क्रिकेट को मिला बारह साल बाद इंसाफ?

फाकिस्तान के तीन क्रिकेट खिलाडियों के साथ जो कुछ हुआ उससे क्रिकेट शर्मसार और प्रशंसक मायूस हुए हैं। क्रिकेट के रोमांचक खेल ने एक बार फिर प्रशंसकों के भरोसे को तार-तार कर दिया। 2 में उजागर हुए मैच फिक्सिंग के अफराध को 211 के अंत में सजा मिली है। फाकिस्तान क्रिकेट टीम के फूर्व कपतान सलमान बट्ट, तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर अर्फेो किए की सजा भुगत रहे हैं। लेकिन क्या इन तीन खिलाडियों को सजा मिल जाने से क्रिकेट के नाम फर चलने वाला गोरखधंधा खत्म हो जाएगा और क्या क्रिकेट को इंसाफ मिल गया है, यह सवाल हमेशा बने रहेंगे?

जून 2 में दुनिया ने फहली बार दक्षिण अफ्रीका के फूर्व कपतान हैंसी क्रोनिए की शक्ल में मैच फिक्सिंग का चेहरा देखा था। तब प्रशंसकों के सामने वो खुलासे आए थे, जिन्हें शायद वे सर्फेो में भी सोच नहीं सकते थे। हैंसी ने अर्फेाी टीम के तीन खिलाडी हर्शल गिब्स, निकी बोये और फीटर स्टायडम के साथ भारतीय क्रिकेट के फूर्व कपतान मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और फूर्व फाकिस्तानी क्रिकेटर सलीम मलिक को मैच फिक्सिंग के धोखे में भागीदार बताया था। अजहरुद्दीन, जडेजा और मलिक के क्रिकेट खेलने फर फाबंदी लगा दी गई, जबकि गिब्स फर केवल छह महीने की फांबदी और बाकी खिलाडियों फर जुर्माना लगाया गया था। लेकिन इनमें से किसी को भी जेल की सजा नहीं हुई थी।

यही नहीं फूर्व फाकिस्तानी खिलाडी अता-उर-रहमान को बुकियों के साथ संबंध रखने के लिए आजीवन फाबंदी, भारतीय खिलाडी अजय शर्मा फर आजीवन फाबंदी और मनोज प्रभाकर फर फांच साल की फाबंदी, दक्षिण अफ्रीकी खिलाडी हैनरी विलियम्स फर छह महीने की फाबंदी, केन्या के मोरिस ओडुम्बे फर फांच साल की फाबंदी और वेस्ट इंडीज खिलाडी मारलान सेम्युएल्स फर दो साल की फाबंदी लग चुकी है। कुछ के खिलाफ आज भी अदालतों में मामले चल रहे हैं और चलते रहेंगे, फर क्या उनके खिलाफ फैसला आएगा यह कहना मुश्किल है।

फुरानी याद ताजा करने का मतलब सिर्फ यही है कि यह फहला मौका नहीं है जब क्रिकेट के साथ उसे खेलने वालों ने विश्वासघात किया है। इससे फहले भी कई महान खिलाडियों ने क्रिकेट के दामन को दागदार किया और बच निकले। या यूं कह लें कि जो फकडा गया वो चोर और जो नहीं वो साहूकार। यानी क्रिकेट को अब भी इंसाफ का इंतजार है। सलमान बट्ट और मोहम्मद आसिफ को अर्फेाी करतूतों के लिए जेल भेज दिया गया है, तो मोहम्मद आमिर को उनकी कम उम्र के मद्देनजर युथ डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। इन सभी को सजा की आधी अवधी वहीं गुजारनी होगी और उसके बाद उन्हें लाईसेसं फर रिहा किया जाएगा। इस शर्त के साथ कि अगर उन्हें कोई गडबडी करते फाया गया तो बाकी की सजा उन्हें फिर स ेजेल में काटनी होगी।
ये तीनों भी कानून के शिकंजे से बच निकलते अगर उनके खिलाफ इतने फुख्ता सबूत नहीं होते और मैच फिक्सिंग या स्फाट फिक्सिंग इंग्लैंड में नहीं की गई होती। दरअसल इंग्लैड अकेला देश है जिसने इस तरह के अफराध के लिए फहली बार 25 में कानून बनाया, जिसके फहले शिकार तीन फाकिस्तानी खिलाडी बने। भले ही मोहम्मद आसिफ इन बुनियाद फर सजा के खिलाफ अफील में जाने का विचार कर रहे हैं कि उनके फास से रिश्वत या मैच फिक्सिंग की कोई रकम नहीं मिली। फर घटना से शर्मिंदा फाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड ने मामले की आंतरिक जांच करने का ऐलान कर दिया है। फीसीबी शायद यह नहीं चाहता कि दोषी खिलाडियों के साथ उसे या उसके दूसरे खिलाडियों को इसमें समेटा जाए।

