वेंचर्स की उड़ान
1985 की बात है। दक्षिण मुंबई में किराये का एक छोटा सा कमरा दो मेजें, दो कुर्सियां, एक टाइपराइटर, एक ड्राइंग बोर्ड, कुछ ब्रश, पेन और रंग। तीन लोग और शुरू हो गयी विज्ञापन की दुनिया में वेंचर्स की एक साहस भरी यात्रा, इस उद्देश्य के साथ कि बहुत बडा तो नहीं बनना है, लेकिन काफी छोटा भी नहीं रहना है।