श्रीकृष्ण का जीवन और संदेश आज भी प्रासंगिक

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आखिर भारत का सभ्य समाज इन सबसे कैसे निपटे? क्या इसका समाधन हजारों वर्ष पहले श्रीकृष्ण के गीता संदेश में है? जब महारथी अर्जुन विषाद से ग्रस्त होते है और वे कौरव सेना को 'अपना' कहकर उनके विरुद्ध शस्त्र उठाने से मना कर देते है, तब श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता के संदेश से अर्जुन का पथ-प्रदर्शित करते हैं। तब हरि, अर्जुन से कहते हैं कि पलायन किसी भी समस्या का हल नहीं। श्रेष्ठ जीवनमूल्यों की रक्षा हेतु यदि संघर्ष करने की आवश्यकता हो, तो उससे भागना- कायरता है, अधर्म है। तब वासुदेव के विचारों से प्रभावित होकर अर्जुन ने 'न दैन्यं, न पलायनम्'- अर्थात् कभी असहाय न होना और न कभी भागना, का उद्घोष किया। इसके बाद महाभारत के युद्ध में जो कुछ हुआ, वह सभी सुधी पाठकों को सर्विदित है।

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