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शाहीनबाग जैसे आंदोलनों की समाप्ति के लिए सेना जरुरी -सुब्रह्मण्यम स्वामी  

by अमोल पेडणेकर
in विशेष, साक्षात्कार
1

देश में जो वर्तमान परिदृश्य दिखाई दे रहे हैं, उस पर आपके क्या विचार हैं?

वर्ष 2014 में पहली बार पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनी और प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी जी का राष्ट्रीय पटल पर उदय हुआ। कई ऐसी विदेशी ताकतें हैं, जो भारत को कमजोर करना चाहती हैं। देवगौड़ा, गुजराल, मनमोहन सिंह ये सारे कमजोर प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस पार्टी सोनिया गांधी के प्रभाव में थी। तब विदेशी ताकतें बहुत आसानी से भारत को विश्वशक्ति न बनने देने का कार्य करती रहीं। भारत-पाकिस्तान आपस में ही उलझे रहें और लड़ते रहें, यही विदेशी ताकतें चाहती थीं। लेकिन नरेन्द्र मोदी किसी के बंधन या दबाव में नहीं आए और

धीरे-धीरे दुनिया में मोदीजी और भारत को मान्यता व प्रतिष्ठा मिलने लगी। अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिवसीय भारत यात्रा पर आये थे और उन्होंने मोदीजी और भारत की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। एक ओर भारत देश दुनिया में मोदी जी के नेतृत्व में नित नए ऐतिहासिक कीर्तिमान बनाता जा रहा है और दूसरी ओर विदेशी ताकतों के इशारे पर राष्ट्र विरोधी तत्व मोदी जी और देश को बदनाम करने के लिए नए-नए षड्यंत्र रच कर विरोध प्रदर्शन कर रही है।

सीएए को लेकर मुस्लिम समुदाय में काफी रोष दिखाई दे रहा है, उसका क्या कारण है ?

इसमें दो प्रकार के कारण है। एक है इस कानून के बारे में बिना कुछ जाने समझे भयभीत हो जाना और दूसरा है मुस्लिम समुदाय को गुमराह किया जाना। जबकि सच्चाई यह है कि इस कानून से किसी भी नागरिक को कोई खतरा नहीं है। सीएए में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे घबराना पड़े। किसी की नागरिकता छिनने का प्रश्न ही नहीं है। इस कानून में धार्मिक रूप से भेदभाव करने का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए किसी के साथ अन्याय करने का तो सवाल ही नहीं उठता। इसके पूर्व समय-समय पर कांग्रेस के शासनकाल में भी शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही गई है। महात्मा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान पार्लियामेंट में बार-बार कांग्रेस ने प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का समर्थन किया है। महात्मा गांधी ने भी भारत में हिन्दुओं और सिखों को नागरिकता देने की बात कही थी। तत्कालीन सरकारों ने उन्हें नागरिकता नहीं दी लेकिन उन्हें एक पर्चा जरुर दिया था। नागरिकता के बिना तो नौकरी नहीं मिलती, इसके लिए तत्कालीन सरकार के द्वारा उन्हें कुछ सुविधाएँ दी जाती थीं। उन्हें अपनी जिन्दगी गुजर बसर करने के लिए भत्ता दिया जाता था। उस समय वह सभी टेंटो में रहते थे। अब सीएए के खिलाफ कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने प्रोपेगेंडा करना शुरू कर दिया है। मुस्लिम समुदाय को भड़काना शुरू कर दिया है कि तुम्हारी नागरिकता खतरे में है घरों से बाहर निकलो। सीएए के खिलाफ में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं का इस्तेमाल एक रणनीति के तहत किया जा रहा है। मैंने गृह मंत्री जी से कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। बच्चों का इस तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह हमारे कानून के खिलाफ है।

क्या एनपीआर और एनआरसी लाने का यह सही समय है ?

