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आधुनिक ऋषि -श्री भिडे गुरुजी

by सुहास कुलकर्णी
in सामाजिक, स्वच्छ भारत अभियान पर्यावरण विशेषांक -२०१८
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भारतवर्ष में ऋषि परंपरा का बहुत महत्व है। आदिकाल से ऋषि-मुनियों का देश के जनमानस पर एक विशेष प्रभाव रहा है। उनका शब्द अंतिम शब्द माना जाता था; चाहे वह राजा के लिए हो या प्रजा के लिए। परंतु वर्तमान समय में इस परंपरा का स्वरुप बदल गया है। वर्तमान में जिन्हें हम ऋषि-मुनि की उपमा देते हैं, वे जगलों में आश्रम बना कर तपस्या करने वाले न होकर समाज में रह कर सामान्य व्यक्तियों सा सादा जीवन व्यतीत करने वाले महामानव हैं। वे अपने कार्यों से, अपनी वाणी से समाज का दिशानिर्देशन करते हैं। कई बार वे इतने प्रभावी होते हैं कि समाज उनके पीछे अपने आप चल पड़ता है। वे ‘‘स्व’’ की चिंता न करते हुए समाज एवं राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने में ही अपने को धन्य मानते हैं।

ऐसे ही एक ऋषितुल्य व्यक्तित्व का नाम है, आदरणीय संभाजीराव भिडे अर्थात भिडे गुरुजी। गुरुजी इस नाम से ही जाने जाने वाले श्री संभाजीराव भिडे का जन्म एवं शिक्षा महाराष्ट्र के पुणे में हुई। उन्होंने पुणे विश्‍वविद्यालय से न्यूक्लियर फिजिक्स में स्नातकोत्तर उपाधि स्वर्ण पदक सहित प्राप्त की। फर्ग्युसन कॉलेज में वे प्रोफेसर भी रहे। ऐसे श्री गुरुजी अपनी इस विद्वत्ता का अपने स्वत: के लिए भरपूर उपयोग कर सकते थे परंतु जिनका जन्म ही देश के लिए हुआ हो वे इन बातों में भला कैसे रम सकते हैं। बचपन से ही विरक्त वृत्ति के भिडे गुरुजी ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र कार्य हेतु समर्पित कर दिया।

ग़ुरुजी ने अपने राष्ट्र कार्य का प्रारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से किया। वे संघ के प्रचारक बने। आज के कई राजनेता कभी संघ में गुरुजी के मार्गदर्शन में ही तैयार हुए हैं, संघ में प्रचारक के रुप में काम करते हुए उन्होंने अपने आप को पूर्णत: उस कार्य हेतु समर्पित कर दिया एवं अपने इस समर्पण भाव के कारण अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया।

सन १९८५ के आसपास श्री गुरुजी ने ‘श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान’ नामक संस्था की स्थापना की एवं स्वतंत्र रुप से ‘हिंदुत्व’ हेतु कार्य करना प्रारंभ कर दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज एवं धर्मरक्षक छत्रपति संभाजी महाराज का आदर्श युवा पीढी के सामने रखते हुए उन्होंने समाज में हिंदुत्व की अलख जगाना प्रारंभ किया।

छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के आराध्य देवता हैं ऐसा हम कहते हैं,परंतु क्या हमने शिव छत्रपति को समझा? कहीं हमने उन्हें केवल महाराष्ट्र का आराध्य देवता बनाकर सीमित तो नहीं कर दिया? इसी महाराष्ट्र के श्री भिडे गुरुजी ने यह आजीवन व्रत लिया है कि यदि महाराष्ट्र के व्यक्ति-व्यक्ति विशेषकर युवा वर्ग का रक्तसमूह(ब्लडग्रुप) जानने की कोशिश की जाए तो वह शिव-संभाजी हो। ‘सादा जीवन-उच्च विचार’ का मूर्तिमंत स्वरुप याने श्री भिडे गुरुजी। धोती-कुर्ता, भगवा रंग का साफा या सफेद टोपी, पावों में चप्पल नहीं ऐसे श्री भिडे गुरुजी यदि आपके पास बैठे हो या आपके पास से गुजर जाए तो शायद आपका उनकी ओर तब तक ध्यान ही न जाए, जब तक आपको यह ज्ञात न हो कि इस व्यक्ति का देश में विशेषकर महाराष्ट्र में क्या महत्व है और यह व्यक्ति कितना उच्च शिक्षित हैं।

सांगली में वर्तमान में ८५ वर्ष की उम्र में भी वे शहर में साइकिल से घूमते हैं। सांगली से बाहर का प्रवास वे अपने खर्च से बस या ट्रेन से करते हैं।

श्री संभाजीराव विनायकराव भिडे अर्थात भिडे गुरुजी महाराष्ट्र में निर्माण हुआ एक अजब रसायन है। अत्यंत तीव्र स्मरण शक्ति, अचंभित करने वाली बुद्धिमत्ता, शरीर में रोमांच पैदा करने वाली वक्तृत्व शक्ति एवं बारहों माह चौबीसों घंटे चलने वाला प्रवास। वे जहां खड़े रहते हैं वहां असंख्य नौजवान उनके चारों ओर एकत्रित हो जाते हैं। आज भी फेसबुक पर ४७ हजार से ज्यादा लोग उन्हें फॉलो करते हैं।

