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समस्याएं उलझी नहीं, काबू में आईं – हंसराज अहीर

by अमोल पेडणेकर
in दिसंबर २०१७, साक्षात्कार
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कांग्रेसी सरकारों ने कश्मीर, नकसलवाद या उत्तर पूर्व के उग्रवाद को लेकर जो समस्याएं पैदा की थीं उन्हें कम करने में हमने भारी सफलता प्राप्त की है। विश्वास रखें कि आंतरिक सुरक्षा के मामले में हम महिलाओं तथा आम नागरिकों को भयमुक्त समाज दिलाने में सफल होंगे। यह विश्वास व्यक्त किया है केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री हंसराज अहीर ने एक विशेष साक्षात्कार में। प्रस्तुत है उनसे देश की राजनीति, सुरक्षा, नक्सलवाद, रोहिंग्या, घुसपैठ, चीन-पाक से रिश्तें जैसी समस्याओं पर हुई प्रदीर्घ बातचीत के चुनिंदा अंश-
देश से जु़ड़े लगभग सभी आयामों का दायित्व केंद्रीय गृह मंत्रालय पर होता है। आपके लिए वर्तमान में कौन से मुद्दे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं?
आंतरिक सुरक्षा को हम सबसे महत्वपूर्ण विषय मानते हैं। कानून व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी होते हुए भी हम उससे अपने आपको अलग नहीं कर सकते। इसलिए देश में सुव्यवस्था रहे, लोकतंत्र की रक्षा के साथ, लोगों की सुरक्षा हो और निर्भयता के साथ लोग जीवन जिये यह ब़ड़ी जिम्मेदारी हम पर होती है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र में लोगों को कुछ मूलभूत अधिकार होते हैं। उन अधिकारों का ध्यान रखते हुए उनकी जान, माल, महिलाओं, बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
आंतरिक सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय ने विगत तीन वर्षों में क्या कदम उठाए हैं?
आंतरिक सुरक्षा को लेकर मेरे सामने चार महत्वपूर्ण मसले थे। नक्सलवाद, माओवाद, कश्मीर और उत्तर पूर्व में होने वाली घुसपैठ- ये वे चार समस्याएं हैं जिन पर हम अधिक ध्यान दे रहे हैं।
भारतीय सेना अब पूरी मुस्तैदी से आतंकवादियों का मुकाबला कर रही है, फिर भी भारत की सीमा पर निरंतर आतंकवादी गतिविधियां बढ़ती लग रही हैं। इसका क्या कारण है?
मुकाबला ड़टकर ही करना प़ड़ेगा, यह तो हमारा कर्तव्य है। हमारा प़ड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान दुर्भाग्य से हमें अपना मित्र नहीं मानता। हम उसे मित्र मानकर चलते हैं परंतु उसके बावजूद आतंक एवं घुसपैठ करवाने और देश के अंतर्गत हमारी व्यवस्था को तहस-नहस करने का उसका प्रयास रहता है। ये जितने भी आतंकी बाहर से आते हैं उनके द्वारा कश्मीर घाटी में रहने वाले हमारे युवाओं को भ़ड़काया जाता है। ऐसे में आतंकियों से तो सेना को ड़टकर मुकाबला करना ही प़ड़ेगा; क्योंकि देश को बचाना है, और देश को बचाना है तो देश की सीमा सुरक्षित रखनी होगी।
कश्मीर हमारे देश का अविभाज्य अंग है। कश्मीर को भारत से अलग करने की जो कोशिशें की जा रही हैं, उसका भी मुकाबला हमारे जवान करते हैं। सुरक्षा बल बहुत ताकत से काम कर रहे हैं। उनके साथ ही सेना और राज्य की पुलिस भी पूरी शक्ति से काम कर रही है। सेना, पुलिस और सुरक्षा बल मिलकर आतंकवाद का मुकाबला कर रहे हैं। तीनों का तालमेल बहुत अच्छा बन गया है। एक दूसरे से पूछा जाता है। हाल ही में हम नए उपकरण लाए हैं, हथियार लाए हैं। हमने उतनी ही ताकत से अपने आप को भी बदला है। अब हम सीमा पर आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं और इस वजह से जवान सफल हो रहे हैं। हम ड़टकर मुकाबला कर रहे हैं और करते रहेंगे, जब तक कि आतंकी हरकतें कम नहीं होतीं।
विगत कुछ दिनों से देश में रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ की समस्या दिखाई दे रही है। केंद्र सरकार का इस समस्या के प्रति दृष्टिकोण क्या है?
