कांग्रेस की मुस्लिमों के साथ धोखेबाजी
स्वाधीनता के पहले मुस्लिमों के सहयोग के बिना स्वाधीनता मिल नहीं सकती, इस धारणा का भूत कांग्रेस पर सवार था। परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस मुस्लिमों और बै. जिन्ना की लगातार की जा रही मांगों के पीछे मानो घसीटते चली गई और आखिर देश का विभाजन मजबूरन स्वीकार किया।