कामचोर

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वन में एक बन्दर था जो जानवरों में सबसे चालाक था. एक दिन हाथी और भालू एक साथ बैठे थे वे सभी परेशान थे. उनकी परेशानी यह थी कि जब दूरदराज से उनके नाम की कोई चिट्ठी आती थी तो उसे लाने में जिराफ काफी समय लगाता था.

सुअर और लड़के

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आधी रात को एकाएक उनकी नींद उचट गई। उन्होंने पास के कमरे से आती हुई एक आवाज को सुना—‘कल सुबह एक हंडे में पानी खौला देना। मैं उन दोनों बच्चों का वध करना चाहता हूँ

जब शेर जी उठा…

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एक नगर में चार दोस्त रहते थे. उनमें से तीन बड़े वैज्ञानिक थे, किन्तु बुद्धिरहित थे, जबकि चौथा वैज्ञानिक नहीं था, पर वह बहुत समझदार और बुद्धिमान था.

शरारती बंदर

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 एक समय शहर से कुछ ही दूरी पर एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था। मंदिर में लकडी का काम बहुत था इसलिए लकडी चीरने वाले बहुत से मजदूर काम पर लगे हुए थे।

कौए और उल्लू

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बहुत समय पहले की बात है कि एक वन में एक विशाल बरगद का पेड़ कौओं की राजधानी था। हजारों कौए उस पर वास करते थे। उसी पेड़ पर कौओं का राजा मेघवर्ण भी रहता था।

ईमानदारी की जीत

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वह जंगलवासियों की मेहनत से खरीदी गई दवाइयों को दूसरे जंगल में ले जाकर बेचने लगा तथा शाम को वहां के मरीजों का इलाज करके कमाई करने लगा। धीरे-धीरे उसका लालच बढ़ता गया।

अंधविश्वाश

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एक गाँव में एक आदमी रहता था| वह आदमी पूरे गाँव में अन्धविश्वासी के नाम से मशहूर था| उसकी पत्नी उससे परेशान हो चुकी थी| जब कभी भी उस आदमी की पत्नी से दूध फेल जाता तो वह घबरा जाता और तुरंत मंदिर में जाकर पाठ करने लगता|

मक्खीचूस गीदड़

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जंगल में एक गीदड़ रहता था। वह बडा कंजूस था, क्योंकि वह एक जंगली जीव था इसलिए हम रुपये-पैसों की कंजूसी की बात नहीं कर रहे। वह कंजूसी अपने शिकार को खाने में किया करता था।

शेर लोमड़ी और भिक्षुक 

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एक  बौद्ध भिक्षुक भोजन  बनाने  के  लिए  जंगल  से  लकड़ियाँ  चुन  रहा  था कि  तभी  उसने  कुछ  अनोखा   देखा , “कितना अजीब  है  ये  !”,

तीन साधु

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ज्ञान की खोज में एक बार तीन साधु हिमालय पर जा पहुंचे। वहां पहुंचकर तीनों साधुओं को बहुत भूख लगी। देखा तो उनके पास तो मात्र दो ही रोटियां थी।

राजा की महानता

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हम जब ईश्वर पर सब कुछ छोड़ देते हैं तो वह अपने हिसाब से देते हैं हम सिर्फ मांगने में कमी कर जाते हैं देने वाला तो पता नहीं क्या देना चाहता है|

राजा के सौ चेहरे

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एक राजा, चला था लेने जायजा। अपनी प्रजा के बारे में हमेशा वह सोचता था, उन्हें कोई दुख न हो यह देखता था। रास्ते में वह मिला एक किसान से, जो चल रहा था धीरे-धीरे मारे थकान के।

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