म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों की भारत में घुसपैठ कोशिश थी, लेकिन सरकार की सतर्कता से वैसा हो नहीं रहा है। लेकिन दुर्भाग्य से २०१२ में यूपीए सरकार के जमाने में इन लोगों को देश में आने दिया गया, इन लोगों को आश्रय दिया गया। यह आश्रय देना देश के लिए घातक बन गया है। पिछले तीन-चार माह से जिस तरीके से म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों ने वहां की सरकार के खिलाफ जो हिंसक घटनाएं की हैं इससे वहां से उन्हें भागना पड़ गया तथा उन लोगों ने बांग्लादेश में घुसने की कोशिश की। वे हमारे राज्यों में भी घुसने का प्रयास करते हैं लेकिन हमारे जवान उन्हें घुसने नहीं देते। ये रोहिंग्या देश के लिए घातक काम करने वाले लोग हैं। दिल्ली में एक आंतकी पक़ड़ा गया और उसने कबूल भी किया कि वह भारत में रहकर रोहिंग्याओं को ट्रेनिंग देने वाला था। जम्मू में भी एक आतंकी मारा गया। वह भी रोहिंग्या था। यहां आकर वे देश के लिए विघातक काम करने लगे हैं।
घुसपैठ की बात करें तो बांग्लादेश से होनेवाली घुसपैठ सबसे खतरनाक है। रोहिंग्या तो हजारों की संख्या में आ रहे हैं जब कि बांग्लादेशी करो़ड़ों में हैं। फिलहाल जो रोहिंग्या देश में हैं वे यूपीए सरकार के दौरान के घुसपैठिए हैं। उनमें से कुछ हरियाणा के मेवात में, कुछ दिल्ली, हैदराबाद, जबकि कुछ जम्मू में हैं।
घुसपैठ की यह समस्या कितनी भयावह है तथा इसके निवारण के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
इसमें दो-तीन बाते हैं। विदेशी नागरिक कानून के अंतर्गत हम घुसपैठियों पर मुकदमें चलाते हैं। उनकी शिनाख्त करते हैं। ये सारे काम राज्य सरकारें करती हैं, केंद्र इसमें सीधे काम नहीं करता बल्कि राज्य सरकार को सूचना दी जाती है कि आपके यहां पर ऐसे कितने घुसपैठिए हैं कि जिनकी पहचान की जाए, रिपोर्ट बनाई जाए। असम सरकार इसमें बहुत अच्छा काम कर रही है। वैसे सभी सरकार काम करती हैं जैसे कि महाराष्ट्र, दिल्ली। लेकिन बांग्लादेश से आए हुए घुसपैठिए बंगाल और असम में ज्यादा हैं। इन लोगों को ढू़़ंढना और चेक करना राज्य सरकार का काम है और जैसे हमें पता लगता है तो कानूनी प्रक्रिया के जरिए हम उन्हें बाहर निकाल सकते हैं। दूतावास से बात करके उन्हें वापस भेजने की कोशिश की जाती है। सरकार इसके प्रति बहुत गंभीर है। गृह मंत्रालय इस मामले में काम करता जरूर है लेकिन राज्य सरकार की मदद से करता है।
घुसपैठ को रोकने के लिए ‘सी आयबीएमएस’ नाम का सिस्टम हम बॉर्ड़र लगा रहे हैं ताकि कोई घुसपैठ ना हो।
क्या कुछ आंकड़ें दिए जा सकते हैं कि अब तक कितने घुसपैठियों की पहचान हो चुकी है?
संख्या तो दे सकते हैं लेकिन उसमें कम ज्यादा होता रहता है। कुछ राज्यों ने आंकड़ें भेजे नहीं हैं। बंगाल सरकार हमें कोई मदद नहीं करती। कुछ जानकारी मांगे तो केरल सरकार विलंब से जानकारी देती है। इसलिए तुरंत हम संख्या नहीं दे सकते; लेकिन यह संख्या बहुत ब़ड़ी है। बांग्लादेश की सीमा सील नहीं किए जाने के कारण ऐसा हुआ है। अब मोदी जी की सरकार के कार्यकाल में यह काम तेजी से चल रहा है। सीमा पर ‘स्मार्ट सील’ का भी काम चल रहा है जिससे घुसपैठियों को पूरी तरह रोका जाए। जो घुसपैठ अब तक हो चुकी है उनकी सूची बनेगी तो उसकी संख्या का भी पता चलेगा।
चीन तथा पाकिस्तान मिलकर कई बार भारत के सामने युद्धस्थिति निर्मित करने का प्रयत्न करते रहते हैं। युद्ध के संदर्भ में भारत की नीति क्या है?
