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सहकारी बैंकों के लिए पैकेज बेहद जरूरी

सहकारी बैंकों के लिए पैकेज बेहद जरूरी

by जे. पी. मिश्र
in ट्रेंडींग, मई - सप्ताह दूसरा
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बैंकों के 2019 – 2020 के तुलन-पत्र (बैलेंस शीट) बहुत ही नुकसानदेह दिखाई देंगे। आगामी जुलाई माह तक बैंकों का कामकाज पूरी तरह से शुरू होने की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है। बैंकों में खानापूर्ति के लिए 20 से 25 प्रतिशत कर्मचारी आते हैं। कर्ज लेने के कोई नहीं है। कोई डिपॉजिट नहीं आते। मुक्त गतिविधियां नहीं हैं। उद्योग-धंधे बंद होने के कारण कोई ॠण मांगने भी बैंकों में नहीं आ रहा है। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी लोगों को इससे उबरने में लंबा समय लगेगा।

उनकी गाड़ी पटरी पर आने के बाद ही धंधे-रोजगार को   गति मिलेगी। सहकारी बैंक हो या राष्ट्रीय बैंक, वर्ष 2020 – 2021 का कालखंड संघर्ष भरा रहने वाला है। अधिकतर बैंक घाटे में ही जाएंगे, मुनाफे की बात तो छोड़ ही दीजिए। रिजर्व बैंक को बैंकों की मौजूदा स्थिति के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। मेरा सरकार से आग्रह है कि बैंकों की डूबती आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए और व्यवस्थित रूप से बैंकों के संचालन हेतु राहत पैकेज देने पर विचार करें। ताकि सहकारी बैंक इस मुश्किल वक्त में संघर्ष करने के काबिल बन सके। अन्यथा बैंकों का बचना कठिन हो जाएगा। बहरहाल इस संकट से उबरने और बैंकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए हम प्रयासरत हैं और इसके लिए हमने सभी शाखा प्रबंधकों से इस संबंध में व्यापक चर्चा की है। मैंने उनसे कहा है कि एक वर्ष का लक्ष्य 9 माह में कैसे पाया जाए, इस दिशा में अपना ब्ल्यूप्रिंट तैयार करें। मैंने उनसे कहा है कि जमा पूंजी कैसे बढ़ाई जाए, निवेश के कौन-कौन से रास्ते खुले हुए हैं, आपके क्षेत्र में किन उद्यमियों को ॠण की आवश्यकता है ऐसे लोगों की सूची तैयार करें। घर बैठे ही हमने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर कई प्रकार की योजनाएं और पूर्व तैयारी कर ली है।

जैसे ही लॉकडाउन समाप्त होगा, वैसे ही हम तेज गति से कार्य की ओर अग्रसर होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करेंगे। मा. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि जान भी और जहान भी। हमें उनकी बातों पर अमल करते हुए उपयुक्त एहतियात बरतते हुए अपने जान के साथ ही जहान को बचाने के लिए काम करना होगा। कोरोना वायरस के साथ संघर्ष करते हुए हमें जीना होगा। इस संदर्भ में सकारात्मक रुख अपनाते हुए तमाम जरूरी सावधानियां बरतते हुए हम अपने काम को आगे बढ़ाएंगे और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाएंगे।

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जे. पी. मिश्र

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