प्रत्येक हिंदू के रक्त की प्रत्येक बूंद में, श्री शिवछत्रपति व धर्मरक्षक संभाजी महाराज के समान देश व धर्म के लिए जीने-मरने की क्षमता एवं तीव्रता हो इसके लिए श्री गुरुजी ने ‘ श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान’ की स्थापना की। श्री गुरुजी स्वत: को भी ‘धारकरी’ कहते हैं एवं उनके सभी अनुयायी भी धारकरी कहलाते हैं। इस प्रतिष्ठान के माध्यम से वे प्रत्येक गांव के प्रत्येक तरुण के मन में राष्ट्रनिष्ठा, ध्येयनिष्ठा एवं धर्मनिष्ठा जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

वे कहते हैं कि हम स्वत: से पूछें कि हमारे जीवन का, जीवित रहने का ध्येय क्या है और हमारे अंदर से उत्तर मिलना चाहिए कि इस मातृभूमि का कर्ज चुकाने हेतु हमें जिजाऊ-सुत छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करना है। यह सीख प्रत्येक के तन मन में समाहित हो यह ‘श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान’ का उद्देश्य है। इसके लिए पूरे वर्ष श्री गुरुजी के शब्द को प्रमाण मान कर उनके असंख्य फॉलोअर (धारकरी) विविध उपक्रम पूर्ण करते हैं। इन उपक्रमों के माध्यम से व्यक्ति-व्यक्ति को आपस में जोड़ने का एवं मातृभूमि के प्रति कर्तव्य पूर्ण करने का काम होता है।

शिवाजी महाराज के जीवन का अंतरंग सच्चे अर्थों में समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का अत्यंत मूल्यवान कार्य श्री गुरुजी ने किया है। शिव जयंती के चौखट में फंसे ‘शिवाजी’ को श्री गुरुजी ने चौखटमुक्त किया एवं ‘शिवाजी’ नामक तत्वज्ञान को लोगों तक पहुंचाया। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन आदर्शों को प्रमाण मान कर जीने वाली तरुण पीढ़ी को गढ़ने का महत्वपूर्ण राष्ट्रकार्य श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान संस्था अपना व्रत समझ कर कर रही है। करीब पंद्रह वर्ष पूर्व श्री बाबासाहेब पुरंदरे द्वारा लिखित ‘राजा शिवछत्रपति’ ग्रंथ की प्रतियां एक लाख नौजवानों के हाथों में पहुंचाने का क्रांतिकारक कार्य श्री गुरुजी ने पूरे मनोयोग से पूर्ण किया।

धर्मवीर संभाजी महाराज द्वारा धर्म के लिए किए गए बलिदान की गाथा आदरणीय गुरुजी के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंची। धर्मवीर संभाजी की हत्या का कारण इस्लामी आतंकवाद आज भी अस्तित्व में है। उसे धराशायी करने के लिए धर्मवीर बलिदान माह मनाने की पद्धति श्री गुरुजी ने गांव-गांव में प्रारंभ की।

२०१४ के आम चुनावों के पहले जब शिवप्रतिष्ठान के एक कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी (तब वे प्रधान मंत्री नहीं थे) आए थे तब उन्होंने कहा-‘‘मैं भिडे गुरुजी का बहुत आभारी हूं क्योंकि उन्होंने मुझे निमंत्रण नहीं दिया था वरन हुकुम दिया था। मैं भिडे गुरुजी को बहुत सालों से जानता हूं। हम जब समाज जीवन के लिए कार्य करने के संस्कार प्राप्त किया करते थे, हमारे सामने भिडे गुरुजी का उदाहरण दिया जाता था। उनकी सादगी, उनका कठोर परिश्रम, ध्येय के प्रति समर्पण और अनुशासन। अगर कोई भिडेजी को बस में मिल जाए, रेल में मिल जाए, तो वो कल्पना नहीं कर सकता कि वे कितने बड़े दार्शनिक हैं। मंच पर बैठने के लिए तैयार नहीं हैं। वे नीचे जाकर बैठ गए। मेरा मन करता था मैं आग्रह करूं पर पता नहीं वे मानेंगे कि नहीं मानेंगे।’’ नरेन्द्र मोदी तब प्रधान मंत्री नहीं थे, लेकिन वे तब भी नरेन्द्र मोदी ही थे। उपरोक्त बातों को पढ़ने पर गुरुजी की लोकप्रियता का अंदाजा लग जाता है। शायद यही वजह रही कि मोदीजी ने कभी भिडे गुरुजी को दरकिनार नहीं किया। एक बार वे रैली के लिए सांगली आए थे तब भिडे गुरुजी को मिलने के लिए उन्होंने अपना सुरक्षा घेरा तोड़ा था।

सामान्य लोगों के असामान्यत्व को जागृत करने का कार्य ऋषि-मुनि, संत महात्मा करते रहते हैं। भिडे गुरुजी के मार्गदर्शन में यही कार्य ‘श्री शिवप्रतिष्ठात हिंदुस्थान’ के माध्यम से किया जा रहा है।

मोबा. ९८९०९०९०१२

 

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