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बदलता हुआ शॉपिंग ट्रेंड

by निहारिका पोल
in प्रकाश - शक्ति दीपावली विशेषांक अक्टूबर २०१७, फ़ैशन, सामाजिक
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ऑनलाइन शॉपिंग आज की दौड़ती जिंदगी की एक जरूरत बन गई है। इसके कई फायदे और कुछ नुकसान भी हैं, लेकिन यदि सावधानी बरती जाए, तो यह एक सुखद अनुभव भी हो सकता है। अत: सावधान रहें और खरीदारी का खूब आनंद लें। 
कल ही मेरी एक सहेली का फोन आया। कह रही थी, ‘क्या बात है बड़े दिन हुए हम गंजीपुरा नहीं गए खरीददारी करने, कब चलोगी?’ मैंने कहा, ‘हां भई दिवाली है अब तो जाना बनता ही है, चलो दो तीन दिन में हो आते हैं’ और हमने फोन रख दिया। लेकिन फोन रखने के बाद मैं सोच में पड़ गई। कुछ साल पूर्व हर त्यौहार के पहले, कभी-कभी तो बिना किसा कारण मां के साथ हमारे जबलपुर के फुहारा, गंजीपुरा, गोलबाजार जैसे बाजारों में जाया करती थी। कितना कुछ मिलता था वहां! रंग बिरंगी सजी हुई दुकानें, ढेर सारा सामान। आंखें थक जाती थीं मगर सामान खत्म नहीं होता था, लेकिन जबसे यह मिंत्रा, शेईन, फ्लिपकार्ट, ऍमेजॉन आदि ऐप आए हैं, तबसे तो मेरा बाजार जाना बहुत कम हो गया है। उसका कारण भी है, जो चाहिए वह एक क्लिक पर हाजिर है, उसमें ढेर सारे अलग-अलग विकल्प भी हैं, साथ ही हर समय नकद नोट नहीं रखनी पड़ते, एक क्लिक पर काम हो जाता है। यह सब सोचते-सोचते ध्यान आया सच में खरीददारी का तरीका आज कितना बदल गया है, नहीं! कपड़ों से लेकर जूतों तक, खाने-पीने के सामान से लेकर फ्रिज तक सब एक ही जगह।
वैसे खरीददारी केवल कपड़ों भर की तो होती नहीं। मेरी दीदी ने नया घर लिया, उसके घर के कारपेट से लेकर सोफे और कुर्सियों तक, फ्रिज से लेकर पलंग तक सभी कुछ उसने फ्लिपकार्ट या ऍमेजॉन या ऐसी ही किसी ऐप से खरीदा। मैं सोच कर दंग रह गई। पहले अगर घर गृहस्थी का सामान खरीदना होता था, तब ना जाने हमारे बड़े बुजुर्ग क्या करते होंगे? दिन भर दुकानों में भटकना, एक नहीं पचास चीजें देखना, एक दिन में केवल एक या दो चीजें ही खरीद पाना, ऐसा कितना कुछ उनको करना पड़ता होगा, लेकिन आज के समय में सभी कुछ केवल एक क्लिक पर हाजिर है। साथ ही इसमें कई तरह के सेल या डिस्काउंट भी मिल जाते हैं, ग्राहकों को अपनी ओर खींचने का तरीका होगा शायद, लेकिन जो सामान, दुकानों में २ हजार का मिलता हो वह इन ऐप्स पर कुछ कम कीमत में मिल जाता है। साथ ही ऑनलाइन पेमेंट होने के कारण खरीदने में भी आसानी जाती है। इसके साथ ही ईएमआई यानी की किश्तों का विकल्प यहां भी मौजूद होता ही है। सबसे अच्छी बात यानी की, हर तरह का सामान एक ही ऐप पर एक ही समय में मिल जाता है। बताइये आप पहले कभी एक समय में ५० चीजें खरीद सकते थे भला?
