सियासत में भ्रष्टाचार! आप का कठोर प्रहार..!!

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अब इसे शुक्राना कहें या नजराना, धन्यवाद या फिर रिश्वत कोई शक नहीं कि भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि उससे मुक्ति की आशा आम आदमी को एक सपने जैसे लगती है। लेकिन बीच-बीच में कोई घटना (यही कहना बेहतर होगा) उम्मीद की लौ बुझने…

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