विज्ञान के जरिए नए भारत की छलांग

विज्ञान और प्रौद्योगिकियों के जरिए देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं जारी की है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाए और इन योजनाओं में अपना सहयोग दें।

हर भारतीय के अंतःकरण में एक प्रगत और आधुनिक फिर भी भारतीय संस्कृति के ध्वज को गर्व से हाथ में धारण करने वाले राष्ट्र की छवि रहती है। उसी छवि को नया भारत इस नाम से धीरे-धीरे खुली आंखों के समक्ष साकार होते देख मन प्रफुल्लित होता है। यही है वह नया भारत जो आतंकवाद, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता, गरीबी और गंदगी को चलते -चलते मिटाते हुए संस्कृति एवं सुरक्षित पर्यावरण के पौधे लगाते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उच्चतम शिखर की ओर कदम बढ़ाते सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक चुनौतियों को पादाक्रांत कर पृथ्वी पर पुन: एक बार अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से अंकित करने चल पड़ा है। आज़ दुनिया के सभी राष्ट्र पूरी तरह से विज्ञान पर निर्भर हो चुके हैं, इसलिए आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहा जता है। विज्ञान ने कई ऐसे चमत्कारिक अविष्कार कर चीजों को इतना आसान बना दिया है, जो कि इंसान पहले कभी सोच भी नहीं सकता था। विज्ञान की नई तकनीकों से ही कई घंटों का काम अब चंद मिनटों में किया जाता है। विज्ञान की बदौलत ही आज़ हमारा सामाजिक और आर्थिक परिवेश भी पूरी तरह बदल गया है।

प्राचीन काल से ही भारत को एक समृद्ध विज्ञान परंपरा उपलब्ध हुई है। हमारे पूर्वजों का वैज्ञानिक स्वभाव दार्शनिक एवं समग्र दृष्टि में निहित था। यह हमें वैदिक गणित, परमाणु, स्थापत्य, दवाओं, शल्य चिकित्सा आदि के सिद्धांतों में सहज रूप से देखने मिलता है। भारतीयों को विज्ञान की प्रत्येक शाखा में महानता हासिल करने के लिए जाना जाता था। आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने अपने अधिकांश ज्ञान को प्राचीन भारतीय शास्त्रों से उधार लिया है जो आत्मा और पदार्थ में भारतीय हैं।
स्वतंत्रता के बाद भारत के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका रही है। आज़ादी के बाद से भारत में विज्ञान को प्राथमिकता दी गई है। सरकार भी विज्ञान के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है जो कि पिछले 4 सालों में विज्ञान के लिए बजट आवंटन में हुई 90% वृद्धि से स्पष्ट होता है। इसी तरह, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 65% की वृद्धि हुई थी; वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के लिए लगभग 43% की वृद्धि; और इस अवधि के दौरान पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लिए 26% की वृद्धि हुई थी। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर देश में शिक्षा और प्रौद्योगिकी की गति को बढ़ाने के लिए कुछ पहल के फैसले किए गए। खाद्य उत्पादन, उद्योग, स्वास्थ्य सेवा, हमारे बच्चों के लिए पोषण संबंधी स्वास्थ्य सेवा तथा जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने की योजनाएं बनाई गईं। इन सभी क्षेत्रों में, पर्याप्त प्रगति हुई है, और इन वादों को पूरा करने के लिए कई नई पहल शुरू की गई हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से हमारी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए वैज्ञानिक परिदृश्य को बदल दिया है। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ जय अनुसंधान को जोड़कर राष्ट्र की प्रगति को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक नया, व्यापक और गतिशील आयाम प्रदान किया है।

डॉ हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान के केंद्रीय मंत्री हैं। प्रधानमंत्री ने 100 दिन की अपेक्षा 1000 दिन की योजनाएं बनाई ह््ैं। 2022 तक किसान की आय को दोगुना करना; 40,000 मेगावाट की रूफटॉप सौर परियोजनाएं स्थापित करना; सभी के लिए आवास; 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा पैदा करना; खेत मजदूरों सहित महिलाओं को सशक्त बनाना और भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को प्रक्षेपित करना, जो कि मिशन न्यू इंडिया पर काम कर रह है। प्रवासी मजदूरों और कारखाने के श्रमिकों की सुरक्षा भी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और सरकार का प्रयास 2022 तक कर्मचारी राज्य बीमा योजना में 100 मिलियन श्रमिकों को शामिल करना है। ऐसे कार्यक्रम भी होंगे जो डिजिटल इंडिया पर बनेंगे। पहली मोदी सरकार ने ई-गवर्नेंस कार्यक्रम, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित किया। अगले पांच वर्षों तक, प्रत्येक भारतीय को भारत को एक मजबूत राष्ट्र में बदलने की प्रतिज्ञा करनी होगी। आजादी के 75 साल पूरे होने से पहले 2022 तक भारत को एक मजबूत राष्ट्र बना सकते हैं।
टेक्नोलॉजी विजन 2035 सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस विजन के अंतर्गत देश को जिस प्रकार की तकनीकी और वैज्ञानिक दक्षता हासिल करनी है इसकी विस्तृत रूपरेखा बनाई गई है। इस विषय में 12 क्षेत्रों पर विशेष रूप से काम किए जाने पर जोर दिया गया है। इनमें प्रमुख हैं शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, जल, पर्यावरण और यातायात। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार कई योजनाएं लागू कर रही है।

