हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भारत-चीन सीमा विवाद में बातचीत की अहमियत

भारत-चीन सीमा विवाद में बातचीत की अहमियत

by कर्नल सारंग थत्ते
in जुलाई - सप्ताह एक, ट्रेंडींग
0

चीन का बातचीत में तय मुद्दों से मुकर जाना आम बात है। चीनी सेना ने एल ए सी से तो अपनी सेना को पीछे खींच लिया है, लेकिन सीमा से दूर उसने अपनी सेना की अनेक टुकड़ियों को इकट्ठा किया है – जिसमें टैंक, आर्टिलारी की तोपें और नए डिवीजन की तैनाती की है। यह चिंता का सबब बन हुआ है।

1962 की जंग के बाद विवादित मुद्दों की फेहरिस्त लंबी हो गयी थी; क्योंकि चीन ने हमारी सीमा के एक बहुत बड़े हिस्से को हथिया लिया था। लेकिन सीमा पर होने वाले विवादों को हल करने के लिए दोनो देशों ने मिलकर एक व्यवस्था कायम की है जहां दोनों देशों के सैन्य अधिकारी आमने सामने बैठकर अपनी बात एक दूसरे को समझाने की कोशिश करते हैं।

यह सब स़िर्फ इस वजह से होता आया है कि चीन ने लाइन ऑफ कंट्रोल नाम की रेखा को कभी तवज्जो नहीं दी है और 3855 किलोमीटर की सीमा अब तक रेखांकित नहीं है – ना ज़मीन पर और ना ही नक्शे पर। लाइन ऑफ एक्च्युअल कंट्रोल पर सैनिक आपस में लड़ते रहें हैं – एक ऐसी रेखा जिस पर दोनों ही देशों की समझ में समय समय पर फर्क नज़र आता है। और इसी फर्क से दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे की हदों में चले जाते हैं।

भारत और चीन के बीच छोटे बड़े मुद्दों और विवादों को हल करने के लिए विभिन्न स्तरों पर बातचीत होती रही है। पिछले कई वर्षों में अनेक बार दोनो देशों के प्रमुख आपसी मुद्दों को सुलझाने के लिए मिलते रहे हैं। सुरक्षा के मुद्दों पर मंत्री स्तर की बातचीत भी कई मौकों पर होती रहती है। साथ ही स्वतंत्रता के बाद से मैकमोहन रेखा की व्यवस्था को मानने से इनकार कर चीन ने संपूर्ण सीमा रेखा पर अपनी मनमर्ज़ी से नक्शों पर अपने गुरूर से खींचातानी करनी चाही है। दोनों सेना के सैनिक गश्त लगाने का कार्य सीमा के अलग अलग हिस्सों में करते हैं। हमारी सेना के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा जिसे हम मानते हैं, वहां तक हमारे सैनिक पेट्रोलिंग करते हैं।

1995 से हमारी सेना चीनी सेना के अधिकारियों के साथ बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग में शामिल होती रही है। इस किस्म की मीटिंग के दो दायरे हैं – पहला समारोहपूर्ण, जो विशेष अवसरों पर की जाती है जैसे नव वर्ष, गणतंत्र दिवस, 14 अप्रैल – बैसाखी, 15 मई – पीपल्स लिबरेशन आर्मी दिवस, भारतीय स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त।

इस समारोहपूर्ण वातावरण में राष्ट्रीय गीत बजाए जाते हैं और दोनो देशों के उच्च अधिकारी अपनी बात कहते हैं। इसके अलावा बॉर्डर मीटिंग तब होती है जब आपस में विवाद होते हैं – इसे फ्लैग मीटिंग भी कहा जाता है। इसमें दोनों पक्षों को अपनी बात कहने का मौका मिलता है और सेना के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में फैसला लिया जाता है। इस किस्म की मीटिंग का पूरा ब्योरा रखा जाता है और सरकार की तरफ से बयान जारी होता है। इस किस्म की मीटिंग में भी दोनों देशों के सैन्य अधिकारी सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत को सामने रखते हैं और हल खोजने का प्रयत्न करते हैं। यदि कनिष्ठ अधिकारियों की सम्मति नहीं बनती है तो अगली मीटिंग में और उच्च पदाधिकारी आपस में मिलने के लिए बुलाए जाते हैं। अक्टूबर 2013 में दोनों देशों के बीच सीमा रक्षा सहयोग समझौता हुआ था जिसके बाद बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग के स्थान मुक़र्रर किए गए थे। ये जगहें हैं – चुशुल, नाथू ला, बूम ला (ला याने दर्रा), किबिथु और दौलत बेग ओल्डी।

