड़े संगठनों , सरकारों या किसी समुदाय को लेकर भय और गुस्सा पैदा कर दिया गया तो उस समूह में राष्ट्रवाद का भाव हाशिए पर चला जाता है। देश के नेताओं, एक्टिविस्टो एवं मीडिया के कुछ पुरोधा बार-बार यही डर पैदा कर रहे हैं। ऐसे लोगों का केवल विरोध करना पर्याप्त नहीं है। इसके समानांतर व्यापक सकारात्मक परिदृश्य एवं उनको सहमत कराने योग्य तथ्यों एवं विचारों को लगातार अभिव्यक्त करते रहना आवश्यक है।