* महिला वैज्ञानिकों को शोध के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से योजनओं की शुरुआत की गई है। महिला वैज्ञानिकों को शोध के अवसर देने के लिए 227 परियोजनाओं का चयन किया है। इस योजना के अंतर्गत वैज्ञानिकों को 29 परियोजनाओं में सहायता दी जा रही है।

* सीएसआईआर की ओर से जेके अरोमा आरोग्य ग्राम परियोजना के अंतर्गत किसानों को जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के 14 गांवों में यह परियोजना चल रही है।

* 25 मार्च 2015 को राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन की शुरुआत हुई जिसके अंतर्गत भारत को विश्व स्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति बनाने का लक्ष्य रखा है। 7 वर्षों में इस पर 500 हजार करोड़ रुपए की लागत होने का अनुमान है। इस योजना के तहत देश में कई सुपर कंप्यूटर लगाने की योजना है।

* मूलभूत विज्ञान के साथ-साथ सरकार ने खासतौर से अप्लाइड साइंस अर्थात व्यवहारिक विज्ञान पर जोर दिया है। यह कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य जैसे विविध क्षेत्रों में उपयुक्त होगा। नए-नए लोगों को विज्ञान के क्षेत्र में लाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके कारण कुशल विचार प्रणाली को अंतर्भूत किया जा सके।

* युवा वर्ग के विकास पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसी के साथ साथ सामाजिक उपयोगिता पर जोर दिया जा रहा है -उदाहरण के तौर पर जल प्रबंध, ऊर्जा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में।

* विज्ञान के क्षेत्र में सरकार ने कई बातों को उपलब्ध किया है। शिक्षा द्वारा बच्चों की मानसिकता को छोटी उम्र में ही योग्य दिशा देने की योजना भी है। सामान्य लोगों तक और बच्चों तक ज्ञान का प्रचार प्रसार पहुंचे इसके लिए नई सरकार ने अटल इनोवेशन मिशन, अटल टिंकरिंग लैब्स स्थापित किए हैं ।1000 टिंकरिंग लैब्स देशभर में स्थापित किए हैं जिनके द्वारा बच्चों को सरल रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझाई जा रही है। भारत के लिए नीति आयोग परिवर्तन और पहलों के तहत अटल नवाचार राष्ट्रीय मिशन का जोर शालेय स्तर पर समस्या को सुलझाने (िीेलश्रशा ीेर्श्रींळपस) और अभिनव मानसिकता विकसित करने पर है। इसे हासिल करने के लिए, नवीनतम तकनीक से युक्त एक हजार टिंकरिंग सेंटर और प्रयोगशालाएं पूरे भारत में स्थापित की गई हैं। 3-डी प्रिंटिंग, रोबोटिक्स, संवेदी उपकरणों के साथ लघु इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रौद्योगिकी इन प्रयोगशालाओं में स्थापित की गई है ताकि छात्र इनका उपयोग कर समस्याओं का हल विकसित कर सकें। वे नए प्रोटोटाइप बना सकते हैं और विकसित कर सकते हैं। इससे नए स्टार्टअप बनेंगे। विश्वस्तरीय इनक्यूबेटर्स स्थापित करने का इरादा है और उचित सलाह के साथ स्टार्टअप प्रदान किए जा सकते हैं। ऐसे इनक्यूबेटर चुनौतियों को हल करने में मदद करेंगे। हमें ब्लैकआउट के बिना अर्थव्यवस्था होने, 30 दिनों में पुल बनाने, कम लागत पर बैटरी बनाने जैसी चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है। इस तरह के स्टार्टअप नौकरी पैदा करने में बड़ा योगदान देंगे। 65% से अधिक लोकसंख्या 35 वर्ष की आयु से कम है, इस लिए नए रोजगार के अवसर होने आवश्यक है। इस तरह के स्टार्टअप्स जॉब क्रिएटर बनने में बड़े पैमाने पर योगदान देंगे। एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र जहां प्रौद्योगिकी की एक बड़ी भूमिका है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ईींळषळलळरश्र खपींशश्रश्रळसशपलश)। इसका उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, कानून और न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। यह न केवल रोजगार पैदा करने के लिए बल्कि लाभप्रदता को बढ़ाने के लिए एक महान साधन होगा।