दौलत बेग ओल्डी

भारतीय क्षेत्र में लद्दाख के सबसे ऊंचे स्थान दौलत बेग ओल्डी पर भी भारत – चीन की आपसी वार्ता के लिए 12 जुलाई 2018 को बॉर्डर परसोनेल मीटिंग बिंदु स्थापित किया गया था। सामरिक रूप से यह जगह दोनों ही देशों के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय सेना ने इस इला़के में 1962 में अपने हवाई जहाज़ उतारे थे और अब यहां भारतीय वायुसेना के हवाई जहाज रसद लेकर आते रहते हैं। इसकी ऊंचाई 16614 फुट है।

15 अगस्त 2018 को यहां पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी में हमारा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था जिसमें सेना की मोटर साइकल टीम ने प्रदर्शन भी किया था। इस मौके पर दोनों देशों में आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए स्थानीय नृत्य और मार्शल आर्ट के खेल दिखाए गए थे। एक वॉलीबॉल मैच भी आयोजित किया गया जिसमें चीनी सैनिकों को शामिल किया गया था.

वुहान की बातचीत

अप्रैल 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीन के शहर वुहान में बातचीत हुई थी। दोनों नेता सुरक्षा से जुड़े मसलों पर तनाव बढ़ने से रोकने के लिए सामरिक संवाद को मजबूती देने पर राज़ी हुए थे। साथ ही विश्वास बहाली के नए उपाय करने पर आपसी सहमति जताई थी। दोनों नेता सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर दोनों देशों के बीच रणनीतिक बातचीत को मजबूत करने पर भी एकमत हुए थे।

जानकारी के मुताबिक बैठक में सीमा प्रबंधन के मुद्दों पर गहन चर्चा भी हुई थी। साथ ही विवादित सीमा पर तनाव कम करने और अविश्वास को दूर करने के उपायों पर भी बात हुई। वास्तविक नियंत्रण रेखा – एल ए सी- पर तनाव कम करने के लिए कई कदम उठाने के लिए मिलजुलकर गश्त लगाने जैसे कदम भी शामिल हैं। इसके एक हफ्ते बाद ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाली के लिए प्रयास तेज किए गए और अप्रैल के अंत में बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग की गई थी।

यह औपचारिक मीटिंग लद्दाख के चुशुल में की गई थी। विचार-विमर्श इस बात पर केंद्रित था कि विवादित सीमा पर तनाव को कम कैसे किया जाए और भरोसा बढ़ाने के लिए कौन से उपाय किए जाएं। मोदी-शी की मीटिंग पर भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के व्यापक हित में भारत-चीन सीमा के सभी इलाकों में शांति और सौहार्द बनाए रखने की अहमियत को रेखांकित किया था। सीमा विवाद और सैन्य टकराव को समर्पित बयान के एक विस्तृत पैराग्राफ में कहा गया था कि दोनों नेताओं ने बॉर्डर के सवालों पर काम कर रहे भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों से उचित, तार्किक और आपसी सहमति योग्य समाधान के लिए प्रयास तेज करने को कहा है। भारत और चीन की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए कई उपाय करेंगी, सीमा पर तनाव कम करने के लिए तालमेल बनाकर गश्त भी की जा सकती है। भारत और चीन के बीच ये अहम फैसले 73 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के कई महीनों के बाद हुए हैं।

डोकलाम विवाद

डोकलाम लगभग 100 वर्ग किलोमीटर का पठार और घाटी का क्षेत्र है जो भारत, भूटान और चीन के त्रिकोणीय सीमा पर स्थित है। इसके आसपास तिब्बत की चुंबी घाटी है, भूटान की हा घाटी है और सिक्किम का इलाक़ा है। चीन और भूटान के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और भूटान में विवाद को बढ़ाते हुए भूटान की जमीन हड़पने की कोशिश और वहां अपनी सड़क बनाने की मंशा को पूर्ण रूप देना शुरू किया था। 2017 में इस सड़क निर्माण से, भारतीय सेना की टुकड़ी, जो भूटान में आधिकारिक तौर पर उस देश को मदद कर रही थी, ने इस पर एतराज जताया। यही संघर्ष का प्रथम बिंदु था। डोकलाम सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सटा हुआ है एवं भारत के लिए बेहद सामरिक महत्व का इलाक़ा है। चीनी सेना ने चुंबी घाटी में अपनी सेना को बढ़ाना शुरू किया, उनका मकसद था कि चुंबी घाटी से भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में से आगे बढ़ने के रास्ते खोले। 16 जून 2017 को इस इला़के में चीनी सेना ने सड़क निर्माण करने के लिए सामान, बड़े वाहन और सैनिकों का जमावड़ा लगाना शुरू किया, जिस पर भारतीय सैनिकों ने आपत्ति जताई।