क्रिकेट जगत को हिला देने वाली इस घटना ने कई तरह की बहस भी छेड दी है। मसलन फाकिस्तानी मीडिया दावा करने लगी है कि मैच फिक्सिंग अकेले फाकिस्तानी खिलाडी नहीं करते, इसमें भारत, दक्षिण अफ्रीका, वेस्ट इंडीज, श्रीलंका, केन्या और आस्टे्रलियाई खिलाडी के नाम भी फर समय-समय फर सामने आए हैं। इसलिए अब फाकिस्तान की बदनामी बंद होनी चाहिए। कुछ का मानना है कि इसमें गलती केवल खिलाडियों की नहीं, बल्कि उस वातावरण की भी जिसने उन्हें इस हद तक जाने के लिए उकसाया।

फाकिस्तानी लेखक अहमद फौद लिखते हैं कि सलमान, आसिफ और आमिर का मामला अब खत्म हो चुका है। क्रिकेट के तथाकथित विशेषज्ञों को यह समझ लेना चाहिए कि तीनों ने जो कुछ किया अर्फेाी मर्जी से किया और उसमें फाकिस्तानी सरकार या फाकिस्तानी जनता का हाथ नहीं है। हैंसी क्रोनए, अजहरुदीदन, अजय शर्मा, अजय जडेजा, सलीम मलिक, अता-उर-रहमान, मोरिस ओडुम्बे, मारलान सेम्युएल्स, मार्क वाग, शेन वार्न, ब्रायन लारा, अरविंद डिसिल्वा और अर्जुन रानातुंगा भी बुकियों के साथ संफर्क रखते थे। इनमें से कई आजीवन फाबंदी झल रहे हैं और कुछ फर भारी जुर्माना लगाया गया।

इन सभी ने जो कुछ अर्फेाी मर्जी से किया और उनकी इस हरकत से उनके देशवासियों और प्रशंसकों को भी उतनी ही तकलीफ हुई होगी, जिससे आज हम गुजर रहे हैं। मगर ये सभी खुशनसीब थे। उनमें से किसी को भी जेल जाना नहीं फडा था। क्योंकि तब इस तरह के अफराधों के लिए कानून नहीं होते थे। अगर भारत, दक्षिण अफ्रीका, वेस्ट इंडीज, श्रीलंका और केन्या के खिलाडी ऐसा कर सकते हैं तो फाकिस्तान को लेकर इतने हो-हल्ला क्यों? बाकी देशों की तरह फाकिस्तानी क्रिकेट भी अर्फेो बुरे दौर से गुजर रहा है।

फौद लिखते हैं कि इन गडबडियों का यह मतलब नहीं है कि फाकिस्तानी खिलाडियों ने अच्छा खेलना बंद कर दिया है या अब वे कभी भी लाजवाब प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे। बल्कि हकीकत यह है कि फाकिस्तानी क्रिकेट टीम अगस्त 21 से सलमान, आसिफ और आमिर के बिना खेल रही है। और क्रिकेट की सबसे बडी प्रतियोगिता विश्व कफ 211 में उसने सेमी-फाईनल तक फहुंचने में कामयाबी भी फाई थी। हमारी टीम ने फूल मैचों में विश्व कफ विजेता आस्ट्रेलिया और श्रीलंका को शिकस्त दी थी। फाकिस्तान क्रिकेट टीम अर्फेो ग्रुफ में सबसे ज्यादा अंकों के साथ फहले फायदान फर थी। र्क्वाटर फाईनल में उसने वेस्ट इंडीज को धूल चटाई और सेमी-फाईनल में भारत को कडी चुनौती भी दी थी। फौद के मुताबिक फाकिस्तानी खिलाडियों ने इससे फहले भी अर्फेाा सर्वोत्तम प्रदर्शन दिखाया है, जिसे भुलाया नहीं जाना चाहिए। फाकिस्तानी खिलाडियों ने अर्फेो देश को गौरवान्वित किया है।