पार्टी ने अभी अधिकारिक रूप से इस पर कोई रुख साफ नहीं किया है। मैं व्यक्तिगत रूप से कहना चाहता हूं कि दुनिया में कुल 51 देश ऐसे है जो मुस्लिम बहुसंख्यक और इस्लामिक राष्ट्र है। यदि मुस्लिमों के साथ धार्मिक आधार पर भेदभाव होगा या उनका उत्पीड़न होगा तो वह इस्लामिक देश में जा सकते है लेकिन हिन्दुओं का तो दुनिया में एक ही देश है और वह है भारत। इसलिए इस्लामिक देशों में हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जायेगा तो स्वाभाविक रूप से वह भारत की ओर ही रुख करेंगे। मैं आपको एक वाकया बताता हूं, अफ्रीका में जो इंग्लिश नागरिक रह रहे थे उनमें खासकर भारतवंशी गुजरातियों की हालत ख़राब कर दी। उन्हें देश छोड़ कर भागना पड़ा. तब उन्होंने इंग्लिश नागरिक होने के नाते इंग्लैंड से शरण मांगी। तब इंग्लैण्ड ने उन्हें शरण देने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि तुम्हारे पास पासपोर्ट है और तुम भारतवंशी हो इसलिए तुम भारत जाओ। हिन्दू यानी सनातन धर्मी, बौद्ध, जैन, सिख इनके लिए दुनिया में भारत को छोड़ कर कहीं जगह नहीं है। इसलिए इन्हें नागरिकता देनी चाहिए। मुस्लिमों के लिए हमने अलग से देश बना कर दे दिया है। मुसलमानों ने देश के टुकड़े कर के अपने लिए इस्लामिक देश बनाया। फिर क्यों वह भारत आना चाहते है ? पाकिस्तान और बांग्लादेश से मुसलमान भारत क्यों आ रहे है ? क्योंकि हमारे देश में ज्यादा तनख्वाह मिलती है। हमारे देश में आर्थिक प्रगति करने के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध है। स्पष्ट है आर्थिक लाभ के लिए वह हमारे देश में आते है। यूनाइटेड नेशन के अनुसार रिफ्यूजी का जो डेफीनेशन है उसमें तो आर्थिक कारणों से जो लोग आते है उन्हें रिफ्यूजी नहीं माना जाता। केवल जिन्होंने यातनाएं भोगी है, उत्पीड़न सहा है, धार्मिक आधार पर जिसे निशाना बनाया गया है। ऐसे लोगों को ही रिफ्यूजी माना जाता है। यदि मुझसे यह सवाल पूछा जाये कि किसी देश से हिन्दुओं को निकाल दिया जाये तो आप क्या करोगे ? तो मेरा स्पष्ट जवाब है कि तत्काल मैं ससम्मान उन्हें नागरिकता प्रदान करूँगा। मुस्लिम जाना चाहे तो वह पाकिस्तान जा सकते है।

श्रीराम जन्मभूमि मामले में आप गत दो सालों से जिस विश्वास के साथ ये कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हमारे पक्ष में ही आएगा, वह विश्वास आप में कहां से आया ?

पहले राम जन्मभूमि का जो विवाद था वह जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर था। राम जन्मभूमि न्यास समिति ने कहा कि यहां मंदिर था, उसके हम ट्रस्टी थे और यह जमीन हमारी है। सुन्नी बोर्ड ने यह नहीं कहा कि मस्जिद की जगह है बल्कि उसने वक्फ बोर्ड की मालिकाना जमीन होने का दावा किया. तो यह मामला प्रोपर्टी को लेकर चल रहा था। मुझे ऐसा लगता है कि भगवान ने ही मेरे मन में यह दृढ़ विश्वास भरा होगा। इसलिए मैंने पूर्ण विश्वास के साथ कहा कि मेरी यह आस्था है कि राम भगवान का जन्म यहीं हुआ है। इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता है। क्योंकि हमारे कानून में भी इसको मूलभूत अधिकार माना गया है, मुझे पूजा करने का अधिकार है और वह मूलभूत अधिकार है। यह जो जमीन की लड़ाई थी, यह तो साधारण अधिकार है। यदि मूलभूत अधिकार और साधारण अधिकार में संघर्ष होगा तो मुलभुत अधिकार को ही मान्यता मिलेगी और यही हुआ।

श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कब पूरा होगा ?

रामनवमी के शुभ अवसर पर इसका शिलान्यास होगा और मुझे लगता है कि 2 से 3 वर्षों में भव्य मंदिर निर्माण होने की उम्मीद है।

राम जन्मभूमि पर लगा कलंक तो मिट गया लेकिन भारत में और भी ऐसे मंदिर है, जिस पर मुस्लिम प्रभाव के चिन्ह मौजूद हैं?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद् के अध्ययन में पाया गया कि इस्लामिक आक्रमण के दौरान देश के 40 हजार मंदिरों को ध्वस्त कर के वहां पर मस्जिदें बनाई गईं। सभी का गहराई में जाकर विश्लेषण करने पर ध्यान में आया कि ऐसे

3 मंदिर हैं जो हमारी आस्था के केंद्र है। और वह तीन मंदिर है श्रीराम जन्मभूमि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग। इन तीनों मंदिरों को छोड़ कर बाकि के लिए हम वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं। इसलिए हमने यह निश्चित किया कि इन तीनों को मुक्त कराने के बाद हम और कुछ नहीं मांगेगे। यदि मुसलमान इसमें सहमती जताएंगे तो हम आगे बढ़ेंगे। हम मुसलमानों के सकारात्मक रुख का इंतजार कर रहे है।

