बांद्रा: घर जाने वाले मजदूरों के पास क्यों नहीं था कोई सामान?

हेडलाइन
  • बांद्रा स्टेशन पर पुलिस ने किया लाठी चार्ज
  • उद्धव ठाकरे का मजदूरों को संदेश 
  • घर जाने वाले मजदूरों के पास क्यों नहीं था कोई सामान?
  • कौन है विनय दूबे ?

मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर मंगलवार शाम को अचानक से हजारों लोग इकट्ठा हो गए, पता चला कि सभी लोग घर जाना चाहते है लेकिन इस समय ऐसे जमा होना नियमों की धज्जियां उड़ाना था नतीजा पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश को संदेश देते हुए लॉक डाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया था क्योंकि 21 दिनों का लॉक डाउन खत्म हो रहा था और मुंबई सहित सभी राज्यों के हालात कोरोना को लेकर चिंताजनक है। लेकिन ठीक उसी शाम मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर करीब हजारों की संख्या में अचानक से लोग इकट्ठा हो जाते हैं जिससे प्रशासन की नींद उड़ जाती है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस घटना पर दुख प्रकट किया और सभी को आश्वासन दिया कि महाराष्ट्र में रहने वाला हर व्यक्ति सुरक्षित है उसे महाराष्ट्र में कोई भी परेशानी नहीं होगी। उद्धव ठाकरे ने यह भी साफ किया कि कोई भी नहीं चाहता कि वह अपने घरों में बंद रहे लेकिन खुद की रक्षा और देेश की रक्षा के लिए यह करना जरुरी है। उद्धव ठाकरे ने सभी मजदूरों से अपील की कि वह लोग अपने घरों को जाएं सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि कैसे जल्द से जल्द लॉक डाउन को खत्म किया जाए और औद्योगिक गतिविधियां बहाल की जाए ताकि सभी को रोजगार मिले।

भीड़ की वजह से उठ रहे सवाल
1. आखिर बांद्रा स्टेशन पर भीड़ कैसे इकट्ठा हो गयी?
2. वह कौन था जो इस पूरी का नेतृत्व कर रहा था?
3. भीड़ में शामिल लोगों के पास सामान नहीं था जब की घर जाते वक्त हर किसी के पास बैग या छैला जरूर होता है?
4. बांद्रा स्टेशन से दूसरे राज्यों को जाने वाली गाड़ियां काफी कम है फिर भीड़ वहां क्यों इकट्ठा हुई?
5. बांद्रा स्टेशन से पश्चिम में स्थित मस्जिद के सामने ही भीड़ क्यों इकट्ठा हुई?
6. पुलिस ने जिस विनय दुबे को हिरासत में लिया है वह आखिर कौन है और उसने घर चलो का नारा क्यों दिया था?
देश में बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए लॉक डाउन का आगे बढ़ना जरूरी था लेकिन जो लोग अपने घरों से बहुत दूर हैं और उन्हें खाने पीने की परेशानी उठानी पड़ रही है उनके लिए लॉक डाउन जेल के बराबर है इसलिए वह जल्द से जल्द इससे बाहर आना चाहते हैं और इस मुसीबत से बाहर निकल अपने गांव अपनी जन्मभूमि जाना चाहते हैं। शायद यही वजह थी कि लोग मगलवार को एक साथ हजारों की संख्या में इकट्ठा हो गए लेकिन दुर्भाग्य कि वह गांव तो नहीं पहुंचे बल्कि पुलिस की मार खा फिर से घर लौटना पड़ा।

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