मजदूरों के पलायन का मामला पहुंचा कोर्ट, सरकार से पूछा आखिर मजदूरों को कैसे रोक सकते है

  • मजदूरों के पैदल चलने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट 
  • सरकार ने कहा हम मजदूरों को रोकने का प्रयास कर रहे है
  • मजदूरों पर बल प्रयोग करना गलत- सुप्रीम कोर्ट 
लॉक डाउन के लगातार बढ़ने के साथ ही मजदूरों का पलायन जारी है अलग-अलग राज्यों से मजदूर अपने गृह राज्य जा रहे हैं हालांकि सरकार की तरफ से बार-बार यह ऐलान किया जा रहा है कि कोई भी मजदूर पैदल यात्रा ना करें यह किसी भी लिहाज से सही नहीं है। वहीं पिछले कई दिनों से मजदूरों की अलग-अलग वजहों से मौत की खबरें भी लगातार आ रही हैं हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी से कटकर 16 मजदूरों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
देश की सर्वोच्च अदालत में इस मामले को लेकर एक याचिका दायर की गई थी जिस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में मजदूरों के पलायन को लेकर सवाल उठाए गए जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा। केंद्र सरकार की तरफ से मौजूद सॉलीसीटर जनरल ने बताया कि राज्य सरकारों की तरफ से मजदूरों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जा रही है लेकिन इस पूरे मामले में समय लगता है जिसके लिए मजदूरों से बार-बार निवेदन भी किया जा रहा है कि वह पैदल यात्रा ना करें जबकि मजदूर सरकार की बातों को नजरअंदाज करते हुए पैदल ही यात्रा कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि किसी को पैदल चलने से सिर्फ मना किया जा सकता है ना कि उस पर हम किसी भी तरह की  किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लगा सकते और ना ही उन पर बल प्रयोग कर सकते हैं वरना इसके दूसरे मतलब निकाले जा सकते हैं।
जबकि मजदूरों की तरफ से दायर की गई याचिका में यह कहा गया है कि सरकार की तरफ से देरी हो रही है मजदूरों के पास खाने पीने का सामान और पैसा सब कुछ खत्म हो चुका है फिर ऐसे में वह इंतजार कैसे कर सकते हैं? जिस पर सरकार की तरफ से जवाब दिया गया कि सरकार अपना काम कर रही है लेकिन इसमें समय लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह सरकार से पूछा गया है कि आखिर पैदल चलने वालों को कैसे रोका जा सकता है जो लोग नहीं रुक रहे हैं सरकार उनको क्या सहयोग कर सकती है।

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