10 मई 1857, जब क्रान्ति का बिगुल बज उठा

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इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारतवासियों ने एक दिन के लिए भी पराधीनता स्वीकार नहीं की। आक्रमणकारी चाहे जो हो; भारतीय वीरों ने संघर्ष की ज्योति को सदा प्रदीप्त रखा। कभी वे सफल हुए, तो कभी अहंकार, अनुशासनहीनता या जातीय दुरभिमान के कारण विफलता हाथ लगी। अंग्रेजों को…

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