मध्य भारत में क्लीन स्वीप की सम्भावना

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मध्य भारत के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भाजपा अन्य दलों की अपेक्षा बहुत ही मजबूत स्थिति में है। इस बार भाजपा क्लीन स्वीप करने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को कांगे्रस के साथ-साथ नक्सली समर्थक तथा वनवासी क्षेत्रों में मिशनरीज के साथ दो-दो हाथ करना पड़ सकता है।

गठबंधन में गतिरोध

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आगामी लोकसभा चुनावी सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी गठबंधन में आपसी रस्साकशी तेज हो गई है। एक-दूसरे के प्रति आलोचना और टिप्पणी से इंडी गठबंधन की यथास्थिति को समझा जा सकता है। जो आपस में समन्वय तक नही बना सकते, वे राष्ट्रहित के विषयों पर एकमत कैसे होंगे?

हर घर अयोध्या बने

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हर मनुष्य में रामत्व होना चाहिए। हर घर में रामराज्य होना चाहिए। संतुलित जीवन, उचित आहार, उचित शिक्षा, संस्कारित दिनचर्या, सकारात्मक विचार और कुशल जीवन शैली को अपने जीवन में उतारना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को यह मार्ग वर्तमान पीढ़ी ही दिखा सकती हैं तभी रामराज्य का संकल्प सार्थक होगा।

बहुत उतार चढ़ाव से भरा है नये साल का इतिहास

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इस कैलेण्डर को वैश्विक बनाने का श्रेय अंग्रेजों को है । वे जिस भी देश में व्यापार करने गये वे वहाँ के शासक बने और शासन संभालकर उन्होने अपनी परंपराएँ लागू कीं । जिसमें यह ग्रेगेरियन ईस्वी सन् कैलेण्डर पद्धति भी शामिल थी । अंग्रेज अपनी जड़ों और परंपराओं से इतने गहरे जुड़े रहे कि उन्होंने पूरी दुनियाँ को अपने परिवेश में कुछ इस प्रकार ढाला कि उनका शासन समाप्त हो जाने के बाद भी उनके द्वारा शासित अधिकांश देश अंग्रेजों के ग्रेगोरियन कैलेंडर से ही अपनी सरकार और समाज चला रहे हैं । हाँ कुछ देश अपने भीतर निजी काल गणना पद्धति का ही उपयोग करते हैं। पर संसार का मानसिक वातावरण कुछ ऐसा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे भी अंग्रेजी महीनों और तिथियों का ही सहारा लेते हैं । 

काकोरी कांड और क्रांतिकारियों का बलिदान

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काकोरी कांड में कुल उन्नीस क्रातिकारियों को सजा मिली थी । यह घटना 9 अगस्त 1925 की है । क्रातिकारियों को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये हथियारों की जरूरत थी । हथियारों के लिये धन चाहिए था । पता चला कि ब्रिटिश सरकार का खजाना 8 डाऊन सहारनपुर एक्सप्रेस से जा रहा है । क्रातिकारियों ने शाहजहाँपुर में बैठक की । इस बैठक में दस प्रमुख क्राँतिकारी उपस्थित थे । बैठक की अध्यक्षता महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने की । खजाना लूटने की योजना बनी । और 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी रेल्वे स्टेशन पर गाड़ी रोककर खजाना लूट लिया गया । इसमें कुल 19 क्राँतिकारियों को आरोपी बनाया गया । इनमें चार को फाँसी दी गई और 15 को विभिन्न धाराओं में चार वर्ष या इससे अधिक का कारावास की सजा सुनाई गई, जिन क्रातिकारियों को फाँसी दी गई उनमें राजेन्द्र लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह थे ।

