
आपको बता दें कि कोरोना का टेस्ट सरकारी और निजी दोनों लैब में हो रहा है। सरकार की तरफ से कुछ निजी लैब को भी इसकी अनुमति दी गई है और इस टेस्ट की फीस 4.5 हजार रुपये निर्धारित की गयी है। निजी लैबों के लिए निर्धारित की गयी फीस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह कहा कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राइवेट लैब में कोरोना टेस्ट के लिए भी कोई फीस ना हो। सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले पर एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि निजी लैब को कोरोना टेस्ट के लिए पैसे नहीं लेने चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना टेस्ट के लिए निजी लैब में जो फीस निर्धारित की गई है वह आम जनता की पहुंच से ज्यादा है। कोई भी साधारण व्यक्ति इतनी बड़ी फीस देने से बचना चाहेगा जिसका गलत असर समाज पर पड़ेगा और देश में संक्रमण का खतरा बढ़ जायेगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि सरकार इस पर विचार करें, नहीं तो कोर्ट की तरफ से इस पर नया आदेश जारी किया जा सकता है।
सरकार की तरफ से पूरे देश में 21 दिनों का लॉक डाउन किया गया है जो 14 अप्रैल को खत्म हो रहा है। हालांकि पिछले 1 सप्ताह से देश के हालात लगातार खराब हो रहे हैं और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में लॉक डाउन बढ़ाने पर भी विचार चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आए सुझाव को सरकार को मानना चाहिए क्योंकि अगर कोरोना का टेस्ट मुफ्त में होता है तो लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में निकलकर अपना टेस्ट करवाएंगे और संक्रमित लोगों की पहचान जल्द से जल्द हो सकेगी।