सामंती सोच से विस्मृत एक महान शख्सियत
लाल बहादुर शास्त्री के बहाने हमें उस सामंती सोच का विश्लेषण करने की भी आवश्यकता है जिसने कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक पार्टी को एक परिवार का बंधक बनाकर भारतीय लोकतंत्र का भी गहरा नुकसान किया है। क्या आज कांग्रेस में उस कांग्रेस का अक्स हमें भूल से भी नजर आता है जो औपनिवेशिक मुक्ति का सबसे सशक्त मंच था?