पुरुष वर्ग के लिए पहली बार सोचा गया:
अब आप कहेंगे कि पुरुषों की जरूरत की सारी चीजें तो बाजार में उपलब्ध होती ही हैं, तो फिर उनके लिए पहली बार कैसे सोचा गया? लेकिन जरा सोचिए जब हम बाजार जाते हैं, सारी सजीधजी चीजें महिलाओं से ही संबंधित होती हैं। साडियां, सूट, गहने, जेवर, बैग्स और पता नहीं क्या-क्या। लेकिन पुरुषों के सामानों से सजे बाजार बिरले ही देखने को मिलते हैं। ऑनलाइन वेबसाइट्स और शॉपिंग ऐप्स पर ऐसा नहीं है। इन सभी पर पुरुषों के लिए अलग से स्थान होता है। जहां केवल उनकी जरूरत की या उनसे संबंधित चीजें ही होती हैं। उदाहरण के तौर पर पुरुषों के कपड़ेे, शेविंग किट्स, रेजर्स, गहनें (जैसे कि अंगूठियां, फंकी लॉकेट्स) और बाइक्स से लेकर कार तर सब कुछ ऑनलाइन मिल जाता है। इसके कारण शॉपिंग का आनंद केवल लड़कियां ही नहीं तो लड़के भी दिल खोल कर उठाते हैं।
केवल ब्रांडेड ही नहीं, साधारण चीजें भी उपलब्ध:
ऑनलाइन शॉपिंग का नाम लिया जाए तो ब्रांडेड चीजें ही दिमाग में आती हैं, लिहाजा वे चीजें महंगी भी होती हैं। सभी को खरीदना संभव हो यह जरूरी नहीं। लेकिन अब ऐसी परिस्थिति नहीं रही। साधारण से साधारण वस्तुएं भी आज कम कीमतों पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं। आज जिनका बुटीक है, या जिनकी बाजारों में साधारण दुकानें होती हैं, वे भी फेसबुक पेज के माध्यम से ऑनलइन शॉपिंग शुरू कर सकते हैं। ठाणे में रहने वाली शारदा पारखी भी इसका एक उदाहरण हैं। घर गृहस्थी और दो बच्चों की परवरिश के बीच वे स्वयं कुछ करना चाहती थी। इस कारण उन्होंने फेसबुक पर फैशन नाम से अपना व्यवसाय शुरू किया। रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग में आने वाले कपड़ों का व्यवसाय वे ऑनलाइन करती हैं। निर्माताओं से सीधे खरीद कर वे ऑनलाइन माध्यम में बेचती हैं, इससे निर्माताओं को भी फायदा होता है, ग्राहकों को भी अच्छे दर्जे के कपड़े, किफायती दामों में मिल जाते हैं, और व्यवसाय भी बढ़ता है। इस प्रकार से केवल ब्रांडेड चीजें ही नहीं साधारण चीजें भी ऑनलाइन मिल जाती हैं।
हाथ से बनी वस्तुओं की विशेष मांग:
वैसे तो हाथ से बनी वस्तुओं की मांग हर जगह ही होती है। लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर हाथ से बनी सजावट की वस्तुओं का बाजार काफी बड़ा है। इस कारण से अनेक स्थानीय कारीगरों और कलाकारों को बड़े पैमाने पर अवसर मिला है। उनकी कला का योग्य दाम उन्हें मिलता है। गांव में रहने वाले कलाकारों को शिक्षित कर, उनकी कला को दुनिया तक पंहुचाया जा सकता है। आज अनेक कला के विक्रेता गांव के कारीगरों से उनकी कला बहुत सस्ते में खरीदते हैं, और उसी कला को हजारों लाखों रुपयों में शहर में बेचा जाता है। गांव के कलाकारों को उनकी कला की सच्ची कीमत क्या है, यह भी पता नहीं होता। उनकी कला का सच्चा मोल उन्हें मिले, इसलिए ऑनलाइन साइट्स बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। पुणे की रहने वाली अक्षया बोरकर ने ‘द आर्ट ऍण्ड क्राफ्ट गॅलेरी’ के नाम से वेबसाइट प्रारंभ की है। यह अनेक कलाकारों को उनकी कला को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच है। इसके माध्यम से वे दुनिया के बड़े-बड़े कलाकारों तक अपनी कला का नमूना पहुंचा सकते हैं, साथ ही इसके कारण देशभर के विभिन्न कलाकारों के लिए एक बाजार उपलब्ध हो जाता है, जिसके कारण वे अधिकाधिक लोगों तक पंहुच सकते हैं।
