राष्ट्र और समाज को दिया सारा जीवन
हजार वर्ष की दासता के अंधकार के बीच यदि आज राष्ट्र और संस्कृति का वट वृक्ष पुनः पनप रहा है तो इसके पीछे उन असंख्य तपस्वियों का जीवन है जिन्होंने अपना कुछ न सोचा । जो सोचा वह राष्ट्र के लिये सोचा, समाज के लिये सोचा और संस्कृति रक्षा में…