भावुक लेकिन सख्ती से भरी प्रधानमंत्री की बड़ी बातें

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प्रधानमंत्री ने बड़े संकल्पों का आव्हान करते हुए कहा कि जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बड़ा होता है। युवाओं विशेषकर 20—22 वर्ष के नौजवानों से इस संबंध में अपेक्षाएं भी की और कहा कि पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे तब आजादी के दीवानों के सारे सपनों को पूरा करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा। प्रधानमंत्री के आज के उद्बोधन में उनका भारतीय दर्शन भी साफ झलक रहा था जिसमें उन्होंने कहा कि भारत ही दुनिया का वो देश है जिसकी जीवन शैली ने दुनिया को प्रभावित किया है। हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। हम ही वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, नर में नारायण देखते हैं, नारी को नारायणी कहते हैं, पौधे में परमात्मा देखते हैं, नदी को मां मानते हैं, कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं। सत्य एक है जिसे जानकार अलग-अलग कहते हैं। भारतीय ही जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाले लोग हैं।

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