चीन और पाकिस्तान के द्वारा भारत के साथ छल किया गया है। हमारे प़ड़ोसी राष्ट्र होने से हम उनसे दोस्ती करना चाहते रहे; लेकिन दोनों ने हमारे साथ वैसा व्यवहार नहीं रखा। ‘भारत युद्ध नहीं बुद्ध चाहता है’, यह बात सभी प्रधान मंत्रियों ने बार-बार कही है। इसलिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उरी हमले के बाद जो ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की थी उसके विषय में एक पंक्ति में कहा था कि, ‘हम यह करना नहीं चाहते थे लेकिन करना प़ड़ा।’ यह हमारी नीति है कि हम प़ड़ोसी राष्ट्र से संबंध खराब नहीं करना चाहते। कोशिश यह भी हुई कि केवल पाकिस्तान और चीन से ही नहीं अन्य देशों से भी हमारे संबंध अच्छे हो। प़ड़ोसी राष्ट्रों को साथ लेकर चलने वाली नीति में भारत का विश्वास है। हम युद्ध नहीं बल्कि शांति चाहते हैं। हमारी ओर से पूरी कोशिश भी हुई है लेकिन इन्होंने हमेशा छे़ड़ा है, छल किया है। पाकिस्तान ने आतंकी घुसपैठ की है। कश्मीर पर हमला किया है। हमारे कश्मीर को पाकिस्तान हथियाना चाहता है। चीन ने अपने विस्तारवाद के चलते हमारे देश के कुछ हिस्सों को अपने कब्जे में लिया है और आज भी लेने के प्रयास में है। लेकिन हम इसका ड़टकर मुकाबला करते आए हैं। अभी कुछ महीनों पूर्व डोकलाम में जो स्थिति निर्मित हो गई थी उस पर हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर से ले कर प्रधान मंत्री और विदेश मंत्रालय स्तर तक चीन से बातचीत भी की थी। हर तरीके से समस्या सुलझाने की कोशिश कल भी की थी, आज भी कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। हम बातचीत के जरिए प़ड़ोसी देशों से संबध बनाए रखना चाहते हैं। लेकिन जहां बात गोली की आती है तो एक के बजाय दो गोलियां मारी जाती हैं। दस गोलियां छो़ड़ी जाती हैं। उसमें हम आगेपीछे नहीं देखते। लेकिन पहली गोली हम नहीं चलाते। न सीमा सुरक्षा बल चलाते हैं, न सेना के जवान चलाते हैं।
नगालैंड़ में ‘आफसा’ (सशस्त्र सेना -विशेष अधिकार कानून) कानून लागू है। यह कानून जहां अशांति है वहां लागू किया जाता है। यह ब़ड़ा ताकतवर कानून है। उसमें हम कभी भी किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं और मौका आने पर बिना किसी इजाजत से फायरिंग भी कर सकते हैं। उसको अब हटाने की कोशिश की जा रही है। यह स्थिति वहां निर्माण हो रही है। नगालैंड़ में जो समझौता हुआ है वह बहुत दिशादर्शक है। इससे हमने काफी सफलता हासिल की है। उत्तर पूर्व के विकास को सामने रखते हुए सभी गुटों से बात की गई।
मा. नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद सैनिकों का मनोबल ब़ढ़ा हुआ दिखाई देता है। इसका क्या कारण है?
निश्चित रूप से सैनिकों का मनोबल ब़ढ़ा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सैनिकों पर हर तरह की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। गृह मंत्रालय भी उन्हीं के दिशानिर्देशों पर काम करता है। हमने देश की रक्षा करने वाले सैनिकों की सुरक्षा की भी व्यवस्था की है। हर राज्य में पुलिस आधुनिकीकरण के लिए हमने बहुत ज्यादा फंड दिया है। हमारे जवानों के कैम्पों पर अंधेरे में हमले होते हैं। आतंकवादी अंधेरे में हमले करते हैं। अत: हमने कैम्पों पर कैमेरे लगाए हैं ताकि हमें हमलों की पूर्व सूचना मिल सके। जब हमारे जवान सुरक्षित होंगे तब देश सुरक्षित रहेगा। इसी वजह से सैनिकों का मनोबल बढ़ा हुआ दिखाई देता है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर को ‘उम्मीदों के क्षेत्र’ की संज्ञा दी है, परंतु अभी तक पूर्वोत्तर में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन दिखाई नहीं दे रहा है। इसके क्या कारण हैं?
