विजय ही धर्म है

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हस्तिनापुर में पाण्डवों के राज्याभिषेक के बाद जब कृष्ण द्वारिका जाने लगे तो धर्मराज युद्धिष्ठर उनके रथ पर सवार हो कर कुछ दूर तक उन्हें छोड़ने के लिए चले गए। भगवान श्रीकृष्ण ने देखा, धर्मराज के मुख पर उदासी ही पसरी हुई थी। उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा, "क्या हुआ भइया?…

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