नेपाल त्रासदी और समस्त महाजन

 

नेपाल भूकंप
इंट्रो : इस भूकंप के कारण करीब आठ हजार लोग मौत के मुंह में समा गये। हजारों घायल हुए तथा लाखों परिवार बेघर हो गये। काठमांड़ू वैली की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स, काठमांड़ू के दरबार स्क्वेयर और भक्तापुर दरबार स्न्वेयर समेत नेपाल के कई भागों को इस विनाशकारी भूकंप ने अपनी चपेट में ले लिया। भारत के करीब ८० नागरिकों सहित विश् ‍ व के कई अन्य देशों के नागरिक भी इस भूकंप की त्रासदी में काल कवलित हो गये।

 

भारत का प़ड़ोसी देश नेपाल। पहा़ड़ों एवं तराई में बसे इस हिमालयीन देश का प्राकृतिक सौंदर्य अप्रतिम है। भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर के लिये प्रसिद्ध नेपाल का भारत के साथ विशेष सांस्कृतिक-सामाजिक संबध है। भारत से नेपाल एवं नेपाल से भारत बिना वीजा-पासपोर्ट के आया जाया जा सकता है। हिंदू बहुल भारत एवं हिन्दू बहुल नेपाल में विशेष संबध है। भारत क़ी सेनाओं में कई नेपाली(गोरखा) सैनिक हैं। पहा़ड़ी प्रदेशों में भी ये नेपाली अपनी विशिष्ट शारीरिक क्षमताओं के कारण जाने जाते हैं।
ऐसे हमारे इस प्रिय प़ड़ोसी देश में २५ अप्रैल २०१५ का दिन एक ऐसी भीषण त्रासदी के लिये हमेशा जाना जायेगा जिसक़ी कल्पना नेपाल वासियों ने कभी नही की थी। नेपाल के इतिहास में यह सबसे दर्दनाक दिन साबित हुआ,सन् १९३४ में आए नेपाल बिहार भूकंप के पश्चात् सबसे विनाशक साबित होने वाले २५ अप्रैल २०१५ के भूकम्प ने नेपाल की भूमि को भी रक्तरंजित कर दिया। इस भूकंप के कारण करीब आठ हजार लोग मौत के मुंह में समा गये। हजारों घायल हुए तथा लाखों परिवार बेघर हो गये। काठमांड़ू वैली की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स, काठमांड़ू के दरबार स्क्वेयर और भक्तापुर दरबार स्न्वेयर समेत नेपाल के कई भागों को इस विनाशकारी भूकंप ने अपनी चपेट में ले लिया। भारत के करीब ८० नागरिकों सहित विश्व के कई अन्य देशों के नागरिक भी इस भूकंप की त्रासदी में काल कवलित हो गये।
विशेषज्ञों के अनुसार नेपाल को त्रासदी से उबारकर पूर्ववत् स्थिति में लाने हेतु करीब पांच बिलियन अमेरीकन डालर अर्थात करीब सवा तीन लाख करो़ड़ भारतीय रुपयों की दरकार थी। भारत के लिये नेपाल एक छोटे भाई का दर्जा रखता है। इस राष्ट्र का जनजीवन सामान्य हो इससे अधिक आनंद एवं प्रसन्नता की बात भारत के लिये क्या हो सकती थी! भले ही नेपाल एक अलग राष्ट्र की मान्यता रखता हो परंतु वहां के निवासी हैं तो हमारे अपने ही। इस कार्य हेतु समर्पितता के साथ योगदान करना हमारा उत्तरदायित्व था। भारत सरकार एवं अन्य विदेशी सरकारों ने अपनी सहायता राशि एवं सामग्री नेपाल भेजना शुरू कर दिया था। देश की कई समाज सेवी संस्थायें इस कार्य हेतु आगे आ रही थी।
इस परिस्थिति में समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी संस्था ‘समस्त महाजन‘ कैसे पीछे रहती। संस्था ने भी भूकंप के तुरंत बाद अपने कार्यकर्ताओं की टीम को नेपाल भेजकर अपना उत्तरदायित निभाना प्रारंभ कर दिया। अनाज,तेल वगैरह के साथ कम्बल, भोजनगृह भी कार्यान्वित किया। यह भोजनगृह रोज हजारों भूकंप पीड़ितों को भोजन प्रदान कर रहा था। दूसरी ओर कार्यकर्ताओं ने नेपाल में अलग-अलग गांवों में जाकर राहत सामग्री बांटने का बहुत ब़ड़ा कार्य परिपूर्ण किया। उसमें २५००० किलो चावल, २५००० किलो दाल,१०००० कंबल,१०००० टेन्ट जैसी चीजें शामिल थी।
