दान से बनी विद्या की राजधानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
‘नवाब साहब क्षमा करें। मैं काशी से चलकर आपके पास आया हूूं। आपकी रियासत का पूरी दुनिया में नाम है। मैं अगर यहां से खाली हाथ गया तो आप की तौहीन होगी। इसीलिए सोचा की आप के जूतों को नीलाम करके कुछ धन एकत्र करलूं और उसके बाद काशी जाऊं, जिससे मैं काशी की प्रजा को बता सकूं कि हैदराबाद से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए दान मिला है।’- महामना मालवीय