उत्तराखंड का नशाबंदी आन्दोलन

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एक गांव में जहां पर अवैध मदिरा सर्वाधिक बनाई जाती थी, बहुगुणा ने एक पेड़ के नीचे बैठकर आमरण अनशन शुरू किया। यह अनशन उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के आग्रह तथा इस आश्वासन पर समाप्त किया कि वे पुरुषों को न तो मदिरा बनाने देंगी और न ही पीने देंगी, यदि वे करेंगे तो वे घर का पूरा काम बन्द कर देंगी यहां तक कि भोजन भी नहीं बनाएंगी।

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