देश को शिखर पर ले जाने का लक्ष्य

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इस तरह देखें तो प्रधानमंत्री का पूरा भाषण भारतीयों के अंदर भारत बोध कराते हुए सभी प्रकार के गुलामी के अवशेषों और समाज एवं राष्ट्र में व्याप्त विद्रूपताओं से मुक्ति और उनके प्रति अपने दायित्व के पालन का भाव पैदा करना रहा है। पूरे भाषण का एक प्रमुख पहलू महिलाओं के प्रति समाज की दृष्टिकोण में बदलाव संबंधी उनकी अपील भी है। महिलाओं को समान दर्जा देने की बात बहुत की जाती है किंतु प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा कि महिलाओं को लेकर हमारे अंदर जो अपमान का भाव है वह हर हाल में दूर होना चाहिए। गहराई से देखें तो हमारे यहां जितनी गालियां, मजाक, एक दूसरे का उपहास उड़ाने आदि के लिए शब्दावली, लोकोक्तियां ,कहावतें, मुहावरे हैं उनमें ज्यादातर महिला केंद्रित ही हैं। यह किसी भी समाज के लिए शर्म का विषय है। महिलाओं के सम्मान के बिना कोई भी परिवार सुखी नहीं रह सकता। जब परिवार सुखी संपन्न नहीं होगा तो देश अपने वास्तविक क्षमता के अनुरूप प्रगति नहीं कर सकता। नारी शक्ति और पुरुष शक्ति मिलकर ही देश को शक्तिशाली बना सकते हैं। तो प्रधानमंत्री की इस अपील का असर हो यही कामना सब करेंगे ताकि महिलाओं  और पुरुषों के बीच भारतीय दृष्टि में समानता का भाव साकार हो एवं नर नारी सब मिलकर स्वयं को सुखी करें, देश को सुखी करें और विश्व के कल्याण के लिए काम कर सकें।

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