अयोध्या : पर्यटन का अद्भुत विकास

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अयोध्या के वाह्य स्वरूप में तो बहुत परिवर्तन आये,  जीवन शैली भी बदली किन्तु चिंतन के पिण्ड में अयोध्या सुरक्षित और श्रद्धेय रही । जो रामजन्म भूमि की मुक्ति के सतत संघर्ष और देश वासियों के मन में उठती उन हिलोरों से स्पष्ट है जिसमें कमसेकम जीवन में एक बार अयोध्या यात्रा की इच्छा बसी होती है । इसी आंतरिक चेतना  शक्ति से रामलला बाबरी ढांचे में प्रगट हुये और फिर वहाँ मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ । भव्य मंदिर का शिलान्यास हुआ और पूरे संसार का ध्यान एक बार पुनः अयोध्या की ओर आकर्षित हुआ । इसके बाद अयोध्या आने वाले श्रृद्धालुओं और जिज्ञासुओं की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हुई । यह भी बहुत स्पष्ट है कि जन्मभूमि मंदिर निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद अयोध्या आने वालों की संख्या असीम होगी । और इसके लिये अयोध्या तैयारी कर रही है । यह तैयारी दोनों ओर बहुत तीव्र है । मंदिर निर्माण की दिशा में भी और आगन्तुकों के "स्वागत" के लिये भी । 

जिजामाता : स्वराज्य जननी कैसे बनी राजमाता

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अपनी गर्भावस्था में जीजाबाई शिवनेरी के दुर्ग में थीं । उन्होंने रामायण और महाभारत के युद्धों की कथाएँ सुनना आरंभ कीं । ताकि गर्भस्थ बालक पर वीरता के संस्कार पड़े। जीजाबाई ने महाभारत युद्ध के उन प्रसंगों को अधिक सुना जिनमें योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की रणनीति से अर्जुन को सफलता मिली । अपनी पूरी गर्भावस्था के दौरान जीजाबाई रामायण और महाभारत युद्ध की घटनाओं के श्रवण, चिंतन और, मनन पर केंद्रित रही। समय के साथ 19 फरवरी 1630 को शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। और उनके जीवन में यदि श्रीराम का आदर्श था तो युद्ध शैली योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण सी रणनीति भी ।

राष्ट्र स्वाभिमान पुनर्जागरण के पुरोधा वीर सावरकर

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भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य वोध जागरण केलिए यूँ तो करोड़ों महापुरुषों के जीवन का बलिदान हुआ है किन्तु उनमें कुछ ऐसे हैं जिनके जीवन की प्रत्येक श्वाँस राष्ट्र के लिये समर्पित रही । स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ऐसे ही महान विभूति थे जिनके जीवन का प्रतिक्षण राष्ट्र और स्वत्व बोध कराने…

मणिपुर हिंसा : देश में आतंकवाद और रूपान्तरण के षड्यंत्र का ही अंग

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हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहाँ यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गये हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं।…

मराठा साम्राज्य विस्तारक सेनापति बाजीराव पेशवा

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पिछले डेढ़ हजार वर्षों में पूरे संसार का स्वरूप बदल गया है । 132 देश एक राह पर, 57 देश दूसरी राह पर और अन्य देश भी अपनी अलग-अलग राहों पर हैं। इन सभी देशों उनकी मौलिक संस्कृति के कोई चिन्ह शेष नहीं किंतु हजार आक्रमणों के बाद यदि भारत…

अंग्रेजों की क्रूरता का गवाह जलियाँवाला बाग नरसंहार

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आज जलियाँ वाला बाग नरसंहार को एक सौ चार वर्ष हो गये । इस दिन जनरल डायर के आदेश पर स्त्री बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों पर गोलियाँ चलीं थी, और लगातार दस मिनट तक चलतीं रहीं थीं । इसमें तीन सौ से अधिक लोगों का बलिदान हुआ और लगभग डेढ़…

बलिदानी वीर राम सिंह पठानिया

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सामान्यतः लोग जानते हैं कि अंग्रेजों की हड़प नीति 1857 के आसपास शुरु हुई । पर इतिहास गवाह है कि अंग्रेजों की यह हड़प व अद्भुत साहस के प्रतीक इस 24 वर्षीय नवयुवक ने अपने मुट्ठी भर साथियों के बल पर अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी थी किन्तु दुर्भाग्य…

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