देश इस समय बहुत ही बुरी परिस्थिति से गुजर रहा है। सरकार और जनता दोनों ही परेशान है और सिर्फ यह सोचने पर मजबूर है कि आखिर यह बुरे दिन कब खत्म होंगे। कोरोना का बढ़ता संक्रमण अब किसी से भी सहा नहीं जा रहा है क्योंकि अब लोगों के पास कुछ भी नहीं बचा है जिसके भरोसे पर वह जिंदगी की जंग लड़ सकते है। पिछले साल जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो लोगों के पास पहले की सेविंग्स थी जिसके भरोसे लोगों ने एक साल अपना निकाल लिया। इस दौरान कुछ अपने गांव चले गये या फिर घर पर भी रह कर जैसे तैसे अपना बुरा समय निकाल लिया। लोगों ने यह सोचा था कि यह बला दिसंबर तक कट जायेगी लेकिन अब ऐसा नहीं है। साल 2020 के बाद अब 2021 भी कोरोना की चपेट में आ चुका है। अगर रिपोर्ट पर नजर डालें तो कोरोना की दूसरी लहर में पहले से भी ज्यादा केस बढ़ रहे है।

पिछले साल की तरह इस बार भी महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है यहां हर दिन अधिक संख्या में संक्रमित लोग पाये जा रहे है अभी तक के आकड़ों में अधिकतम 50 हजार से अधिक संक्रमित लोग एक दिन में पाये गये है। सरकार ने हालात को देखते हुए जरुरी कदम उठाया है लेकिन शायद काफी नहीं है क्योंकि संक्रमित केसों में सुधार नहीं हो रहा है। महाराष्ट्र में 24 घंटे में करीब 59 हजार लोग संक्रमित पाये गये है जिसमें 322 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के बिगड़ते हालात को देखते हुए उद्धव सरकार ने पहले नाइट कर्फ्यू और फिर दिन में भी लॉकडाउन लगाने का फैसला दे दिया है लेकिन पहले से ही आर्थिक स्थिति से जूझ रही जनता और व्यापारी इस बार लॉकडाउन के समर्थन में नजर नहीं आ रहे है। महाराष्ट्र में लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही व्यापारियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। व्यापारियों की तरफ से दुकानों को बंद करने का विरोध किया जा रहा है। व्यापारी वर्ग यह चाहता है कि कड़े नियमों के साथ दुकानों को खोला जाए इससे व्यापारी वर्ग के साथ साथ दुकान में काम करने वालों को भी रोजगार मिलेगा।

भारत के साथ साथ बाकी देश भी फिर से लॉकडाउन की तरफ बढ़ रहे है लेकिन अर्थव्यवस्था को बचाने की चुनौती भी सभी सरकारों के पास है। सरकार के पास भी कड़ी चुनौती है इस हालात में या तो अर्थव्यवस्था को बचाया जा सकता है या फिर इंसान की जान को। वैसे तो इंसान की जान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है लेकिन वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था भी उतनी ही जरूरी हो गयी है जितनी की इंसान की जान है क्योकि अगर अर्थव्यवस्था बिगड़ी तो देश का रोजगार और व्यापार सब खत्म हो जायेगा फिर ऐसे में जीवन जीने के लिए पैसे नहीं होंगे और ऐसी स्थिति भी मरने जैसी ही होगी।