अमृतकलश छलके अमृतानंदमयी अम्मा

माता अमृतानंदमयी की विश्व को अनमोल देन है प्रेम और करुणा की वैश्विक भाषा, बिना शब्दों की, मातृत्व से भरपूर आलिंगनों की भाषा। आंखों में छलकती करुणा और आलिंगन की ऊष्मा से प्रवाहित मौन भाषा, निष्कलंक, निश्चल, खुले सहज व सरल प्रेम की।

केरल के कोवलम जिले में, सागर तीर पर स्थित आलप्पाड पंचायत के छोटे से गाँव परयकडवु के मछुआरे इडमन्नेल के परिवार में 27 सितम्बर 1953 को जब सुधामणि जन्मी तो उनकी मां दमयंती तथा पिता सुगुणानंदन को क्या मालूम था कि उनके यहां साधारण संतान के रूप में, स्त्री वेश में, अवतार ने जन्म लिया है।

घनश्यामवर्णी, पद्मासन में लेटे इस शिशु को देख माता पिता चकित रह गए थे। दो वर्ष की आयु से ही बिना किसी के सिखाए श्री कृष्ण स्तुति गाने लगी थी। पांच वर्ष की आयु में गांव के श्राविकाड स्कूल में पढ़ने गईं तो उनकी आधारण स्मरण शक्ति पर शिक्षक चकित रह जाते थे। जब तक स्कूल में पढ़ी तब तक वह कक्षा में सर्वप्रथम आई। सात साल की बच्ची की अनन्य भक्ति से पूर्ण भजन तथा बालमित्रों के साथ कृष्णाभिनय के खेल को परिवार जन एवं गांव वाले बाल सुलभ खिलवाड़ ही समझते रहे। उसने दिन रात ध्यान, गान और दिव्य नाम स्मरण में बिताना शुरु कर दिया। कृष्ण कथाएं सुनतीं तो समाधि में डूब जाती। मां बाप को उसके विवाह की चिंता सताती किंतु सुधामणि येनकेन प्रकारेण लड़के या लड़के वालों को भगा देतीं। बदले में फटकार तो मिलनी ही थी; सो मिली भी। परिवार वाले उसे पागल अथवा मानसिक रोगी समझने लगे। पर वह तो कृष्णमय थी। पुष्प तक को वह नहीं तोड़ पाती थीं; क्योंकि वहां भी उसे दिखता था कृष्ण। रेत का कण-कण भी कृष्ण था और उसे स्वयं को भी अनुभूति होती थी कि मैं ही कृष्ण हूं। 20 वर्ष की आयु होते-होते वह आंतरिक रुप से परब्रह्म में स्थित हो चुकी थी।

सितम्बर 1974 में वह भाई सतीश के साथ पड़ोसी के घर के सामने से गुजरते हुए श्रीमद् भागवत के श्लोक सुन अभिभूत खड़ी रह गईं और अद्भुत तरीके से उसमें भाव परिवर्तन हुआ। वह दौड़ कर जाकर भक्त मण्डली में खड़ी हो गईं और स्वयं साक्षात कृष्ण रूप दिखने लगीं। सुधामणि के अलौकिक प्रत्यक्षीकरण का समाचार बड़ी तेजी से गांव भर में फैला और भीड़ जुटने लगी। तब से आज तक वह स्थान केरल व अन्य देशवासियों के लिए तीर्थस्थान बन गया है। भीड बढ़ती ही गई है। शंकालुओं ने कहा चमत्कार दिखाओ। कृष्णरूप सुधामणि ने उत्तर दिया कि जो अस्तित्व में नहीं उसे अस्तित्व में लाया भी नहीं जा सकता। सभी वस्तुएं मन का प्रक्षेपण हैं। चमत्कार छलावा है। एक बार का चमत्कार बार-बार उसे देखने की कामना उत्पन्न करेगा। मैं यहां कामना उत्पन्न करने नहीं, वरन समाप्त करने आई हूं।

