क्या सोशल मीडिया पूर्णत: निरापद है?

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समाज के सतर्क जागरूक और मुस्तैद प्रहरी के रूप में सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका के कारण शासन प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही, जनहित के मुद्दों पर संवेदनशीलता, प्रशासनिक सक्रियता, सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान से सामाजिक न्याय और मौलिक अधिकारों को प्राप्त करने के संघर्ष के नये आयाम स्थापित हुये है। सोशल मीडिया ने सामाजिक विडंबनाओं, विषमताओं, विद्रूपताओं, अन्याय, शोषण, भ्रष्टाचार, अनीति और अनाचार के विरुद्ध प्रबल मुखरता के साथ आवाज उठाई है। कार्यपालिका और व्यवस्थापिका पर सकारात्मक दवाब निर्मित कर जन हितैषी योजनाओं के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है। इस प्रकार सोशल मीडिया ने लोकतंत्र की आत्मा के सुरक्षा कवच के रूप में कार्य कर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होने की संज्ञा को भी साकार किया है। ‘’मीडियम इज द मैसेज’’ , अर्थात माध्यम ही संदेश है। सोशल मीडिया ने भौगोलिक सीमाओं से परे रीयल टाईम में सूचनाओं और संवाद का मुक्त  संसार निर्मित किया है जहॉ सूचनाओं को विलक्षण आजादी के साथ जनतांत्रिक संस्पर्श प्राप्त  हुआ है।

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