- संघ प्रमुख ने सेवा कार्य के लिए सभी से किया निवेदन
- तबलीगी जमात से दूरी को बताया गलत कहा एक की सजा सभी को क्यों
- पालघर साधुओं की हत्या पर उठाया सवाल
- संघ के सेवा कार्यों को बताया निस्वार्थ
"अपने समाज की सर्वांगीण उन्नति हमारी प्रतिज्ञा है। इसलिए जब तक काम पूरा नहीं होगा तब तक हमें सतत् भाव से यह सेवा कार्य करते रहना है।" – मा. मोहनजी भागवत
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राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने रविवार को अक्षय तृतीया के दिन देश की जनता से बात की, इस दौरान मोहन भागवत ने सभी को इस बात से अवगत कराया कि सघ का काम अभी भी जारी है। लॉक डाउन की वजह से शाखाएं पहले की तरह बाहर खुले में नहीं लग रही है लेकिन संघ का काम चालू है बस खुले मैदान में लगने वाली शाखा की जगह दूसरे कामों ने ले ली है। इसके साथ ही ऑनलाइन शाखा और प्रार्थना का काम चल रहा है। इस महामारी से लोग डरे हुए है लेकिन उन्हे ऐसे डर का सामना करना होगा और इसे हराना होगा। पूरे देश में संघ की तरफ से सेवा कार्य जारी है जिसका लाभ लोगों तक सीधे पहुंच रहा है लेकिन संघ प्रमुख ने कहा कि हमें अपने कार्यों का बखान नहीं करना है बल्कि हम यह सेवा कार्य अपने लोगों के लिए कर रहे है इससे हमें यह किसी पर जताने की जरुरत नही है।
संघ प्रमुख ने बिना किसी दल या व्यक्ति का नाम लिए यह भी कहा कि अगर कोई समूह गलती करता है तो उससे दूरी नहीं बनाना चाहिए, बल्कि उसे साथ लेकर चलना चाहिए उनका इशारा शायद तबलीगी जमात की तरफ था। मोहन भागवत ने कहा कि समाज में भड़काने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और अगर हम ऐसे लोगों के झासे में आ गये तो वह इसका फायदा भी ले सकते है इसलिए हमें कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले ध्यान देना होगा। संघ प्रमुख ने कहा कि मन में क्रोध और भय नहीं लाना चाहिए, जैसे कुछ लोग इस भय में छिप कर बैठे है कि सरकार उन्हे क्वारंटाइन में डाल देगी जबकि सरकार की तरफ जारी लगा लॉक डाउन को कुछ लोग क्रोध के कारण यह समझ रहे है कि सरकार उन पर प्रतिबंध लगा रही है इसलिए मन में क्रोध और भय नहीं लाना चाहिए।
सेवाकार्य बिना किसी भेदभाव के सबके लिए करना है। जिन्हें सहायता की आवश्यकता है वे सभी अपने है, उनमें कोई अंतर नहीं करना।
अपने लोगों की सेवा उपकार नहीं है वरन हमारा कर्तव्य है। – पू. सरसंघचालक जी#SanghKiBaat pic.twitter.com/O8kd7hmfIT— RSS (@RSSorg) April 26, 2020
जेएनयू में कुछ लोगों ने भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा दिया था जिस पर मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोग ऐसा भी प्रयास कर रहे है उनके मन में यह कुविचार भी आ रहा है उन्हे राजनीतिक सपोर्ट भी मिल जाता है लेकिन हमें इतना सजग रहना होगा कि यह हमारा कुछ ना बिगाड़ सकें, कुछ लोगों के लिए यह सब चलता की स्थिति होती है लेकिन हमें ऐसा नही करना है साथ ही हमें किसी के भी प्रति कोई विरोध या गुस्सा नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह सभी लोग भारत माता के पुत्र है और हमारे भाई बंधू है।
संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से लड़ने की जरुरत है लेकिन इसके लिए पहले खुद का खयाल रखना होगा और सरकार की तरफ से जारी दिशा निर्देशों का पालन करना होगा। सेवा कार्य के लिए जब भी आप बाहर निकलते हो तब मास्क और लोगों से फिजिकल दूरी बनाना बेहद आवश्यक है वर्ना आप खुद संक्रमण का शिकार हो सकते है। महामारी की वजह से डर का माहौल बना है लेकिन उससे डरने की जरुरत नही है खुद को संतुलित करते हुए इसका उपाय खोजना होगा, किसी भी काम के लिए आत्मविश्वास की बहुत जरुरत होती है बिना आत्मविश्वास के आप कोई भी लड़ाई नहीं जीत सकते। इस लड़ाई की शुरुआत की है तो इसे अंत तक पहुंचाना होगा अगर बीच में छोड़ा तो हम विजयी नही हो सकते। इस दौरान संघ प्रमुख ने कुछ प्रेरणादायक कहानियां भी सुनाई जिससे यह सीख मिलती है कि आप अगर अपना परिश्रम नहीं छोड़ते है तो आप को एक दिन सफलता जरुर मिलेगी।
भारत सरकार की तरफ से दूसरे देशों को भेजी गयी दवाईयों का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सरकार ने बैन हुई दवाईयों को भी दूसरे देशों को मदद के लिए भेजा। सरकार का यह कदम हमें बताता है कि सेवाभाव भारत के इतिहास में ही निहित है हम कभी भी सेवा के लिए पीछे नही हटते चाहे उसके लिए हमें कुछ नुकसान ही क्यों ना उठाना पड़े। भागवत ने कहा कि सेवा करना कोई स्पर्धा नही है जिसे जल्दी कर उसे दुनिया को दिखाना है। भागवत ने स्वंय सेवकों से कहाकि सेवा भाव अपनत्व के साथ होनी चाहिए यह किसी स्वार्थ भाव से नही करना है। संघ प्रमुख ने कहा कि कुछ धूर्त किस्म के लोग भी है जो बेवजह सेवा लेकर निकल जाते है लेकिन ऐसे लोगों से द्वेश नहीं करना चाहिए क्योंकि सबका अपना अपना स्वभाव होता है।
हाल ही में पालघर में हुई साधुओं की हत्या पर मोहन भागवत ने दुख प्रकट किया और कहाकि भीड़ ने साधुओ को मार डाला, हालांकि उन्होने इसके लिए किसी को दोषी नहीं बताया और कहा कि भीड़ ने उनकी हत्या कर दी। किसी को भी कानून व्यवस्था हाथ में नहीं लेनी चाहिए यह संविधान के खिलाफ है। संन्यासी को बिना वजह मार दिया गया उनका कोई दोष नही था। संघ प्रमुख ने बताया कि मृतक साधुओं को लिए 28 अप्रैल को हिंदू धर्म आचार्य सभा की तरफ से श्रद्धंजली कार्यक्रम रखा गया है।