राष्ट्र स्वाभिमान पुनर्जागरण के पुरोधा वीर सावरकर

Continue Readingराष्ट्र स्वाभिमान पुनर्जागरण के पुरोधा वीर सावरकर

भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य वोध जागरण केलिए यूँ तो करोड़ों महापुरुषों के जीवन का बलिदान हुआ है किन्तु उनमें कुछ ऐसे हैं जिनके जीवन की प्रत्येक श्वाँस राष्ट्र के लिये समर्पित रही । स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ऐसे ही महान विभूति थे जिनके जीवन का प्रतिक्षण राष्ट्र और स्वत्व बोध कराने…

मणिपुर हिंसा : देश में आतंकवाद और रूपान्तरण के षड्यंत्र का ही अंग

Continue Readingमणिपुर हिंसा : देश में आतंकवाद और रूपान्तरण के षड्यंत्र का ही अंग

हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहाँ यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गये हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं।…

मराठा साम्राज्य विस्तारक सेनापति बाजीराव पेशवा

Continue Readingमराठा साम्राज्य विस्तारक सेनापति बाजीराव पेशवा

पिछले डेढ़ हजार वर्षों में पूरे संसार का स्वरूप बदल गया है । 132 देश एक राह पर, 57 देश दूसरी राह पर और अन्य देश भी अपनी अलग-अलग राहों पर हैं। इन सभी देशों उनकी मौलिक संस्कृति के कोई चिन्ह शेष नहीं किंतु हजार आक्रमणों के बाद यदि भारत…

अंग्रेजों की क्रूरता का गवाह जलियाँवाला बाग नरसंहार

Continue Readingअंग्रेजों की क्रूरता का गवाह जलियाँवाला बाग नरसंहार

आज जलियाँ वाला बाग नरसंहार को एक सौ चार वर्ष हो गये । इस दिन जनरल डायर के आदेश पर स्त्री बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों पर गोलियाँ चलीं थी, और लगातार दस मिनट तक चलतीं रहीं थीं । इसमें तीन सौ से अधिक लोगों का बलिदान हुआ और लगभग डेढ़…

बलिदानी वीर राम सिंह पठानिया

Continue Readingबलिदानी वीर राम सिंह पठानिया

सामान्यतः लोग जानते हैं कि अंग्रेजों की हड़प नीति 1857 के आसपास शुरु हुई । पर इतिहास गवाह है कि अंग्रेजों की यह हड़प व अद्भुत साहस के प्रतीक इस 24 वर्षीय नवयुवक ने अपने मुट्ठी भर साथियों के बल पर अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी थी किन्तु दुर्भाग्य…

इन्ही के स्वाभिमान की चिंगारी क्रांति का दावानल बनी

Continue Readingइन्ही के स्वाभिमान की चिंगारी क्रांति का दावानल बनी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रान्ति को सब जानते हैं। यह एक ऐसा सशस्त्र संघर्ष था जो पूरे देश में एक साथ हुआ । इसमें सैनिकों और स्वाभिमान सम्पन्न रियासतों ने हिस्सा लिया । असंख्य प्राणों की आहूतियाँ हुईं थी । इस संघर्ष का सूत्रपात करने वाले स्वाभिमानी सिपाही…

आर्य संस्कृति को समर्पित महाशय राजपाल का बलिदान

Continue Readingआर्य संस्कृति को समर्पित महाशय राजपाल का बलिदान

दासता के दिनों में भारतीय अस्मिता पर चौतरफा हमला हुआ है । आक्रांताओं ने केवल सत्ताओं को ही ध्वस्त नहीं किया अपितु भारतीय संस्कृति और साहित्य को भी विकृत करने का प्रयास किया है । एक ओर यदि भारतीय जन स्वाधीनता संघर्ष के लिये आगे आये तो दूसरी ओर भारतीय…

स्वाभिमान और स्वराष्ट्र के लिये जीवन समर्पित

Continue Readingस्वाभिमान और स्वराष्ट्र के लिये जीवन समर्पित

भारत राष्ट्र के स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा केलिये हुये असंख्य बलिदानों में झलकारी बाई का भी एक ऐसा नाम है जिनका संघर्ष स्वयं के लिये नहीं था । न तो स्वयं के लिये राज्य प्राप्ति की चाह थी और न अपना कोई हित । पर उन्होंने संघर्ष किया और…

क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान 

Continue Readingक्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान 

सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर राष्ट्र और संस्कृति की सेवा में समर्पित रहे हों । ऐसे ही  क्राँतिकारी पत्रकार थे गणेश शंकर विद्यार्थी । उन्हे उनके जीवन में और जीवन के बाद भी सब…

भारतीय काल गणना में है वैज्ञानिक अनुसंधान के पहलू

Continue Readingभारतीय काल गणना में है वैज्ञानिक अनुसंधान के पहलू

आज सृष्टि के विकास आरंभ का दिन है, और संसार के लिये कालगणना के लिये नवसंवत्सर । अर्थात नये संवत् वर्ष का प्रथम दिन है। आज से विक्रम संवत् 2080 और युगाब्द 5125 आरंभ हो रहा है। इस संवत्सर का आरंभिक नाम नल और 24 अप्रैल से पिंगल होगा। वर्ष…

11 मार्च 1689 छत्रपति सम्भाजी महाराज का बलिदान

Continue Reading11 मार्च 1689 छत्रपति सम्भाजी महाराज का बलिदान

पिछले दो हजार वर्षों में संसार का स्वरूप बदल गया है । बदलाव केवल शासन करने के तरीके या राजनैतिक सीमाओं में ही नहीं हुआ अपितु परंपरा, संस्कृति, जीवनशैली और सामाजिक स्वरूप में भी हुआ है । किंतु भारत इसमें अपवाद है । असंख्य आघात सहने के बाद भी यदि…

तीन हजार क्षत्राणियों का अग्नि प्रवेश..

Continue Readingतीन हजार क्षत्राणियों का अग्नि प्रवेश..

आठ मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तिथि है । इस दिन पहली बार 1907 में न्यूयार्क की सड़कों पर महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिये एक विशाल प्रदर्शन किया था । लेकिन भारतीय इतिहास में आठ मार्च की तिथि एक ऐसी घटना का स्मरण कराती है जिसमें तीन हजार राजपूतानियों…

End of content

No more pages to load