73 दिनों तक यह विवाद बढ़ता रहा, तब जाकर इसमें कोई ठहराव नज़र आया। 2018 में चीन ने डोकलाम इला़के में चुपके चुपके अपने सैनिक जमावड़े को दोबारा बनाया है। 14000 फुट की ऊंचाई पर मौजूद इस पठार से चीन को सड़क निर्माण से सामरिक रूप से फ़ायदा मिलेगा और चीनी सेना को सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अपना प्रभुत्व जमाने का अवसर मिलेगा। जब डोकलाम का विवाद अपने चरम पर था तब भारतीय सेना ने भी 1962 की भूल को ना दोहराने के लिए तेज़ी से कदम लिए थे। सिक्किम में तुरंत हरकत करते हुए तीन डिवीजन की सेना को भेजा गया था, जिसमें से एक डिवीजन हमेशा ही उस इला़के में रहती है, जबकि बाकी दो को युद्ध के अभ्यास के दौर में ओपरेशन अलर्ट पर अपनी स्थायी जगह से आगे भेजा जाता है। इस किस्म का ऑप अलर्ट तीन से छः महीने तक किया जा सकता है।

चीन कोशिश कर रहा है हमें जगह जगह कुरेदने की – वह ढूंढ़ रहा है कि हम कमजोर कहां हैं, जहां से उसे भारतीय क्षेत्र में दाखिल होने की जगह मिल सके। पूर्वी लद्दाख, पूर्वी अरुणाचल, हिमाचल में लिपुलेख दर्रा और बाराहोटी में चीन हमें टटोलने के लिए छोटी टुकड़ियों को भेज सकता है। अब यह बात साफ हो चुकी है कि चीन एक पूर्ण युद्ध को तवज्जो देने के पक्ष में नहीं है। यदि ऐसा करना होता तो वह कब का डोकालम को अपनी धुरी बनाकर अपनी फुत्कार हमें दिखाता। उसने ऐसा नहीं किया। वह डोकलाम से अपनी सेना को वापस बुलाने के पक्ष में भी नहीं है। यदि वह ऐसा करता है तो यह उसकी हार मानी जाएगी। इसीलिए अब उसने विवादित क्षेत्र से पीछे कुछ किलोमीटर दूर अपने ढांचागत विकास को बढ़ाया है और सैनिकों को सर्द मौसम में रहने के साधन दिए हैं।

अब मीडिया में रिपोर्ट आई है कि लगभग दो बटालियन अर्थात 1800 चीनी फौज ने अपने लिए इस सर्द मौसम में रहने का मन बना लिया है। इतनी बड़ी तादाद में चीनी सैनिक सर्दी के मौसम में इस इला़के में पहले कभी नहीं देखे गए थे। क्या यह एक नए विवाद का पहला अध्याय है? चीनी सेना ने 15000 फुट की ऊंचाई पर अपने इला़के में बने बनाए शेल्टर और सामान रखने के शेड बना लिए हैं। पिछले कई वर्षों से डोकलाम इला़के में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी भयंकर ठंड के मौसम में पेट्रोलिंग नहीं करती थी, लेकिन अब जब यहां अस्थायी तौर पर रहने का प्रबंध हो चुका है तब चीनी सैनिकों के लिए समय समय पर इस इला़के की चौकसी करना आसान हो जाएगा। दरअसल इस इला़के में स्थानीय बाशिंदे न के बराबर हैं और चीनी सेना अपने इला़के में रहते हुए सेटेलाइट के इस्तेमाल से भारतीय और भूटान से सटे इला़के में क्या कुछ हो रहा है इयका आकलन कर सकते थे।

कई दौर की बातचीत हुई पर नतीजे पर बात नहीं पहुंची थी। सूत्रों का कहना है कि विचार-विमर्श इस बात पर केंद्रित था कि विवादित सीमा पर तनाव को कम कैसे किया जाए और भरोसा बढ़ाने के लिए कौन से उपाय किए जाएं। डोकलाम से हमें सीख लेनी ही होगी। बातचीत के बाद भी चीन अपने मंसूबे अमल में ला रहा है। यही सब गलवान में भी ला सकता है – इसमें कोई दो राय नहीं है। हमें चौकस रहना ही होगा।

अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद

डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद खत्म होने के बाद अप्रैल 2018 में अरुणाचल प्रदेश में विवाद की स्थिति बन गई थी। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के आसफिला क्षेत्र में भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर आपत्ति जताते हुए इसे अतिक्रमण करार दिया था। हालांकि, भारतीय सेना की ओर से चीन की इन आपत्तियों को खारिज कर दिया गया था।

अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक 15 मार्च 2018 को बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग के दौरान चीनी पक्ष की ओर से यह बात उठाई गई थी, जिसे भारतीय सेना ने खारिज कर दिया था। भारतीय सेना ने कहा कि यह इलाका अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबानसिरी जिले में आता है और भारतीय सैनिक अकसर यहां पेट्रोलिंग करते रहे हैं।

आसफिला में पट्रोलिंग का चीन की ओर से विरोध किया जाना आश्चर्यजनक था। दरअसल चीनी सैनिक इस इलाके में अकसर घुसपैठ करते रहते हैं और भारतीय सेना इसे गंभीरता से लेती रही है। बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग के तहत दोनों पक्ष अतिक्रमण की किसी भी घटना के लिए अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। अरुणाचल में वास्तविक सीमा रेखा को लेकर चीन और भारत के अलग-अलग दावे हैं। यहां तक कि अरुणाचल के तवांग इलाके के बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा जताता रहता है।

बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग के दौरान चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के प्रतिनिधि मंडल ने आसफिला में भारतीय सैनिकों की सघन पट्रोलिंग का विरोध करते हुए कहा कि ऐसे उल्लंघन किए जाने से दोनों पक्षों के बीच तनाव में इजाफा हो सकता था। हालांकि चीनी सेना के विरोध को पुरजोर तरीके से खारिज करते हुए भारतीय सेना ने कहा कि हमारे सैनिक उस इलाके में पट्रोलिंग करते रहेंगे। सेना ने कहा कि हमें भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा रेखा के बारे में पूरी जानकारी है और हम दोनों देशों की सीमा को समझते हैं।

गलवान घाटी

अभी हाल में 15 – 16 जून 2020 के दर्दनाक हादसे के उपरांत चीन और भारत के उच्च सैन्य अधिकारी पेट्रोलिंग पॉइंट 14, गलवान घाटी में आपसी बातचीत के लिए मिले थे। मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व में दोनों सेनाओं के बीच हुए संघर्ष को खत्म करने के लिए सेनाओं को एल ए सी से पीछे हटाने के लिए कारगर उपाय करने पर बैठक 17 जून 2020 को हुई थी। भारतीय सेना की 3 इंफेंट्री डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बापट ने भारतीय दल का नेतृत्व किया। अब जो खबर आ रही है कि चीनी सेना ने एल ए सी से तो अपनी सेना को पीछे खींच लिया है, लेकिन सीमा से दूर उसने अपनी सेना की अनेक टुकड़ियों को इकठ्ठा किया है – जिसमें टैंक, आर्टिलारी की तोपें और नए डिवीजन की तैनाती की है। यह चिंता का सबब बन हुआ है।

यह चौथी बार था जब मेजर जनरल स्तर की बातचीत की बैठक में इस संघर्ष का हल निकालने की कोशिश की गई थी। दरअसल 5 और 6 मई को पांगोंग झील के नज़दीक हुए आपसी संघर्ष में कई सैनिक बुरी तरह घायल हुए थे। इसी दायरे में लेह की 14हवीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी मेजर जनरल लियू लिन, कमांडर दक्षिण झींगजियान प्रांत के बीच चीनी इला़के में स्थित मोलदो में बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग हुई थी। यह स्थान एल ए सी के दूसरी तरफ चीनी इला़के में है। मीटिंग में तय हुआ था कि दोनो सेनाएं अपने सैनिकों को पीछे बुला लेंगी, लेकिन चीनी इला़के की सेटेलाइट तस्वीरों में चीन ने अपने भीतरी इला़के में सेना का जमावड़ा शुरू कर दिया है जो चिंता का विषय है। बातचीत के बाद आपसी सौहार्द और विश्वास बहाली की अनेक कोशिशों के बाद भी सेना अपने अपने इलाक़ों में बढ़ाई जा रही है। अब देखना होगा कि क्या स़िर्फ बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग से इस किस्म के रणनीतिक उठापटक के मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं?

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: breaking newshindi vivekhindi vivek magazinelatest newstrending

कर्नल सारंग थत्ते

Next Post
प्रधानमंत्री ने अचानक से किया लेह का दौरा, सेना के जवानों से ली हालात की जानकारी

प्रधानमंत्री ने अचानक से किया लेह का दौरा, सेना के जवानों से ली हालात की जानकारी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0