पुलिस का ‘कम्युनल एंगल’ ?
भारत में हर राज्य की पुलिस को एक बीमारी है, खासकर गैर-भाजपा शासित राज्यों में ये ज्यादा देखने को मिलती है। जब भी कोई ऐसी घटना होती है तो उसमें सबसे पहले बयान दिया जाता है कि कोई कम्युनल एंगल नहीं है, इसके बाद जाँच होती है और आगे की पृष्ठभूमि तैयार की जाती है। जब बाकी बातें जाँच के बाद पता चलती हैं तो संप्रदायिक एंगल को नकारने की ऐसी कौन सी हड़बड़ी होती है, ये कौन सा कीड़ा पुलिस को काटे रहता है?