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‘नेत्रदान’ अभियान को समर्पित समाजसेवी -रमेश लाहोटी

‘नेत्रदान’ अभियान को समर्पित समाजसेवी -रमेश लाहोटी

by विशेष प्रतिनिधि
in साक्षात्कार, सितंबर- २०१५
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मेश लाहोटी का जन्म पुणे में ही हुआ है और इसी कारण उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों पुणे ही है। पुणे के सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण का परिणाम और संस्कार बचपन से ही उन पर हुआ। घर से मिले उत्तम संस्कारों के कारण सामाजिक कार्य की ओर उनका रुझान बढ़ा।

महेश सहकारी बैंक के द्वारा उन्हें ३६ साल तक जनसेवा करने का अवसर मिला। सामाजिक कार्यों में, मुख्य रूप से ‘सामूहिक विवाह’ कार्यों में सेवा करने का अवसर अधिक मिला।

माहेश्वरी समाज मूलत: धार्मिक होने के कारण उन्हें धार्मिक कार्यों में रुचि है। माहेश्वरी बालाजी मंदिर (पुणे), कसबा पेठ उत्सव आदि के प्रमुख पदाधिकारी के रूप में कार्य करने का अवसर उन्हें मिला। पुणे महानगर पालिका की ओर से उन्हें १५/११/२०११ को आदर्श सामाजिक कार्यकर्ता का पुरस्कार महापौर की ओर से दिया गया।
सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। उपरोक्त सभी सामाजिक कार्य की प्रेरणा उन्हें पिता झुंबरलाल श्रीराम लाहोटी से मिली।

रमेश लाहोटी को कविता लिखने में भी रुचि है। उनके सामाजिक कार्य को उनके परिवार का साथ हमेशा मिलता है। पत्नी, बेटा, बेटी और मां इन सभी का सहकार्य उन्हें मिलता है। उन्हें इस बात का संतोष है कि महेश बैंक के माध्यम से अर्थिक रूप से दुर्बल बंधुओं को वे मदद कर पाते हैं।

नेत्रदान, रक्तदान तथा विविध आरोग्य विषयक शिविरों का वे आयोजन करते रहते हैं। उन्हें शांतिलाल देसरडा के साथ काम करने का अवसर मिला, जो उनके लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी रहा।

सामाजिक अर्थिक दृष्टि से दुर्बल घटकों के लिए बैंक के अलावा उन्य एक सामाजिक संस्था की भी मदद ली जाती है। उसमें उनकी पत्नी श्रीमती राजमती का महत्वपूर्ण योगदान है।

रमेश लाहोटी को वारकरी संप्रदाय की सेवा करना बहुत अच्छा लगता है। अत: पालकी के समय उनका पूरा परिवार उसमें सहभागी होकर अधिक से अधिक जनसेवा करने का प्रयत्न करता है।

वे यह सौभाग्य मानते हैं कि बालाजी मंदिर (पुणे) के नूतनीकरण के लिए वे योगदान दे सके। उनके पिताजी ने नेत्रदान किया था, जिसका उन्हें अभिमान है। अत: भविष्य में लोगों में नेत्रदान के प्रति जागृति निर्माण करने, उन्हें नेत्रदान के लिए प्रवृत्त करने, नेत्रदान के माध्यम से नेत्रविहीन लोगों के जीवन में प्रकाश निर्माण करने के कार्य के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर लिया है।
-प्रतिनिधि

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