वहीं मशहूर कमेंटेटर और लेखक हर्षा भोगले का मानना है कि जो कुछ हुआ उसके लिए खिलाडियों के साथ-साथ समाज और हालात भी जिम्मेदार हैं। वो भी उसी समाज से आते हैं, जहां से हम हैं। हमारी तरह खिलाडी भी अच्छे, कर्मठ और मेहनती होते हैं, तो कठोर, धोखेबाज और अफराधी भी। जिस तरह एक अभिनेता जो अच्छी लाईनें बोल लेता है और एक कलाकार जो सफेद केनवास फर रंगों की दुनिया तैयार कर लेता है, ठीक उसी तरह एक खिलाडी भी मैदान फर अर्फेाा प्रदर्शन खूबसूरती से करता है। उससे हमें और ज्यादा उम्मीदें नहीं लगानी चाहिए।

हर्षा के अनुसार, मैं खुद मोहभंग के दौर से गुजर चुका हूं। फुटबाल में खिलाडी हर मिनट छल करने की कोशिश करते हैं, क्रिकेट में खिलाडी अंफायर की आंखों में धूल झोकने की कोशिश करते हैं, तो एथलेटिक्स के खिलाडी अर्फेाा प्रदर्शन अच्छा करने के लिए प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करते फाए जाते हैं। सच तो यह है कि खिलाडियों को बाकी व्यवसायों के मुकाबले कम वक्त में शोहरत मिल जाती है। इसलिए बुलंदियों फर बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। नतीजा वे अर्फेो आसफास बहने वाली हवा को सांसों के जरिए अर्फेो अंदर लेकर वैसे ही बन जाते हैं। यह कुछ वैसा ही है, जैसे हम भी बडे संस्थानों में काम करना चाहते हैं, ताकि हमें भी उसी नजर से देखा। और इस कारण को अकसर नजरअंदाज किया जाता रहा है।

हर्षा कहते हैं फाकिस्तान क्रिकेट को अर्फेो आफ से फूछना चाहिए कि उनके युवा खिलाडी किस तरह की हवा में सासं ले रहे हैं। आमिर कोई जन्म से भ्रष्ट नहीं था और न ही सलमान। जरूर वहां के हालात में कुछ ऐसा होगा जिसने उन्हें समझाया होगा कि ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है। जितने कसूरवार सलमान, आसिफ और आमिर हैं, उतने दोषी वो लोग हैं, जिन्होंने सब चलता है, जैसे हालात फैदा किए। जाहिर है इस वातावरण के जिम्मेदार वो लोग हैं, जो फाकिस्तान क्रिकेट की दौड-भाग संभालते हैं। इसलिए प्रशासन को हमेशा सावधान रहना चाहिए। वास्तव में फाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुखों में से कोई मजबूत व्यक्ति अगर चाहे तो इस बहाने फाकिस्तान क्रिकेट की कायाफलट सकता है।

हर्षा ने याद दिलाया कि अतीत में आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज ने ऐसे मामलों में जांच के प्रति थोडी रुचि दिखाई थी और यह महसूस किया गया था कि श्रीलंका बोर्ड थोडी और ज्यादा कार्रवाई करता सकती था। भारत ने भी कुछ कार्रवाई की लेकिन न्यायिक व्यवस्था के जरिए नहीं। यह कहना ठीक होगा कि हमारे यहां इस तरह के खुलासों का नौकरशाही और कानूनी प्रक्रिया में दम घुट गया होता। सो क्रिकेट को इंग्लैंड की न्यायिक व्यवस्था का बडा शुक्रगुजार होना चाहिए।

वहीं फाकिस्तान के फूर्व कपतान रमीज राजा मानते हैं कि लंदन की साउथवार्क क्राउन अदालत ने जिस तरह स्फाट-फिक्सिंग के घोटाले से निफटा है उससे क्रिकेट के साथ भ्रष्टाचार का खिलवाड खत्म हो जाएगा। उनका यह भी मानना है कि 21 में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जाने वाले लार्ड्स टेस्ट में जो भी विवाद हुए उससे फाकिस्तानी टीम में एकजुटता फैदा होगी और टीम का भविष्य बेहतर होगा।

रमीज कहते हैं कि एक तरह से देखा जाए तो जो हुआ अच्छा हुआ। इससे खेल को गंदगी से छुटकारा मिल गया है। फाकिस्तान अब अर्फेो बेहतर भविष्य की ओर देख सकता है, खासकर फिछले 12 महीनों में टीम का प्रदर्शन बहुत प्रभावशाली रहा है। ऐसा लगता है कि उन्होंने इस डरावने अनुभव से सही सबक लिया है। मुझे लगता है कि यह घटना टीम के सदस्यों को एक-दूसरे के और करीब ले आएगी। अब हमें दुनिया के सामने सिर्फ ये साबित करना है कि हम बढिया क्रिकेट खेलने वाले देश में से हैं और हमें हर एक मैच में लाजवाब प्रदर्शन दिखाना होगा।

 

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