1975 में ही एक दिन उसे देवी के दर्शन प्रकाशपुंज की पृष्ठभूमि में हुए। तब से उसमें देवी दर्शन की भावना बहने लगी। अब वह मां के दर्शनों को व्याकुल रहने लगी और समाधि में जाने लगी। उसकी व्याकुल पुकार सागर तटों पर गूंजती रहती। उसे देवी मां की उपस्थिति कण-कण में दिखने लगी। अम्मा-अम्मा तुम कहां हो! तुम कहां नहीं हो और एक दिन देवी को पुकारते-पुकारते अचेत हो गई तो उसी क्षण विश्वमोहिनी, सर्वज्ञाता, सर्वाधीश्वरी सुधामणि के समक्ष कोटी-कोटी सूर्यसम जाजवल्यामान रुप में प्रत्यक्ष प्रकट हुई। देवी मां विशुद्ध ज्योति के रूप में सुधामणि में समाविष्ट हो गई। अब वह देवी भाव में भी दर्शन देने लगी। पर गांव वाले उसे पागल समझने लगे। कई बार तो उसे घर से निकाल दिया गया।

21 वर्ष की आयु में 1975 में परमात्मा-साक्षात्कार की अभिव्यक्ति को ब्रह्म रूप से प्रकट किया और 22 वर्ष की आयु में सत्य के अन्वेषियों को दीक्षित करना प्रारंभ कर दिया! परम सत्य में स्थित होकर भी, करुणा से ओत- प्रोत हो, भक्तों के स्तर पर उतर कर, भव्य जीवों के कल्याणार्थ 27 बर्ष की आयु में 6 मई 1981 को श्री माताजी के आदर्श और उपदेशों के संरक्षण और प्रसार के लिए केरल के गांव कोवलन के छोटे से घर को विशाल आश्रम एवं अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र माता अमृतानंदमयी मिशन के मुख्यालय में परिवर्तित कर दिया और सुधामणि माता अमृतानंदमयी सबकी अम्मा बन गई। हजारों को प्रेम बांटने, आशीष देने और मार्गदर्शन करने। भारतीय संस्कृति, परम्परागत वेदांत और संस्कृत भाषा के ज्ञान का प्रसार करने के लिए 27 अगस्त 1982 को आश्रम में एक वेदांत विद्यालय की स्थापना की गई।

धरती मां के सामने भार धारण करने की क्षमतायुक्त परमधात्री, सच्ची कर्मप्रणेता अम्मा स्वयं चौथी तक शिक्षित होते हुए भी 40,000 बच्चों की शिक्षा का प्रावधान करा रही हैं। उनके चरित्र का पुनर्निर्माण करने के लिए। अम्मा ने पीड़ित मानवता को केवल उपदेश ही नहीं दिया है अपितु उसे राहत पहुंचाने, उसकी सेवा करने के लिए माता अमृतानंदमयी मठ की लोक धमार्थ न्यास के रुप में स्थापना की। जाति, प्रजाति, धर्म, देश की सीमाओं से ऊपर होकर सम्पूर्ण भारत व विश्व भर में सेवा कार्य करने के लिए। जिसके द्वारा संचालित हैं आज न केवल आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त एक विशाल चिकित्सालय, अपितु देश भर में 33 स्कूल, 500 आवास, 12 मंदिर, गरीबों के लिए 25 हजार घर, 50 हजार बेसहारा महिलाओं के लिए पेंशन, वृद्धाश्रम, अनाथालय आदि भी। 17 मई 1998 को कोच्चि में अमृता इंस्टिटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एण्ड रिसर्च सेंटर का उद्घाटन माताश्री के अथक प्रयासों का फल है।

