वात्सल्य एवं राजनीति का संगम

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श्री नरेन्द्रभाई ने पू. प्रमुख स्वामी के आशीर्वाद लेने हेतु फोन किया तो कहना पड़ा कि स्वामीश्री आराम कर रहे हैं। दोपहर को और बाद में शाम को फिर फोन किया, उत्तर वही था। श्री नरेन्द्रभाई ने कहा कि स्वामीश्री के श्वासोच्छवास को सुन पाऊं, कुछ इस तरह फोन उनके पास रखिए। वही मेरे लिए आशीर्वाद समान होगा। विश्व की संस्कृति के इतिहास पर दृष्टि करने से पता चलता है कि प्राचीन समय में ऋषियों की तेजस्वी आंखों को जमाने का कोई डर नहीं था। वे स्वार्थबुद्धि से परे होने के कारण सत्यवक्ता और स्पष्टवक्ता भी थे। केवल जनकल्या

संघर्षों के बीच

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‘‘प्रकाश को बीच में आया देखकर मंगलसिंह समझ गए थे कि युद्ध का कमान अब पुरानी पीढ़ी से हट कर नई पीढ़ी पर आ गई है जो पुरानी पीढ़ी की स्थापित मान्यताओं को ज्यों-का-त्यों स्वीकारने को कभी तैयार नहीं होगी। बाजी भी हार चुके थे। इसलिए टकराव से अच्छा यही

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सार्थक विहंगम दृष्टि

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वैसे तो ‘संघ’ शब्द के कई पर्याय हैं; मसलन वृंद, समुदाय, समूह, गण, झुंड इत्यादि। पर इस शब्द का प्रयोग करने पर सबसे पहली जो तस्वीर हम सबकी आंखों में आती है, वह है भगवा ध्वज तले सफेद व खाकी पहिरावे में ‘नमस्ते सदा वत्सले...’ की मधुरिमा से आलोकित स्वयंसेवकों का समूह जो निःस्वार्थ भाव से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपने आपको समर्पित करते हुए राष्ट्र भावना को सार्थकता प्रदान करते हैं। अपने प्रवास के ९ दशकों में तमाम कठिनाइयों, दबावों तथा प्रतिबंधों को परे करते हुए विश्व का सबसे बड़ा स्वयंस

समाज को समर्पित समस्त महाजन

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‘समस्त महाजन’ केवल जीवदया को ही समर्पित नहीं है, वह मूल्यों पर आधारित शिक्षा तथा विपदा की स्थिति में फंसे मानव की सेवा को भी समर्पित है। इसलिए जल, जंगल, जानवर और जमीन इन चार बातों के संवर्धन के लिए कार्य करना हमारा मिशन है। संस्था के इन कार्यों की रूपरेखा को विशद किया संस्था के अध्यक्ष गिरीशभाई शाह ने एक विशेष भेंटवार्ता में। प्रस्तुत है उसके महत्वपूर्ण अंश-   समस्त महाजन संस्था की स्थापना का मूल उद्देश्य क्या है? संपूर्ण विश्व में कोई भी जीव भूखा न सोए और भूख की वजह से न मर जाए। मनुष्

समस्याएं उलझी नहीं, काबू में आईं – हंसराज अहीर

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कांग्रेसी सरकारों ने कश्मीर, नकसलवाद या उत्तर पूर्व के उग्रवाद को लेकर जो समस्याएं पैदा की थीं उन्हें कम करने में हमने भारी सफलता प्राप्त की है। विश्वास रखें कि आंतरिक सुरक्षा के मामले में हम महिलाओं तथा आम नागरिकों को भयमुक्त समाज दिलाने में सफल होंगे। यह विश्वास व्यक्त किया है केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री हंसराज अहीर ने एक विशेष साक्षात्कार में। प्रस्तुत है उनसे देश की राजनीति, सुरक्षा, नक्सलवाद, रोहिंग्या, घुसपैठ, चीन-पाक से रिश्तें जैसी समस्याओं पर हुई प्रदीर्घ बातचीत के चुनिंदा अंश-  देश से जु़ड़े

सऊदी अरब के कथित ‘आदर्श’ की हकीकत

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सऊदी अरब जैसे कट्टर वहाबी देश के युवराज अब कह रहे हैं कि वे उदारवाद की ओर लौटना चाहते हैं। इसके नमूने के तौर पर वे महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति देने की बात पेश करते हैं। इसकी दुनियाभर में खूब चर्चा भी हुई। लेकिन असलियत कुछ और ही बयान करती है। सऊदी अरब के युवराज ने हाल ही में कहा है कि ‘वे पुन: उदारवाद की ओर जाना चाहते हैं।’ सऊदी ही मुसलमानों का उद्गम स्थान है। वहां की परंपराएं, प्रथाएं तमाम मुस्लिम समाज के लिए आदर्श मानी जाती हैं। परंतु आज भी महिलाओं तथा अन्य सम्प्रदायों के लिए उनके मन म

