आदर्श कार्यकर्ता रामेश्वर दयाल जी
जेल से छूटने और प्रतिबन्ध समाप्ति के बाद वे फिर संघ कार्य में सक्रिय हो गये। परिवार के पालन के लिए वे आगरा में सेना की कार्यशाला में नौकरी करने लगे। 1954, 58 और 60 में उन्होंने संघ के तीनों वर्ष के प्रशिक्षण पूरे किये। नौकरी, परिवार और संघ कार्य में उन्होंने सदा संतुलन बनाकर रखा। उनके तीन पुत्र और चार पुत्रियां थीं; पर उन्होंने सादगीपूर्ण जीवन बिताते हुए अपने खर्चे सदा नियन्त्रित रखे। 1960 से 66 तक वे भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश सहमंत्री तथा प्रतिरक्षा मजदूर संघ के केन्द्रीय कोषाध्यक्ष भी रहे।1967 में वे विश्व हिन्दू परिषद में सक्रिय हुए। साधु-संतों के प्रति श्रद्धा होने के कारण उन्हें उ0प्र0 में धर्माचार्य संपर्क का काम दिया गया। प्रतिदिन दफ्तर जाने से पहले और बाद में वे परिषद कार्यालय पर आते थे। 1987 में सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त कर वे वि.हि.प के दिल्ली स्थित केन्द्रीय कार्यालय में आ गये। यहां उन्हें केन्द्रीय सहमंत्री की जिम्मेदारी और विश्व हिन्दू महासंघ में नेपाल डेस्क का काम दिया गया। 1996 से वे श्री अशोक सिंहल के निजी सहायक के नाते उनके पत्राचार को संभालने लगे।