देश की आंतरिक सुरक्षा के जो मामले हैं जिसके अंतर्गत कश्मीर, नक्सलवाद, माओवाद तथा उत्तर पूर्व के मसलें हैं जिनको लेकर असुरक्षा का माहौल बना हुआ था; प्रधान मंत्री जी ने उस दिशा में काफी सार्थक प्रयास किया। वहां पर किसी प्रकार की फंड की कमी नहीं है। वहां हर चीज रेलवे से लेकर नेशनल हायवे और औद्योगिक विकास करने की घोषणा राजीव जी ने की थी पर अब जाकर हमारी सरकार ने वह काम पूरा किया है। असम में रेल की अधिक सुरक्षा, उ़ड़ान सेवा, सौर ऊर्जा परियोजनाएं विकसित की जा चुकी हैं। इसका परिणाम इतना अच्छा हुआ है कि पूर्वोत्तर में जहां अशांति रहा करती थी अब वहां काफी शांति है। त्रिपुरा में सीमा पर अशांति रहा करती थी, नगालैंड़ में भी अशांति चलती रहती थी। वहां भी हमने काफी यश प्राप्त किया है। नगालैंड़ में ‘आफसा’ (सशस्त्र सेना -विशेष अधिकार कानून) कानून लागू है। यह कानून जहां अशांति है वहां लागू किया जाता है। यह ब़ड़ा ताकतवर कानून है। उसमें हम कभी भी किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं और मौका आने पर बिना किसी इजाजत से फायरिंग भी कर सकते हैं। उसको अब हटाने की कोशिश की जा रही है। यह स्थिति वहां निर्माण हो रही है। नगालैंड़ में जो समझौता हुआ है वह बहुत दिशादर्शक है। इससे हमने काफी सफलता हासिल की है। उत्तर पूर्व के विकास को सामने रखते हुए सभी गुटों से बात की गई। मणिपुर, अरुणाचल में अब शांति है। इस तरह हम आंतरिक सुरक्षा प्राप्त कर चुके हैं। प्रधान मंत्री का सपना उस इलाके को पर्यटन का सबसे ब़ड़ा केंद्र बनाना है। यह सोच है, उस ओर देश चल रहा है।
देश में नक्सलियों की समस्या विकराल है। आप स्वयं भी चंद्रपुर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के रूप में आप किसे इस समस्या का मूल मानते हैं?
नक्सलवाद की १९८० से पहले से ही शुरुआत हुई है। देखा जाए तो इनका ज्यादातर प्रभाव जंगली इलाकों में ही रहा है। इस विषय पर हमने जो काम किया है इससे हमें अच्छी खासी सफलता मिली है। मैं इतना जानता हूं कि दस राज्यों में नक्सलवाद फैला हुआ है। इसमें लगभग साढ़े पांच सौ से अधिक पुलिस स्टेशन हैं। एक जमाने में वहां बहुत गंभीर स्थिति थी। इस पर हमने नियंत्रण पाया है। अब चार सौ पुलिस स्टेशन बचे हैं जो इनके प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। इस भेंटवार्ता के पहले दिन ही हमने स्थिति की समीक्षा की थी। इसमें निष्कर्ष यह निकला कि अब इन पर हमने बहुत नियंत्रण पाया है। आम आदमी की हत्याएं भी कम होती जा रही हैं। २० से २५% कम हुई है। शरण आनेवालों की भी संख्या ब़ढ़ती जा रही है। छत्तीसग़ढ़ में दुर्भाग्य से दो बड़े हादसे हुए हैं जिसमें हमारे जवान मारे गए हैं। अगर ये दो हादसे छोड़ दें तो यहां हमें बहुत ब़ड़ी कामयाबी मिली है। समस्या का हल निकालने के लिए हमने हर जगह प्रयास किया है। संबंधित राज्यों को केंद्र सरकार ने सुरक्षा बल मुहैया कराया है। इस इलाके में ११९ बटालियन अर्थात् १ लाख २५ हजार सैनिक काम कर रहे हैं। जवानों का मनोबल कम न हो इसलिए पुलिस स्टेशनों को भी अत्याधुनिक किया जा रहा है।
कश्मीर का एक ब़ड़ा तबका देश के विकास में जु़ड़ना चाहता है और हमने उसे चुन लिया है। कुछ दिनों पहले रोजगार कौशल सीखने के लिए कुपवाड़ा की २५ महिलाएं आई थीं। वहां पर अब तक लगभग ४००० महिलाओं को रोजगार का कौशल सिखाया जा चुका है। धीरे-धीरे लोग अलगाववादियों तथा उग्रवादियों से दूर हो रहे हैं। लोगों को समझ में आ रहा है कि अलगाववाद व आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
आपने अपनी राजनैतिक यात्रा के दौरान इस समस्या को सुलझाने के लिए क्या प्रयत्न किए हैं?
नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लिए सरकार ने नीति बनाई है। इसी के तहत गांव में रहनेवाले लोगों को कुछ आर्थिक मदद दी जाती है। कुछ फंड दिया जाता है। हमारे कार्यकाल में सड़क का काम, कनेक्टिविटी का काम हमने बहुत अच्छे तरीके से किया है। १०० किमी का काम हमने किया है। आरआरपी- दो में रोड़ के प्रोजेक्ट के विकास में ११००० करो़ड़ का काम किया है। हजारों की तादाद में बीएसएनएल के टॉवर लगा दिए गए हैं और हजारों की संख्या में गांव के लोगों के लिए पोस्ट ऑफिस खोल दिए गए हैं। कई बैंक शाखाएं खोली गई हैं। यही नहीं, हम लोगों ने एक नया कार्यक्रम चालू किया है। लोगों के अर्थिक विकास के लिए मुर्गी पालन, बकरी पालन के लिए हम सहायता मुहैया करा रहे हैं क्योंकि गांव के लोगों की यह जरूरत है। चंद्रपुर जिला कभी नक्सल क्षेत्र था, अब वहां नक्सली नहीं हैं। गड़चिरोली में थो़ड़ा प्रभाव है। वहां महाराष्ट्र पुलिस का काम बहुत अच्छा है। पुलिस और सुरक्षा बल मिलकर काम करते हैं। वहां खेती, मुर्गी पालन, बकरी पालन, दुग्ध व्यवसाय- इन सबको मदद की जरूरत थी। वह करने का प्रयास किया है।
नक्सली समस्या की ही भांति कश्मीर की समस्या भी काफी विकराल है। कश्मीरियों के साथ संवाद के लिए आपको चुना गया है। इसमें हुई प्रगति पर रोशनी डालिए।
सरकार द्वारा जो विभाग बांटे गए हैं उनमें से कश्मीर व नक्सलवाद का विभाग मैं देखता हूं। सारा देश जानता है कि यह समस्या काफी वर्षों से है तथा इसका हल काफी जटिल है, परंतु हमने प्रयास किया। हजारों की संख्या में होनेवाली घुसपैठ बहुत कम हो गई है। वारदातों तथा जवानों के शहीद होने की संख्या में काफी कमी आई है। वहां की पुलिस, स्थानीय नागरिक तथा सुरक्षा बल मिलकर सफल अभियान चला रहे हैं। पश्चिमी कश्मीर का इलाका ज्यादा घुसपैठ प्रभावित है पर वहां भी हमें बेहतरीन सफलता मिल रही है। नोटबंदी का भी असर प़ड़ा है। उसकी वजह सें उनकी फंडिंग रुक गई है। आतंकियों के पाकिस्तान से संबंधों के सबूत मिले हैं तथा अलगाववादी नेताओं के प्रति जो धारणा बनी हुई थी कि वे हिंसा का रास्ता कम अपनाते हैं, वह धारणा भी खत्म हुई है। इन सबके खिलाफ कार्रवाई की गई, उनके बैंक खाते सील किए गए। पैसा भी जब्त किया गया। अब लोगों को पता चल चुका है कि अलगाववादी नेता अपने घर भरते हैं तथा उग्रवादी पाकिस्तान से आते हैं। हम यह बताने में सफल रहे हैं। एक ब़ड़ा तबका देश के विकास में जु़ड़ना चाहता है और हमने उसे चुन लिया है। कुछ दिनों पहले रोजगार कौशल सीखने के लिए कुपवाड़ा की २५ महिलाएं आई थीं। वहां पर अब तक लगभग ४००० महिलाओं को रोजगार का कौशल सिखाया जा चुका है। धीरे-धीरे लोग अलगाववादियों तथा उग्रवादियों से दूर हो रहे हैं। लोगों को समझ में आ रहा है कि अलगाववाद व आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। एक घटना में मुस्लिम डीएसपी मारा गया। हमें विश्वास है कि जिस तरह से कार्य किया जा रहा है, सफलता मिलेगी। जनाधार मुख्यमंत्री जी के साथ है तथा नरेन्द्र मोदी जी के प्रति लोगों का अटल विश्वास है। ८० हजार ७०० करोड़ का पैकेज कश्मीर के लिए दिया गया है जिसमें से २९ हजार करोड़ खर्च हो चुका है। विकास का कार्य तेजी से चल रहा है। रोजगार के लिए हमने हिमायत और उड़ान नाम की योजनाएं बनाई हैं, जिसका लाखों लोगों ने लाभ लिया है। स्पेशल फोर्स के लिए ६००० लोगों की भरती करनी थी पर ३० हजार से अधिक लड़कों ने आवेदन किया।
आप विगत ४० वर्षों से राज्य तथा राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं। क्या वर्तमान में देश की राजनीति उचित दिशा में जा रही है?
