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आदिवासियों की प्रेरणा बना श्री हरिहर ट्रस्ट

आदिवासियों की प्रेरणा बना श्री हरिहर ट्रस्ट

by विशेष प्रतिनिधि
in मई २०१६, सामाजिक
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श्री हरिहर सोशियो स्पिरिचुअल एण्ड कल्चरल इवोल्यूशन ट्रस्ट की स्थापना महाराष्ट्र के ठाणे जिले के वाडा तालुका में 2002 में हुई। ट्रस्ट की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य है आदिवासी लोगों को भौतिक, मानसिक और अध्यात्मिक प्रोत्साहन देना। आदिवासी क्षेत्रों का प्रमुख पेशा खेती होने के कारण खेती से संबंधित भिन्न-भिन्न तकनीकों और मशीनों का लोगों को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना शुरू किया। ट्रस्ट के केंद्र पर पहले एक मॉडल तैयार किया गया जिससे किसानों को प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हो सके। हर साल धान तथा विभिन्न फलों के वृक्षों को लगाया और आदिवासी लोगों को इन पौधों को लगाने का प्रशिक्षण दिया। वाडा क्षेत्र आदिवासी होने के कारण वहां पुराने तरीकों से सिर्फ धान की ही खेती की जाती थी। संसााधनों की कमी के कारण वे वर्ष में सिर्फ एक ही फसल की खेती करते थे। हमने उन्हें न्यूनतम दर पर खेती करने के साधन देने का निश्चित किया ताकि समय पर धान काट कर मूंग आदि उगा सकें। और उनके बाद जिनके पास पानी के संसाधन है वे गेहूं की खेती भी कर सके। इस कार्य के लिए नैसर्गिक धान, गेहूं और अरहर (तुअर) के बीजों के वितरण की व्यवस्था की।
अध्यात्म और सेवा मानवता के अटूट अंग हैं। सेवा से ही अध्यात्म की शुरूआत होती है इसलिए गरीबों की सेवा करके, उनके बच्चों कोे प्रेम देकर और हरिनाम उच्चारण दोहराकर बुद्धि की शुद्धि का प्रयास करते हैं।

हमारी संस्था का उद्देश्य है मानव को उसके जीवन का उद्देश्य समझाना और परिवर्तन लाना। अदिवासी लोग अपने पूर्वग्रहों में जकड़े थे। उन्हें आज के युग की बदलती हुई अवस्थाओं का ज्ञान कम था। इसके लिए हमने अपने केंद्र पर टीवी लगाए और टीवी के माध्यम से, अलग-अलग वीडियो के माध्यम से विकास के दृश्य दिखाए और समाज किेस तरह से विकसित हो रहा है इसकी जानकारी दी।

हमारी संस्था को किसी पुरस्कार की अपेक्षा नहीं है। गरीबों का प्रेम ही हमारा पुरस्कार है। सेवा के विभिन्न हेतु के बारे में हमारा मुख्य हेतु एक ही है। सेवा द्वारा मानव का आत्मविकास करना। आत्मविकास ही अध्यात्म है और अध्यात्म वसुधैव कुटुम्बकम् की शिक्षा देता है।

भविष्य में हम विभिन्न संस्थाओं का सहयोग लेकर उनको अपने केंद्र के संसाधन प्रदान करके अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अग्रसर होंगे। इस रास्ते में हमारे साथ हरे रामा हरे कृष्णा, गोधाम संस्था और श्री श्री रविशंकरजी के ग्राम विकास विभाग ने सहयोग करना आरंभ किया है। हम आशा करते हैं कि हम मिलकर अपने उद्देश्य को आगे बढाएंगे। हम आभारी हैं कि श्री श्री रविशंकरजी के संन्यासिओं ने आकर पाडों-पाडों (छोटे-छोटे गांवों) में जाकर विविध प्रोग्राम करके नवचेतना और सुदर्शन क्रिया सिखाने की कोशिश की और हाल ही में हरे रामा हरे कृष्णा वालों ने हमारे साथ मिल कर नैसर्गिक खेती का प्रशिक्षण देने में योगदान दिया। शीघ्र ही हम उनके साथ मिलकर गोपालन, जैविक खेती, जैविक खाद का प्रशिक्षण ग्रामीण क्षेत्रों में देंगे।
युवाओं को कार्य हेतु हमारा संदेश है कि बदलते हुए परिवेश में मानवता के कार्य करें। स्वयं प्रगति पथ पर चलें और समाज की प्रगति में सहयोग करें।

स्वार्थ से ऊपर उठ कर परमार्थ का सोचें तो परम पिता परमात्मा स्वयं उनको सामर्थ्य प्रदान करेंगे और हम जैसी बहुत सी संस्थाएं आगे आएंगी।
———

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