“द कश्मीर फाइल्स” पर अनर्गल प्रलाप और विकृत राजनीति 

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“द कश्मीर फाइल्स” आतंकवाद के भयावह दौर तथा सात सत्य घटनाओं पर बनी एक सच्ची फिल्म है। इन घटनाओं के सबूत उपलब्ध हैं। यह सेकुलर लोग झूठ पर आधारित कहानियां तो पढ़ लेते हैं लेकिन इस्लामी आतंकवाद के कारण हुयी  हिन्दू नरसंहार की असली कहानी इनको वल्गर लगती है  क्योंकि इन लोगों  को हिंदुओं का पलायन, उनकी हत्या, उनकी बहिन –बेटियों के सार्वजनिक बलात्कार का समर्थन करने में आनंद मिलता है। “द कश्मीर फाइल्स” का विरोध करने वाला गैंग बहुत ही खतरनाक और मानसिक विकृति का गैंग है जो जम्मू -कश्मीर की शांत हो रही स्थिति में अशांति का जहर घोलना चाहता है। 

द कश्मीर फाइल्स के बाद ‘कार्तिकेय टू’ का कमाल

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झूठ आकर्षक होता है, लेकिन सत्य असरकारक। झूठ का आकर्षण एक सीमा के बाद स्खलित हो जाता है, सत्य स्थापित हो जाता है। "जहां शिव सरस्वती ऋषि कश्यप हुए वह कश्मीर हमारा है" कहकर पूरे हिंदी पट्टी को अनुपम खेर ने कश्मीर की पूरी फाइल्स देश दुनिया में सार्वजनिक कर दी। कितनी सरलता से उन्होंने साधारण से लेकर पढ़े-लिखे तक को कश्मीर के बारे में समझा दिया। दक्षिण में जाकर यही अनुपम खेर अब कह रहे हैं, "..उन्होंने जो धर्म बताया था वह धर्म नहीं हमारा जीवन है", फिर कृष्ण के किरदार को कई रूपों में बताने लग जाते हैं। ये टीजर है कार्तिकेय टू का। कमाल की बात है कि दी कश्मीर फाइल्स ने जिस तरह से एक प्रकार की क्रांति को पूरे हिंदी प्रदेश के चेतन में भर दिया, ठीक उसी प्रकार कार्तिकेय टू के माध्यम से पूरे दक्षिण को झकझोर रहे हैं।

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