राजनीति में परिवर्तन आते ही रहते हैं। लोगों के व्यवहार में, स्वभाव में, लोगों की मांग में परिवर्तन आता है। प्रधान मंत्री जी ने हम सभी लोगों को इसकी दिशा दिखाई है कि हम कैसे लोगों में अपनी प्रतिमा स्वच्छ और ईमानदार के रूप में खड़ी कर सकते हैं और यही ईमानदारी जनता को अपेक्षित है। मुझे लगता है कि राजनीतिज्ञों को जनता के प्रति ईमानदार होना चाहिए। फिलहाल ऐसा ही माहौल चल रहा है। जबकि कुछ समय पूर्व तक लोगों को लगता था कि राजनीति स्वच्छ और ईमानदार प्रवृत्ति वालों के लिए नहीं है। १९९६ से लगातार मैं राष्ट्रीय राजनीति को देख रहा हूं। बहुत सारे बदलाव आए हैं। आधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है जो कि पहले न के बराबर होता था।
पिछली सरकार के कोयला घोटाले के भंड़ाफोड़ होने के बाद से भ्रष्टाचार में क्या कमी हुई है?
पिछली सरकार में केवल कोयला घोटाला नहीं था बल्कि उस समय टू जी, कामनवेल्थ जैसे घोटाले भी थे। लगभग हर मंत्रालय में घोटाले सामने आए थे। इसीलिए उन घोटालों के खिलाफ यह सरकार चुनी गई। प्रधान मंत्री जी ने जो ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ और ‘भ्रष्टाचार रहित शासन’ की बात की थी जो साबित हो रही है; क्योंकि किसी भी मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लग सका है। यह सरकार की सबसे बड़ी कामयाबी है। लोगों के मन में भी यह विश्वास है कि यह सरकार न तो घोटाले करेगी और न ही करने देगी।
 
जीएसटी और नोटबंदी पर आपके क्या विचार हैं?
ुर्भाग्य से राहुल गांधी ने जीएसटी के बारे में कहा कि हम जीएसटी हटा देंगे। यह बहुत बुरी बात है। क्योंकि इन सभी ने मिलकर जीएसटी को समर्थन दिया था। देश में पहला ही ऐसा विधेयक था जिसे विपक्षी पार्टी ने पुरानी भावनाओं से ऊपर उठकर समर्थन दिया। व्यापारियों की मांग थी। उसके बाद भी राहुल गांधी द्वारा यह कहना कि, ‘हम चुनके आएंगे तो जीएसटी खत्म कर देंगे’ यह तो अनुचित ही है। वे अब मुकर गए हैं। ये बहुत बुरी बात है। जनता इस पर विश्वास नहीं करेगी। जीएसटी का देश के बदलाव में भारी असर हुआ है। विशेष बात है कि जीएसटी में लोगों की जो मांग चलती है बदलाव की, तो ये साधारण सी बात है। जीएसटी के कानून में निरंतर बदलाव की गुंजाईश भी है। आगे जाकर इससे बहुत फायदा होने वाला है। इसमें लोगों में एक व्यावहारिकता आएगी, ऐसी हमारी धारणा है। और, लोग संतुष्ट हो जाएंगे।
जैसा कि मैं बता चुका हूं कि नोटबंदी से कश्मीर के आतंकवाद में काफी कमी आई है। पाकिस्तान से आने वाली जाली करंसी बंद हो गई है। गृह मंत्रालय की रिपोटर्स बताती हैं कि आतंकवादी गतिविधियों में काफी कमी आई है। गलत तरीके से कमाई करने वालों की कमाई रुक गई है इसलिए उन्हें तकलीफ हो रही है। वैसे भविष्य में नोटबंदी के बहुत अच्छे परिणाम आने वाले हैं। साहसी कार्यक्रम है। इतने ब़ड़े देश में इतना ब़ड़ा निर्णय लेने के लिए जिगर लगता है। जिगर के साथ में दो ब़ड़ी बातें की है प्रधान मंत्री जी ने और मुकाबला भी किया है। इनके अच्छे परिणाम आएंगे, इसका मुझे पूरा विश्वास है।
जेएनयू और कश्मीर में होने वाले आंदोलन तथा केरल में होने वाली संघ/भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं के प्रति आप क्या सोचते हैं?