* इंस्पायर कार्यक्रम के अंतर्गत एक लाख शालेय बच्चों में नवाचार की वृत्ति का विकास कर सकें इस हेतु जिला स्तर पर एक लाख बच्चों को सहभागी कर उनके नवोन्मेषी प्रकल्पों का परीक्षण करके राष्ट्रीय स्तर पर 800 प्रकल्पों का चयन करके उन्हें छात्रवृत्ति दी जाएगी। इनको स्टार्ट अप के रूप में आगे विकसित किया जा सकता है।

* आज भारत महत्वाकांक्षी मेगा-विज्ञान परियोजनाओं जैसे कि द्वितीय चंद्रयान-2, तीस मीटर टेलीस्कोप, लेजर इंटरफेरोमीटर गुरुत्वाकर्षण-लहर वेधशाला (ङखॠज), अगली पीढ़ी के रेडियो टेलीस्कोप जैसे अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान सहयोग में भागीदारी। अत्याधुनिक विज्ञान में, हमारे वैज्ञानिक किसी से कम नहीं हैं। यह बहुत गर्व की बात है, 9 भारतीय संस्थानों के 37 भारतीय वैज्ञानिक फिजिकल रिव्यू लेटर्स में ङखॠज- का हिस्सा थे। वर्तमान सरकार ने परमाणु ऊर्जा विभाग और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित किए जाने के लिए भारतीय भूमि पर तीसरे एलआईजीओ डिटेक्टर की मेजबानी को मंजूरी दे दी है, जिसके लिए काम जोरों पर है।

* यह देखा गया है कि दुनिया में प्रौद्योगिकी में निवेश के लिए भारत सबसे आकर्षक देश है। वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भारत दुनिया के शीर्षतम देशों में से एक हो यह हेतु है। वर्तमान में 27 उपग्रहों सहित 11 उपग्रह संचार नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है। इसरो ने एक रिकॉर्ड के रूप में 104 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं जो अत्यंत गर्व की बात है। उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक शोध में योगदान के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है।

* सैनिकों को शोध के लिए प्रोत्साहित करने के हेतु से योजना की शुरुआत भी की है।

* हमने योग और ध्यान में गहन वैज्ञानिक अनुसंधान को फिर से जीवंत करने के लिए योग और ध्यान का एक नया कार्यक्रम शुरू किया है।

* जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने लौह-गढ़वाले चावल के प्रीमेक्स के लिए खाद्य और पोषण और प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायता की है, जिसका अब विभिन्न मध्याह्न भोजन कार्यक्रमों में पेश करने के लिए मूल्यांकन किया जा रहा है। जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार द्वारा स्थापित बायोटेक्नोलॉजी एंटरप्राइज को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए एक गैर-लाभकारी इंटरफेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया है। दुनिया में चौथे सबसे तेज सुपर कंप्यूटर प्राप्त करने के साथ, भारत में मौसम और जलवायु अनुसंधान में भी जबरदस्त सुधार हुआ है। भारत ऐसी क्षमता के सुपर कंप्यूटरों के क्लब में चौथा देश है। इन सभी बातों से यह जाहिर होता है कि नए भारत के निर्माण में नई सरकार पूर्ण रूप से सक्रिय है।

अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और विकसित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने और उनका व्यवसायीकरण करने के लिए उद्योग वास्तव में आगे नहीं आ रहा है। उद्योग को आरएंडडी कार्यक्रमों में भागीदार बनाया जाना चाहिए जो समय की आवश्यकता है। समय राष्ट्र के ’विकास’ के लिए ’अनुसंधान’ के रूप में ’अनुसंधान एवं विकास’ को फिर से परिभाषित करने के लिए परिपक्व है – जो वास्तविक अर्थों में ‘अनुसंधान और विकास’ है। यह समय भी परिपक्व है, जिसमें 125 करोड़ भारतीयों के लिए ’ईज ऑफ लिविंग’ की सुविधा के साथ-साथ शक्ति और विज्ञान और प्रौद्योगिकी की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना है। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं भारतीय अपनी वैज्ञानिक क्षमता पर जोर दें। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार भारत की प्रगति और समृद्धि की कुंजी है।

विज्ञान के इस व्यापक अर्थ को एवं भारत की मूल संस्कृति पर आधारित वैज्ञानिक सोच को सामने रखते हुए यही उचित होगा कि भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास आधुनिक एवं प्राचीन सिद्धांतों क मेल करके नवाचार को बढ़ावा दें। जबकि नए भारत के निर्माण में नई सरकार सक्रिय है तथापि राष्ट्र के विकास में प्रत्येक भारतीय का सहयोग व्यक्तिगत रूप मैं भी अनिवार्य है। सरकार द्वारा जारी योजनाओं का सकारात्मक रूप से स्वीकार करना भी उसकी सफलता के लिए अपेक्षित है। एक समग्र रूप से देश के विकास को केंद्र में रखते हुए, ’विज्ञान का संगठित ज्ञान’ के इस अर्थ को साकार करने में सरकार एवं जनता यश संपादित करके नए भारत को वैश्विक स्तर पर एक श्रेष्ठ राष्ट्र का दर्जा देने में हम सब को शुभकामनाएं।
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