ट्रेन हादसा: श्रमिकों के घर का रास्ता कैसे बना मौत का रास्ता ?

  • महाराष्ट्र के औरंगाबाद ट्रेन हादसे में 16 श्रमिकों की मौत
  • पटरी पर सोने को मजबूर मजदूरों को मिली मौत 
  • औरंगाबाद से पैदल मध्य प्रदेश से लिए हुए थे रवाना 
  • शिवराज सिंह चौहान ने किया मुआवजे का ऐलान 
“मरता क्या न करता “वाली कहावत आज फिर से सत्य होती दिखाई दे रही है। महाराष्ट्र के कुछ मजदूर कोरोना वायरस से जान बचाकर अपने घर जाने की तैयारी कर रहे थे उन्हें ऐसा लगा कि महाराष्ट्र में रहेंगे तो करोना से उनकी मौत हो सकती है इसलिए सरकारी अभाव के चलते इन लोगों ने पैदल ही घर जाने की ठान ली। और पैदल ही अपने घर मध्य प्रदेश के लिए निकल लिए लेकिन भगवान को यह शायद मंजूर नहीं था और करीब 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद इन लोगों की एक ट्रेन हादसे में मौत हो गई।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से मध्य प्रदेश जाने के लिए करीब 19 मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ रवाना हो गए। यह सभी लोग करीब 35 किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद थकावट की वजह से औरंगाबाद के पास बदनापुर रेलवे स्टेशन के करीब पटरी पर ही आराम करने लगे। इस दौरान सभी को नींद आ गई और सब लोग सो गए लेकिन किसी को इस बात की भनक नहीं थी कि यह इनकी आखिरी रात होगी। जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 5:30 बजे के करीब एक मालगाड़ी उस पटरी पर आई और उसने सो रहे मजदूरों को कुचल डाला। जब तक किसी की आंख खुलती ट्रेन ज्यादातर लोगों के ऊपर से गुजर चुकी थी। इस हादसे में 16 श्रमिकों की मौत हो गई जबकि 3 लोग बुरी तरह से घायल है जिनका इलाज औरंगाबाद के ही एक हॉस्पिटल में चल रहा है।
वहीं इस घटना के बाद हर तरफ अफरा-तफरी मचने लगी रेलवे विभाग ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि जैसे ही ट्रेन के ड्राइवर को मजदूर नजर आए उन्होंने ट्रेन को रोकने की कोशिश की थी लेकिन ट्रेन की गति तेज होने की वजह से वह इसे रोकने में नाकाम रहे वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया है पीएम मोदी ने ट्वीट करके लिखा औरंगाबाद में हुए रेल हादसे में जिन लोगों की जान गई मैं उससे काफी दुखी हूं। मैंने रेल मंत्री पियूष गोयल से बात की है वह इस पूरे मामले को बहुत ही बारीकी से देख रहे हैं जो भी मदद होगी वह मुहैया कराई जाएगी।

महाराष्ट्र में हुई इस दर्दनाक घटना के बाद भी सरकार की तरफ से कोई मुआवजा या धनराशि का ऐलान नहीं किया गया है जबकि सभी मजदूर मध्यप्रदेश के होने की वजह से वहां के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतकों के लिए परिवार वालों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने सभी से अपील की है कि कोई भी पैदल यात्रा ना करे।

लॉक डाउन के बाद से मजदूरों का एक बड़ा वर्ग बाहर दूसरे राज्यों में फंसा हुआ है इसलिए बार बार उनके पैदल ही हजारों किमी यात्रा की खबरें आती रहती है। लॉक डाउन की वजह से श्रमिक पूरी तरह से परेशान है और टूट चुका है क्योंकि अब ना उसके पास रोजगार बचा है और ना ही पेट भरने के लिए पैसा फिर वह मरता क्या न करता।

Leave a Reply