इंटीरिअर के विविध विकल्प:
पेपर फ्राय, होमटाउन, लाईफस्टाइल फर्नीचर ये सारे नाम तो आपने सुने ही होंगे। ये सारी ऑनलाइन फर्नीचर खरीददारी की वेबसाइट्स हैं। इनके माध्यम से आज घर के सोफे, कुर्सी, पलंग के साथ-साथ अनेक सुंदर-सुंदर वस्तुएं, जैसे सजावट का सामान, झूला, लैम्प्स आदि हम एक क्लिक पर खरीद सकते हैं। साथ ही इसके कारण अनेक तरह के विकल्प हमारे पास होते हैं। ऐसे में घर की सुंदरता तो बढ़ती ही है, साथ ही हम कस्टमाइस्ड यानी कि जैसा हमें चाहिए वैसा फर्नीचर भी बनवा सके हैं।
केवल शॉपिंग ही नहीं रोजगार के जनक हैं ऑनलाइन वेबसाइट्स:
ऑनलाइन शॉपिंग केवल खरीददारी का नया साधन ही नहीं है, तो इसके कारण अनेक लोगों को रोजगार भी मिला है। आज का जमाना है स्टार्टअप्स का। अनेक युवाओं ने स्वयं के व्यवसाय प्रारंभ किए हैं। इसके कारण उन्हें आत्मनिर्भरता मिली है। फैशन का क्षेत्र भी इसमें पीछे नहीं रहा। पहले अच्छे करिअर के मायने केवल इंजीनियरिंग या डॉक्टर बनना ही होता था। लेकिन अब समय बदल गया है। आज की तारीख में इंजीनियर और बड़ी-बड़ी डिग्री हासिल करने वाले लोग भी फैशन क्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय शुरू कर रहे हैं। जबलपुर की रहने वाली निकिता और अमृता काले, जो कि सगी बहनें भी हैं, इसका एक उम्दा उदाहरण हैं। दोनों बहनों ने अच्छी संस्था से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण की। साथ ही अच्छी कंपनियों में नौकरी भी की, लेकिन शुरू से ही उनका रुझान स्वयं के कपड़े डिजाइन करने में रहा। जिसके फलस्वरूप उन्होंने महरोबा नामक स्वयं का ब्रांड प्रारंभ किया। आज सभी नामांकित, प्रसिद्ध ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर मेहरोबा के द्वारा तैयार किए गए कपड़े बिकते हैं। आज के युवाओं के लिए यह एक प्रेरणा है।
इसी तरह की कहानी है, पुणे की रहने वाली सायली मराठे की। अच्छी कंपनी में नौकरी करते हुए सायली को स्वयं ऑक्सेडाईस्ड ज्वेलरी बनाने का शौक था। पहले वह शौकियाना तौर पर अपने दोस्तों को भेंट स्वरूप देने या स्वयं के लिए इसका निर्माण करती थी। धीरे-धीरे उसने व्यावसायिक तौर पर ये गहने बनाना प्रारंभ किया। आज इस क्षेत्र में वह ‘आद्या’ के नाम से जानी जाती है। चांदी के गजरे और नाक की बेसर उसकी खासियत है। आद्या के फेसबुक पेज के माध्यम से सायली ने यह मकाम हासिल किया है। साथ ही आज उसकी ऑनलाइन वेबसाईट भी काफी प्रसिद्ध है।
खानेपीने की वस्तुएं भी ऑनलाइन उपलब्ध:
शॉपिंग केवल कपड़ों की नहीं होती, खानेपीने की चीजें हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अविभाज्य अंग है। आज सब्जियों से लेकर किराने के सामान तक सभी कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। बिग बास्केट जैसी कई अन्य ऐप्स के माध्यम से आप घर बैठे ही सामान मंगवा सकते हैं। इसके कारण समय बचता है। लेकिन इसमें सावधानी बरतनी भी जरुरी है। क्योंकि खानेपीने से संबंधित सामान है इसलिए सामान पुराना तो नहीं, एक्सपायरी डेट सही है ना, खराब सब्जियां तो नहीं आ रहीं यह देखना भी जरूरी हो जाता है। खानेपीने के सामान की ऑनलाइन खरीदारी सावधानी से करना ही आवश्यक है।
