प्रवासी मजदूरों को कब नसीब होगा घर? SC पहुंचा मामला

  • प्रवासी मजदूरों को लेकर असमंजस में केंद्र सरकार
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा मजदूरों पर एक सप्ताह में जवाब
  • योगी ने सफलतापूर्वक हरियाणा से बुलाए मजदूर
  • पीएम ने दिया मजदूरों को घर भेजने पर सुझाव  

देश के अलग अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए कहीं से भी कोई राहत की खबर नही आ रही है लॉक डाउन में फंसे होने के साथ साथ अब उनके लिए खाने की समस्या भी बढ़ती चली जा रही है। केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से तमाम तरह की खबरें तो आ रही है लेकिन अभी तक कोई भी मजदूर अपने घर तक पहुंच नही पा रहा है। लॉक डाउन की वजह से मजदूरों का काम पूरी तरह से ठप्प पड़ा है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। कुछ राज्यो में राज्य सरकार की तरफ से इन्हे राहत मिल रही है जबकि कुछ राज्यो में इन्हे वोट राजनिति का शिकार होना पड़ रहा है यह सर्वविदित है कि मजदूर वर्ग किसी दूसरे राज्य में वोटर नही होता इसलिए राज्य सरकारें उनकी चिंता भी कम करती है क्योंकि आने वाले समय में वह सरकार के किसी भी काम के नही होते।

लॉक डाउन के बाद से मजदूरों का किस्सा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच में घूम रहा था लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई जहां कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह में इस पर जवाब मांगा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के रुप में प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया है यह मजदूरों के अधिकारों का हनन है। मजदूरों को राशन भी नहीं मिल पा रहा है कि वह अपने परिवार का पेट पाल सकें। सरकार का यह दायित्व होता है कि वह हर किसी के लिए सुविधा उपलब्ध करवाये। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार को मजदूरों की हर स्थिति के बारे मे जानकरी है।

और सरकार मजदूरो के लिए हर जरुरी कदम भी उठा रही है लेकिन लॉक डाउन के नियमों का पालन करना भी सरकार के लिए जरुरी है साथ ही संक्रमण को देखते हुए किसी भी काम को करने में परेशानी आ रही है। केंद्र सरकार मजदूरों को जल्द से जल्द उनके गृह राज्य भेजने पर विचार कर रही है जैसे ही संक्रमण का खतरा कम होता है मजदूरों को तुरंत भेज दिया जायेगा।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक हुई थी जिसमें मजदूरों का मुद्दा उठाया गया था। इस पर यह राय बनी की दो राज्य एक दूसरे के मजदूरों को उनके बॉर्डर तक छोड़ देंगे जिससे वह आसानी से अपने घरों तक पहुंच सकते है। उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हरियाणा से मजदूरों को मंगाया है और सभी को डाक्टरों के टेस्ट के बाद 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन के लिए बोला गया है।

सरकार द्वारा मुसीबतों का सामना कर रहे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाना एक जरुरी काम है लेकिन इस दौरान संक्रमण के बढ़ने का खतरा लगातार बना रहेगा अगर कोई भी मजदूर होम क्वारंनटाइन का पालन नही करता है तो यह संक्रमण उसके परिवार और फिर बाकी लोगों में भी फैल सकता है।   

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