पर्यावरण की रक्षा के लिए आगे आया संघ
प्रकृति और मनुष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है। मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है। पृथ्वी मां स्वरुप है। प्रकृति जीवन स्वरुप है। पृथ्वी जननी है। प्रकृति पोषक है। पृथ्वी का पोषण प्रकृति ही पूरा करती है। जिस प्रकार मां के आंचल में जीव जंतुओं का जीवन पनपता या बढ़ता है तो वहीँ प्रकृति के सानिध्य में जीवन का विकास करना सरल हो जाता है।