जेएनयू में कम्युनिस्ट व लोकतंत्र विरोधी विचारधारा के लोग हैं तथा वहां सरकार विराधी कार्य किए जाते थे; क्योंकि कम्युनिज्म एक विदेशी विचारधारा है। बाहरी विचारधारा के लोग यदि यहां काम करने लगे तो भारत के प्रति उनका प्रेम कितना होगा, इसे हम सोच ही सकते हैं। कम्युनिस्ट पार्टी देश की विचारधारा, संस्कृति को तोड़कर ही काम करती आई है। उनकी विचारधारा में रंग गए विद्यार्थियों को हम देश की विचारधारा के साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं। कश्मीर की आजादी की बात करना देश को तोड़ने की बात करना है। जेएनयू में ऐसे नारे लगना दुखद है। जेएनयू में गोली नहीं चलानी है बल्कि संस्कार देना है। केरल में भी कम्युनिस्टों की ही वजह से हिंसक संस्कृति पनपी है। जहां कहीं भी और जब भी साम्यवादियों की सरकार आई है, वहां हत्याएं हुई हैं। वहां कांग्रेस के जमाने में इतनी हिंसक घटनाएं नहीं हुई थीं। वहां एक अलग संस्कृति विकसित की गई है। उसे समाप्त करना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि उन्हें जवाब नहीं मिला है।
आप पर्यावरण गो-संरक्षण तथा गो-संवर्धन के प्रति जागरूक रहे हैं। अपने व्यस्त राजनीतिक जीवन में इसके लिए कैसे समय निकाल पाते हैं?
मैं वर्षों सें जन प्रतिनिधि हूं। जब मैं मंत्री नहीं था तो मैंने खनन पर कार्य किया था। कृषि मंत्रालय में मैंने दस साल काम किया था। शरद पवार जी की अध्यक्षता वाली कमेटी का सदस्य रहा। उन सब चीजों से गाय के प्रति कार्य करने के लिए प्रेरणा मिली। मेरे संसदीय क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र और जंगल दोनों हैं। इसलिए भी बहुत कुछ जानने का मौका मिला। हम चंद्रपुर में प्रदूषण नियंत्रित करने में सफल रहे हैं। देशभर में ७ करोड़ हेक्टर जंगल है पर आप वहां से घास नहीं काट सकते। मैं काफी दिनों से ‘चारा बैंक’ की मांग कर रहा हूं। इन जंगलों का यदि एक प्रतिशत भी चारा काटने के लिए इस्तेमाल किया जाए तो गायों की दुर्दशा सुधर सकती है। पहले जानवरों के चरने का स्थान था, पर अब वह समाप्त हो चुका है। लोगों ने अतिक्रमण कर दिया है। इसलिए मेरा विचार है कि पुराने जंगली हिस्से में गौ अभयारण्य बनाने चाहिए। यदि पर्यावरण मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय इस पर मिलकर कार्य करें तो यह कार्य हो सकता है। ज्यादा नहीं हर जिले में लगभग १००० हेक्टर जंगल इस उपयोग में लाना है। साथ ही अशक्त गायों के लिए संरक्षण की व्यवस्था भी करनी चाहिए ताकि पशु तस्करी पर रोक लगे तथा जिस तरह पिछले दिनों कुछ निर्दोष लोग गौ तस्कारी की गलतफहमी में मारे गए, ऐसी घटनाएं न हों।
आपने अपने संसदीय क्षेत्र में क्या-क्या सुविधाएं दी हैं?