समस्त महाजन समाज नेपाल में लम्बे समय तक राहतकार्य जारी रखने के लिये समर्पित था। संस्था की इच्छा थी इस कार्य में अधिक से अधिक लोग अपना योगदान दें, इसके लिये ‘समस्त महाजन‘ ने दानदाताओं के लिये अपील भी जारी की थी एवं उसका समुचित प्रतिसाद भी उन्हें प्राप्त हुआ।
दि-२७/४/२०१५ से भूकम्प सहायता का कार्य पूरी तेजी से प्रारंभ कर दिया गया था, जो निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है।
२७/४/२०१५-मुम्बई में समस्त महाजन की बैठक
२८/४/२०१५-कार्यकर्ताओं की अग्रणी टीम संस्था के पदाधिकारी एवं तीन रसोइयों के साथ नेपाल के लिये रवाना।
२९/४/२०१५-नेपाल पहुंचकर जैन समाज के सहयोग से दा़ड़ापूरसा सीताराम स्कूल के पास विशाल भोजन गृह का प्रारंभ। पहले ही दिन ४००० लोगों को भोजन की आपूर्ति
३०/४/२०१५-संस्था के सदस्यों की दूसरी टीम का नेपाल आगमन। नेपाल जैन संघ के कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के सहयोग से आसपास के भूकम्पग्रस्त गांवों का सर्वे। १०००० लोगों को भोजन की आपूर्ति
१/५/२०१५-सिंधुपाल चौक के चार और चौतर्ग जिले के पांच गांवों में भूकम्प पीड़ितों की सहायता (चावल और दाल का वितरण ‘ भोजनगृह में ५५०० लोगों को भोजन की आपूर्ति
२/५/२०१५-सागाचौक,पलोट,पदावारी,वानिच में भूकम्प पीड़ितों की सहायता में चावल और दाल का वितरण।
भोजनगृह में १०००० लोगों को भोजन की आपूर्ति।
३/५/२०१५-काब्रे गांव, रियाली, कुशादेवी में भूकंप पीड़ितों की सहायता। चावल और दाल का वितरण।
४/५/२०१५-देवभूमि बालुआ, रानीपानी, बकुलतार, खामपुर,अजितार, आपगा़ड़ी,जाबेतार में दो ट्रक राहत सामग्री,चावल, तेल की आपूर्ति
५/५/२०१५ कार्यकर्ताओं की तीसरी टीम का नेपाल आगमन। पहली टीम ने ठाकुरी गांव, ओगातार, लुईतेल, नयागांव, बास्मे, कारकेतर में पीड़ितों की सहायता की। चांवल और दाल का वितरण किया।
६/५/२०१५-दधिंग जिले, गाजुरी, नया बारी में पीड़ितों की सहायता। चावल, दाल, तेल का वितरण। कालीकोट जिले,सुरसरी, कपालादादा, कहानपरी, थामा गांव में पीड़ितों की सहायता। चावल, दाल, तेल, कम्बल का वितरण। शाम को भारत से एक ट्रक कम्बल आये।
७/५/२०१५-पहली टीम ने काब्रे जिले,श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर, होकसे, पुलीवेग में राहत कार्य किया। कम्बल का वितरण। भगवती मंदिर का सर्वे किया। दूसरी टीम ने धर्मस्थली में कंम्बल वितरण किया, काब्रे प्लान चौक में चावल, दाल का वितरण।
८/५/२०१५- आपसारी गांव में भोजनगृह का प्रारंभ। दोकसे, शीरापानी, खारेल चौक, थीसा पानी, कालाकोट,शिखरकतेरी में पीड़ितों की सहायता। चावल, दाल, तेल, कम्बल का वितरण,
इस प्रकार १६ मई २०१५ तक निरंतर भोजन सेवा। उस दिन तक चावल दाल का भी वितरण। कुल १०००० कम्बल एवं १०००० टेन्ट का वितरण। २५०००/- की लागत से २०० घरों का निर्माण। करीब २०० स्कूलों को एक लाख रु की सहायता। जरूरत के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों में दवाइयों की आपूर्ति। कार्यरत अनाथालयों एवं वृद्धाश्रमों की जरूरतों का सर्वे एवं उनकी आपूर्ति। बेघर एवं अनाथ हुए करीब १०० बच्चों को गोद लिया गया।
इस प्रकार ‘‘समस्त महाजन‘‘ ने अपने शुभचिंतकों एवं दानदाताओं की सहायता से नेपाल भूकंप त्रासदी में हर संभव सहायता प्रद्दान की। वास्तव में त्रासदी भी इतनी ब़ड़ी थी कि यह सहायता भी अल्प ही प्रतीत होती थी, परंतु संस्था ने अपने सदस्यों में जो सहायता का भाव जगाया एवं उन्हें प्रेरित किया वह अनुकरणीय है।

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