अध्यात्म व विज्ञान के संतुलित सम्मिश्रण से ज्ञान से बुद्धि की एयरकंडिशनिंग करके भक्तों को अपना बना लेती हैं अम्मा। प्रेम और करुणा की वैश्विक भाषा से, बिना शब्दों की, मातृत्व से भरपूर आलिंगनों की भाषा, जो सम्पूर्ण विश्व में समझी जाती है। आंखों में छलकती करुणा और आलिंगन की ऊष्मा से प्रवाहित मौन भाषा, निष्कलंक, निश्चल, खुले सहज व सरल प्रेम की। विश्व को अम्मा की अद्भुत देन है।

अम्मा द्वारा संचालित लोकोपकारी कार्यक्रम

आपदा राहत
* 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में आये भूकम्प के चलते, मठ ने टिन से बने अस्थायी आवास की सुविधा प्रदान की। मठ ने नेपाल के लोगों के लिए 1 लाख टिटनेस के वैक्सीन व 2 टन दवा पहुंचाई।

*वर्ष 2014 में जम्मू-कश्मीर में आई बाढ-धरों के निर्माण पर विशेष दृष्टि रखते हुए राहत तथा पुनवन पर र 30 करोड की सहायता प्रदान की गई।

* 2014 में आये प्रचण्ड तूफान, हैयान,द्वारा भारी विनाश की चपेट में आये फिलिपींस को मठ ने 2 मिलयन यू. एस. डॉलर की राशि प्रदान की।

*2013 में उत्तराखंड में आई आकस्मिक बाढ के चलते स्वास्थ्य-सेवाओं के लिए मेडिकल सेंर्टर्स,500 घरों और स्कूलों के निर्माण की योजना।

*2013 में केरल में घटित भू-स्खलन तथा नौका-दुर्घटना द्वारा प्रभावित परिवारों को एक-एक लाख रुपयों की सहायता प्रदान की गई।

*2012 में शिवकाशी , तमिलनाडु में हूए एल.पी.जी टैंकर और फायरवर्क्स फैक्ट्री के विस्फोट में मृतकों तथा घायलों के परिवारों को सहायता दी गई।

*2011 में जपान में आये भूकम्प व सुनामी आपदा में अनाथ हो जाने वाले बच्चों के लिए 10 लाख यू.एस डॉलर की सायता प्रदान की गई।

*2010 में हती में आये भूकम्प पीडितों हेतु दवाएं, कम्बल तथा तीस छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई।

*2009 में कर्णाटक एवं आन्ध्रप्रदेश में आई बाढों के दौरान विस्थापित शरणार्थियों के लिये 1,000 घरों का निर्माण किया गया एवं दवाओं तथा भाजन-साभग्री हित लगभग 1.07 करोड यू.ए.डाऽलर की सहायता दी गई।

*2008 में बिहार में आई, 2006 में गुजरात तथा 2005 में मुंबई में आने वाली बाढ के समय राहत के लिए दवाओं तथा भोजन ामग्री पर 15 लाख यू. एस. डॉलर से भी अधिक खर्च किया गया।

*2005 में काश्मीर भूकम्प के समय भोजन सामग्री आदि पहुंचाई गई।

*2005 में यू.एस. में आये कटरीना हरिकेन के समय बुश-क्लिंटन कटरीना फण्ड में 10 लाख यू.एस. डॉलर की सहायता प्रदान की गई।

*2004 में भारत व श्रीलंका में आये भयंकर सुनामी में कुल मिला कर 460 लाख यू.एस.डॉलर से अधिक सहायता प्रदान की गई जिसमें 6,200 धर बनाने, 700 मछली पकडने की नौकाएं खरीदने, पुल बनाने तथा 2,500 पीडीतों हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था शामिल है।

*2001 में आये गुजरात भूकम्प में 1,200 भूकम्प- प्रतिरोधी घर बना दिए गए।

अन्य सहायता-प्रकल्प

*स्थानीय विकास हेतु मूलभूत सुविधाएं दे कर, छात्रवृत्तियां एवं पेंशन दे कर, व्यावसायिक प्रशिक्षण दे कर, स्कूल व मेडिकल-ेंटर खोल कर तथा रीसाइक्लिंग आदि के कार्यक्रम आरम्भ कर, उन्हें आत्म-निर्भर बनाने के उद्देश्य से सम्पूर्ण भारत के 101 गावों को चुना गया।