शिंजो आबे को प्रचंड बहुमत

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जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे की हाल के चुनावों में प्रचंड जीत के पीछे उनकी आर्थिक नीतियां और जापान को सशक्त सैन्य बल प्रदान करने के लिए संविधान संशोधन प्रस्तावित करना है। यह इस बात का संकेत है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब जापानी समाज बदल चुका है। आबे की सरकार अमेरिका, जापान और भारत के बीच त्रिपक्षीय सैन्य गठबंधन की इच्छा रखती है। एशिया में यह नए युग का सूत्रपात हो सकता है। जापान के प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने २४ अक्टूबर को संपन्न संसदीय चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी की है। आबे की

भंसाली, पद्मावती और विवाद

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आम दर्शक सोलहवीं सदी के सूफी फकीर मलिक मोहम्मद जायसी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ के पन्नों में चित्रित महारानी पद्मावती के सौंदर्य, वीरता और जौहर को सत्तर एमएम के पर्दे पर जरूर देखना चाहता है| लेकिन फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी के स्वप्न में रानी पद्मावती के आने  के कथित दृश्य को लेकर विवाद उपजा है| इस संबंध में जनभावनाओं को ध्यान में रखना जरूरी है|

चीन की पानी डकैती

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चीन तिब्बत में झांगबो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर बांधों की शृंखला बना रहा है। अब जो नया विशालतम और बेहद खर्चीला बांध बन रहा है वह भारत-भूटान सीमा के पास तिब्बत के संगरा जिले में होगा। इस बांध का पानी उत्तर-पश्चिम में मोड़कर शिंजियांग प्रांत के तकलीमाकन रेगिस्तान तक पहुंचाया जाएगा। चीन की इस पानी डकैती का पूर्वोत्तर भारत पर गहरा असर पड़ने वाला है। भविष्य में जलयुद्ध का यह आगाज मानने में क्या हर्ज है? ‘ब्रह्मपुत्र’ नाम से हम सब परिचित हैं। उसी का तिब्बती नाम है यार्लंग झांगबो। तिब्बती में ‘झांग

महाशक्तियों का शतरंज

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उत्तर कोरिया की मगरूरी वास्तव में चीन की मगरूरी है। अमेरिका तथा चीन के बीच शतरंज का एक खेल उत्तर कोरिया को प्यादा बनाकर खेला जा रहा है। उसी प्रकार चीन व भारत के बीच शतरंज का मोहरा चीन ने पाकिस्तान को बनाया है। राष्ट्रतंत्र का एक अकाट्य सिद्धांत है, यदि आप गलत जड़ों को पानी देंगे तो आपको अच्छे फल कहां से व कैसे मिलेंगे? आज कुछ राष्ट्र ऐसे हैं जो पूरे विश्व के लिए समस्या बन गए हैं। इनमें चीन, उत्तर कोरिया तथा पाकिस्तान प्रमुख हैं। पूरे विश्व में अराजकता, असुरक्षा तथा अव्यवस्था का वातावरण बन गया है। यहां त

विवेकानंद ही युवाओं के तारणहार

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अन्ना हजारे के आंदोलन की विफलता के बाद देश के युवाओं में आई हताशा को दूर करना और उनकी उम्मीदों को सकारात्मकता से जोड़कर उन्हें राष्ट्रीय और सामाजिक कार्यों से जोड़ना बहुत आवश्यक था। इस विशाल कार्य को करने के लिए प्रेरणा देने की स्वामी विवेकानंद के विचारों में ही अद्भुत क्षमता है। इन्हीं विचारों को लेकर डॉ. राजेश सर्वज्ञ ने विवेकानंद यूथ कनेक्ट की स्थापना की। प्रस्तुत है उनकी संस्था और कार्यों के बारे में उनसे हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-   अपनी संस्था व उसके निर्माण की प्रक्रिया के बारे में बताएं।अ

वायु प्रदूषण का आपातकाल

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देश की राजधानी दिल्ली का जहरीले धुएं और धुंध से दम घुटता जा रहा है। यह केवल दिल्ली की ही नहीं, अन्य नगरों की भी समस्या है। वायु प्रदूषण कुलीन लोगों की सुविधा, लाचार किसानों की मजबूरी और कारखानों में काम कर रहे लोगों की आजीविका से जुड़ा मुद्दा भी है। इसलिए इस समस्या का हल एकांगी के बजाय बहुआयामी उपायों से ही संभव हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को आपातकाल की संज्ञा दी है। साथ ही दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि राष्ट्रीय राजधानी

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