मैं जल्द ही काशी विश्वनाथ का दर्शन करने जाने वाला हूं। काशी विश्वनाथ के बाद हम मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि का रुख करेंगे। काशी विश्वनाथ के मामले में हमारा पक्ष बेहद मजबूत है। औरंगजेब का फरमान मौजूद है और वह रिकॉर्ड में है। उसमें साफ कहा है कि यह मंदिर तोड़ो और उसे ध्वस्त करों। आज भी ज्ञानवापी मस्जिद के अन्दर और बाहर से ही मंदिर के अवशेष देखे जा सकते है। मंदिर की संरचना, नक्काशी, चित्रकारी, आदि की झलक दिखाई देती है। इससे साफ जाहिर होता है कि मंदिर को मस्जिद में रूपांतरित किया गया है।

आप शाहीनबाग आंदोलन को किस दृष्टि से देखते हैं ? क्या यह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की पायलट टेस्टींग है ?

नहीं, यह टेस्टींग नहीं है। राष्ट्र विरोधी तत्व विरोध नहीं करेंगे तो कब करेंगे? आगे तो पूरा मिट जाएंगे। इसी घबराई हुई मानसिकता से उन्होंने अब विरोध करना शूरू कर दिया है। जिस प्रकार से विदेशियों खासकर पाकिस्तान ने शाहीनबाग का समर्थन किया, उससे स्पष्ट होता है कि विदेशी ताकतें भी इसमें शामिल हैं। अगर इस बार हम कोई समझौता करेंगे तो हमारी हालत खराब हो जाएगी। इसलिए इनका सामना करना ही होगा और मैं तो कहता हूं कि ऐसे आंदोलनों को आर्मी भेजकर समाप्त किया जाना चाहिए।

उत्तराखंड के चार धाम मंदिर के लिए आप विशेष रूप से कार्यरत हैं, अपने उन कार्यों की जानकारी दें।

मंदिरों पर सरकार को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर मंदिर प्रशासन से गड़बड़ी होगी तो सरकार पहले कारण बताओं नोटीस जारी कर सकती है कि हमारी सूचना के अनुसार आपने यह गड़बड़ी की है, लेकिन मंदिर को नहीं छु सकती। पुजारी को सरकार यह नहीं कह सकती कि पूजा चार बार नहीं कर सकते, तीन बार ही कर सकते है। पुजारी को नियुक्त करना या हटाना भी सरकार के हाथ में नहीं है। सीमित अधिकार रखकर  व्यवस्था को ठीक करके मंदिर प्रशासन को उनके अधिकार सौंप देना सरकार का कार्य है। यह हमारे सुप्रीम कोर्ट का जजमेन्ट है।  आज सरकार ने उत्तराखंड के सारे मंदिरों और चारधाम को अपने हाथ में ले लिया है। पुजारी भी सरकार नियुक्त करेगी, संचालन समिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होगा। कल अगर कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी तो उसका भी मुख्य मंत्री मंदिर कमेटी का अध्यक्ष बन जाएगा। ये तो हमारे मंदिरों का गला घोटने जैसा है। ऐसा नियम किसी मस्जिद और चर्च के लिए नहीं किया सिर्फ मंदिर के लिए ही किया है। मंदिरों का धन लूटने के लिए जैसे डीएमके ने तमिलनाडू में किया था, वैसे ही यहां हो रहा है। अत: मैं समझता हूं कि सभी को इस मामले में समर्थन में आना चाहिए वर्ना हम यह केस हार जाएंगे।

देश में 2 साल पहले तक अधिकतम राज्यों में भाजपा की सरकार थी? परंतु आज वह चित्र बदल गया है। यह क्यों हुआ?

उम्मीदवारों का गलत तरीके से चयन हुआ है, उदाहरणार्थ बिहार से अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया झारखंड। उसमें सबसे निष्ठावान मंत्री संजीव राय थे, जो रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक थे। जे पी आंदोलन में भी थे। उन्होंने बहुत नाम कमाया था। उनकी जीती हुई सीट से उनका ही टिकट काट दिया। जब सारी पार्लियामेंट्री बोर्ड ने उनको टिकट देना तय कर दिया तब भी इनको टिकट नहीं दिया गया।

आयाराम- गयाराम उम्मीदवारों को शरण देने की जो नीति अपनाई गई वह योग्य नहीं थी। कुलमिला कर कहूं तो संघ के संस्कार के तहत चुनाव नहीं लडे गए इसलिए ये हाल हुआ है।

100 करोड़ हिंदूओं पर 15 करोड़ मुसलमान भारी पड़ेंगे, ऐसे धमकी भरे भाषण मुस्लिम नेता सरेआम कर रहे हैं। आखिर उनकी मंशा क्या है ?