*सम्पूर्ण भारत में गरीबों के लिए 45,000घरों के निर्माण कार्य को पूरा किया गया है। लक्ष्य ह एक लाख घर।
स्टार्ट अप कपिटल, व्यावसायिक शिक्षा तथा माईक्रोक्रेडिट-लोन की सुविधा प्रदान कर के एक लाख महिलाओं का सशक्तिकरण किया गया।

*99,000 निराश्रित महिलाओं तथा शारीरिक, मानकि रुप से अक्षम लोगों को पेंशन दी जाती ह, लक्ष्य है- एक लाख।

*अति निर्धन किसानों के 51,000 बच्चों को छात्रवृत्तियां प्रदान की गई, लक्ष्य एक लाख का है।

*गरीबी-रेखा से नीचे के 10,000 लोगों को,‘ऑर्गेनिक फार्मिग इनिशिएटिव’ के अंतर्गत उनकी अपनी जमीन पर जैविक सब्जियां उगाने के लिए सहायता दी गई।

*केरल में 500 एवं नैरोबी में 100 बच्चों के लिए अनाथाश्रमों की थापना की गई।

*प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड गरीबों को भारत में तथा 2.5 लाख लोगों को भारत से बाहर, जिसमें यू.एस के 1,50,000 लोग शामिल हैं, अन्नदाना किया जाता है।

*शहरों, मंदिरों के प्रांगणों, नदियों तथा परर्को आदि की फाई के लिए 1,000 से अधिक स्वच्छता अभियान चलाये गए।
*भारत में चार वृद्धाश्रमों की व्यवथा है।

*यू.एस. में कैदियों की ांत्वना हेतु कैदि कल्याण योजना।

*बधिरों के लिए स्कूल एवं उनको आत्म-अमिव्यक्ति हेतु शिक्षित करना। बच्चों को उनमें छिपी हुई प्रतिभाओं को ढूढ निकालने में सहायता करना।

सामयिक

*8 दिम्बर 2015 को चेन्नई में हुई जल प्रकोप के अवसर पा मठ ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 करोड रुपये की सहयोग राशि दी। मठ ने सैंकडों स्वयेंवक भेज कर हजारों परिवारों को अन्न- पानी, औषध, वस्त्र एवं अन्य जरुरी सामग्री वितरीत की।

* 11सितम्बर,2015 को सम्पूर्ण भारत में शौचालय-निर्माण-परियोजना हेतु, मठ द्वारा 200 करोड रुपये की राशि दी। अम्माने गंगा के किनारे बसे हुए ग्रामों में शौचालयों के निर्माण हेतु 100 रुपये का चेक प्रदान किया। यह शौचालय निर्माण प्रकल्प ‘स्वच्छ-भारत’ एवं ‘नमामि गंगे’ नामक परियोजना का भाग है। इस के अलावा केरल में भी शौचालय निर्माण के लिए 100 करोड रुपयों की घोषणा क गई।

*21 जुलाई 2015, फ्रांस के राष्ट्रपति, श्री फ्रांसुआ होलॉन के पृथ्वी-संरक्षण हेतु विशिष्ट उपराजदुत द्वारा पैरिस में आयोजित एक दिवीय समारोह में अम्मा को आमन्त्रित किया था। यहां अम्मा का विडियो संदेश दिखाया गया जिसका सार था, ‘पर्यावरण के अपकर्ष की कभी अवहेलना ना करें।’

*8 जुलाई 2015 को संयुक्त-राष्ट्र में अमृता विश्वविद्यापीठ तथा द्वारा चिरस्थायी विकास हेतु तकनीकी पर सम्मलेन का आयोजन किया गया जिमें अम्मा प्रमुख वक्ता थीं। इस सम्मेलेन का लक्ष्य विभिन्न विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग व शोधकार्य का परस्पर आदान प्रदान था।

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