लगभग हर क्षेत्र में कार्य किया है। पानी, सड़क, इंड़स्ट्री, जंगल लगभग हर क्षेत्र में सकारात्मक कार्य किया है। हमारे यहां बिजली सरप्लस है। माइनिंग के क्षेत्र में काफी सुविधाएं विकसित की हैं। सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग, लौह अयस्क तथा लाइम स्टोन उद्योग होने के कारण हमने हाइवे, सड़क, रेलवे समेत तमाम सुविधाओं की तरफ ध्यान दिया है। पेयजल की समस्या पर भी काफी ध्यान दिया है। इसलिए धीरे-धीरे टैंकरों की संख्या कम हो गई है। शौचालय के मामले में भी हम काफी आगे हैं। किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिया है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु समेत कई शहरों के लिए नई गाड़ियां चलवाई हैं। चंद्रपुर अब महानगर बन चुका है। कुछ उल्लेखनीय बातें ये हैं-
गोंड साम्राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने का कार्य कर रहे हैं। रोजगार बढ़ाने की और विशेष ध्यान दिया है। जिनकी जमीनें खदानों में गईं उन्हें ज्यादा मुआवजा दिलवाया जो कि देश में शायद और कहीं नहीं हुआ है। हर किसान को दो लाख के बदले २५ लाख दिए। हमने दस हजार किसानों के लड़कों को रोजगार मंजूर करवाए जिनमें से साढ़े पांच हजार को स्थायी नौकरी मिल चुकी है। कुछ बिजली के प्लांट बंद पड़े थे। पर वर्तमान महाराष्ट्र सरकार ने बिजली का भाव कम किया जिससे उन्हें भी जीवनदान मिल गया है। ऐसा नहीं है कि सारी समस्याएं समाप्त हो गई हैं पर ज्यादातर पर पार पा लिया गया है।
गृह मंत्रालय में पदभार ग्रहण करने के बाद की मुख्य उपलब्धियां क्या रहीं?
वैसे तो मैं ऊपर आपको काफी चीजें बता ही चुका हूं। कश्मीर की बात बताई, नक्सलवाद की समस्या के समाधान की बात कही। हम दो और मुख्य बातों पर कार्य कर रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले कुपवाड़ा जिले की कुछ मुस्लिम बहनें आई थीं, हमसे मिलने के लिए। हम वहां की बुनाई व काष्ठकला जैसी परंपरागत चीजों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। वहां की कृषि, फल, ड्रायफ्रूट तथा ऊनी कपड़े के व्यवसाय को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं ताकि वहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले। हमने वहां के पुलिस बल को चुस्त बनाने तथा सीमा सुरक्षा पर भी काफी ध्यान दिया है। प्रधान मंत्री जी ने जो ८० हजार करोड़ का पैकेज दिया है उसमें से कुछ हिस्सा इस मद पर खर्च कर उनकी मार्केटिंग पूरे देश में करना चाहते हैं। नक्सल प्रभावित गावों में भी गाय, भैंस व मुर्गी पालन तथा सब्जी की खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इससे लोग नक्सलियों के प्रभाव में आने से बचेंगे। सरकार की योजनाओं के प्रतिपालन के लिए हम हर कैम्प, ट्रेनिंग सेंटर, बॉर्डर एरिया आदि में स्वयं जाते हैं। सरकार से फंड मिलने के बावजूद अफसर पैसे नहीं खर्च करते पर हमने कार्य करवाया। राजनाथ जी के दिशानिर्देशानुसार हम वे सारी चीजें कर रहे हैं।
गुजरात व हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भाजपा की क्या रणनीति होगी?
जीत की ही रणनीति होगी। प्रधान मंत्री जी ने मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात में काफी कार्य किया है। गुजरात व महाराष्ट्र की तुलना करें तो १९९९-२०१४ तक महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार थी जबकि २००१ से २०१४ तक गुजरात में मोदी जी ने मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य किया। एक समय दोनों प्रदेशों में एक समान १९ प्रतिशत सिंचाई होती थी। २०१४ में गुजरात में ४५% जबकि महाराष्ट्र में १७% सिंचाई थी। देश में सर्वाधिक पूरक व्यवसाय गुजरात में हैं। पूरे देश में गुजरात से अमूल दूध, कृषि उपज इत्यादि जाता है। नर्मदा बांध का पानी १५० फीट ऊपर खींचकर नहर व पाइप लाइन के माध्यम से कच्छ को दिया जा रहा है। आज पूरे कच्छ में सिंचाई हो रही है। यह एक भगीरथ प्रयास है। इसलिए वहां पर भाजपा जीतेगी।
‘हिंदी विवेक’ के पाठकों को देश की सुरक्षा के संदर्भ में क्या संदेश देना चाहेंगे?
कांग्रेसी सरकारों ने कश्मीर, नकसलवाद या उत्तर पूर्व के उग्रवाद को लेकर जो समस्याएं पैदा की थीं उन्हें कम करने में हमने भारी सफलता प्राप्त की है। प्रधान मंत्री जी की प्रेरणा, गृह मंत्री के सानिध्य में हम इन मामलों में पूर्ण सफल होंगे। लोगों से अपील करता हूं कि वे विश्वास बनाए रखें। आंतरिक सुरक्षा के मामले में हम महिलाओं तथा आम नागरिकों को भयमुक्त समाज दिलाने में सफल होंगे।

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अमोल पेडणेकर

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समाज को समर्पित समस्त महाजन

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