यह सब बच्चों की बातें है। वैसे केस तो उनके खिलाफ रजिस्टर हो गया है।

औवेशी के भाई ने कहा था 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, हम दिखा देंगे कि हम क्या हैं। गुजरात में दो दिन के लिये पुलिस नहीं आई। इतना रोये मुसलमान कि पुलिस क्यों नहीं आई.. पुलिस क्यों नहीं आई। मैंने कहा 15 मिनट की क्या बात करते हो, हम 2 दिन देने के लिए तैयार हैं।

इस तरह के बचकाने बयान को हमें ज्यादा म हत्व नहीं देना चाहिए।

राम जन्मभूमी का विषय आपने सफल कर दिखाया। अब भविष्य में आपकी भूमिका क्या होगी?

भविष्य में मेरी योजना है सारे मदिरों को सरकार से मुक्त कराना। सरकार का जो वर्चस्व है या एकाधिकार है उनको खत्म करना और मंदिरों का पुनरुद्धार करना और ऐसे साधु सन्यासियों की कमिटी बनाना जो मंदिरों की देखभाल कर सकें।

भारत में आर्थिक मंदी का मुख्य कारण क्या है ?

हमें पता नहीं है कि सरकार कौन से पोलिसी अपना रही है। उनके द्वारा अपनाई गई पॉलिसीज के कारण ही ये हुआ है। पांच साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ व्यवस्था करने की बात सरकार कर रही है। इसका मतलब है दोगुना करना है। दोगुना करने के लिए पांच साल में 14% में वृद्धि करनी होगी। अभी तो 4% की भी वृद्धि नहीं दिख रही है तो 14% के लिए बहुत काम करना होगा। अर्थशास्त्र की जानकारी होने कारण मैं आंकडों के द्वारा बता सकता हूं कि किस दिशा में कैसी मेहनत करनी होगी।

कांग्रेस लगभग खत्म होने की कगार पर है, क्या राहुल और सोनिया कांग्रेस बचा पाएंगे ?

मेरी राय में जब तक सोनिया, राहुल और प्रियंका इस पार्टी को छोड़कर जाते नहीं तब तक इसका कोई भविष्य नहीं है। हमारे देश में आज राष्ट्रभक्ति का माहौल है। आजकल तो कमलनाथ उठकर कहता है कि मैं सीता माता का मंदिर बनाऊंगा। पहले कभी नहीं सुन सकते थे। कई लोग हैं जो हिंदुत्व की बात करने लगे हैं। राहुल कहता है कि देखो मैं भी जनेऊ पहनता हूं। मैं तो यही कहता हूं कि जब तक राहुल, सोनिया और प्रियंका ये नेहरू परिवार का जो शेष कचरा इसमें है, कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है.

मोदी सरकार को आप कितना सफल मानते है ?

नरेन्द्र मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा में अव्वल है , भ्रष्टाचार में शून्य है परंतु अर्थव्यवस्था में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

आप सरकार में रहें या न रहें, ऐसी कौन सी बात है आपमें कि आप का डंका हमेशा बजता रहता है ?

मैं जो काम करता हूं, वह डंके की चोट पर करता हूं। मैं हमेशा सच बोलता हूं, जो मुझसे हो पाएगा वही मैं कहता हूं और करता हूं। जो नहीं कर सकता, उसके बारे में न कहता हूं न बोलता हूं। एक रूपये का भी मैंने अपने जीवन में भ्रष्टाचार नहीं किया है। पढ़ा लिखा हूं और इस देश को पढ़ा लिखा नेता चाहिए। झूठी डिग्री नहीं, सोनिया और राहूल गांधी की तरह। चौबीस घंटे पब्लिक में रहता हूं। सब जानते है कि मुझे यदि पैसा ही कमाना होता तो अमेरिका जाकर खूब पैसे कमाता लेकिन मुझे देश की सेवा करनी है। हमारे देश में ज्ञानी और त्यागी का सदैव सम्मान किया जाता है, इसलिए लोग आज भी सुभाष चन्द्र बोस, शहीद सरदार भगत सिंह और सरदार पटेल को याद करते हैं।

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Tags: #CAA#shaheenbagh#subramanianswamydelhi firingdelhi issuedelhi shaheen bagh newsdelhi violenceshaheen bagh current newsshaheen bagh newsshaheen bagh protestwhat happened in delhi

अमोल पेडणेकर

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Comments 1

  1. G P Verma says:
    5 years ago

    You are 100% pure gold. I salute u but unable to understand why govt does not consider u as a great economist.

    Reply

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