बलराम का चरित्र और सेक्युलर हिन्दू

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महाभारत के बलराम जी का चरित्र आपको आंख पर पट्टी बांधे सेक्युलर हिन्दुओं की याद दिलाता है जो लक्षागृह से लेकर अभिमन्यु वध तक कुछ नहीं बोलते लेकिन भीम द्वारा नियम तोड़कर दुर्योधन पर वार करते ही भड़क जाते हैं। सब कुछ सामने हो कर भी उन्हें कुछ नहीं दिखता, वो निरपेक्ष रहते हैं और उनकी ये निरपेक्षता असुरी शक्तियों को मौन समर्थन का काम करती है।  लेकिन कृष्ण का पक्ष है पहले दिन से ही। वो दुर्योधन को उस स्तर पर ले आते हैं जहां वह बोल दे कि "सुई के बराबर जमीन भी नहीं दूंगा"... ताकि ये घोषित और साबित हो जाए कि ये सत्ता का युद्ध नहीं है survival की लड़ाई है, इसे आधुनिक शब्दावली में एक्सपोज करना कहते हैं। 

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