ऑनलाइन शॉपिंग, खतरें और सावधानियां:
ऑनलाइन शॉपिंग करना आसान तो है, किफायती भी है, लेकिन इसमें बहुत ज्यादा सावधानी बरतना जरूरी होता है। मेरे साथ ही एक घटना हुई है। मेरा भाई जर्मनी में रहता है, मेरे जन्मदिवस पर उसने मुझे बिना बताए भेंट वस्तु देना चाहा। उसने एक सुंदर पर्स मंगवाई। लेकिन घर पर जब वह पार्सल खुला हम सभी हंसते रह गए॥क्योंकि उसमें पर्स के स्थान पर छोटे बच्चों के डायपर्स निकले। थी तो यह हास्यास्पद घटना, उसके बाद मेरे भाई को पैसे वापस भी मिल गए, लेकिन मेरी वह प्यारी पर्स मुझे आज तक ना मिल सकी।
यह बताने का करण यह है कि, ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है॥
खतरें-
१) कई बार स्क्रीन पर दिखने वाली वस्तु जब हमारे हाथ में आती है तो वह पूरी तरह से अलग दिखती है। ऐसे में मन खराब हो जाता है।
२) जो सामान जिस साइज में मंगाया गया है, कभी-कभी वह गलत साईज में मिलता है, इसके कारण पुन: उसे वापस भेजना और नया सामान मंगवाना पड़ता है, जिसमें काफी समय लगता है, यहीं अगर हम दुकान में जाकर खरीददारी करें, तो हम आकार देख कर ही खरीदते हैं, तब यह समस्या नहीं आती।
३) कई बार ऑर्डर देते वक्त हमारे खातों से पैसे तो कट जाते हैं, लेकिन ऑर्डर कैन्सिल हो जाता है। और ये पैसे वापस आने में समय भी लगता है। ऐसा होने से हमारे पैसे फंस जाते हैं।
४) सामान का दर्जा कई बार हल्का भी हो सकता है, हमारे खयालों में जो वस्तु होती है, प्रत्यक्ष रूप में उसका दर्जा यदि हल्का निकले तो बुरा लगता है।
सावधानियां-
१) ऑनलाइन वस्तु मंगवाते समय सब कुछ देख परख के ही ऑर्डर दें अन्यथा न दें।
२) अनजानी वेबसाईट पर अपने बैंक खाते की जानकारी न डालें, आज के जमाने में धोखाधडी भी बढ़ी है, सावधानी बरत कर ही सही निर्णय लें। जब तक पूर्ण विश्वास न हों बैंक या कार्ड की जानकारी न दें।
३) कोई भी बैंक आपको फोन कर आपके खाते या कार्ड की जानकारी, पिन नंबर इत्यादि नहीं मांगती, इसी तरह कोई अन्य वेबसाइट भी आपका पिन नंबर कभी नहीं मांगती। यदि ऐसा हो रहा हो, तो निश्चित ही यह आपके साथ धोखा है, अत: सावधान रहें।
४) इंटरनेट का पूर्ण सिग्नल हो तभी खरीददारी करें अन्यथा कई बार पैसे कट जाते हैं और ऑर्डर जा नहीं पाता।
५) आपके साथ यदि गलती से भी धोखा हो तो फेसबुक के माध्यम से उन ऐप्स या वेबसाइट्स के पेज पर उन्हें टैग करके शिकायत दर्ज करना न भूलें। साथ ही आप ग्राहक न्यायालय में भी संपर्क कर सकते हैं। शायद आप आवाज उठाएं तो अन्य ग्राहकों के साथ धोखा न हो।
ऑनलाइन शॉपिंग आज की दौड़ती जिंदगी की एक जरूरत बन गई है। इसके कई फायदे और कुछ नुकसान भी हैं, लेकिन यदि सावधानी बरती जाए, तो यह एक सुखद अनुभव भी हो सकता है। अत: सावधान रहें और खरीदारी का खूब आनंद लें।

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