हर संघर्षशील व्यक्ति का अज्ञातवास खत्म होगा
महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुंचकर कहा, “हे राजन! मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम 'कंक' है। मैं द्यूत विद्या में निपुण हूँ। आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ।” द्यूत, जुआ यानि…