ये बैनर, ये पोस्टर, ये कटआउट्स की दुनिया…
मैं और मेरा माली अक्सर ये बातें करते हैं, ये बैनर न होते तो कैसा होता, ये पोस्टर न होते तो कैसा होता...। अरे,अरे! कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे हैं कि मैं जावेद साहब की रचना को तोड़नेमरोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। नहीं जी ! मेरी इतनी हिम्मत कहां।