हिंदी की अलख जगाती महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी

भारत गांवों का देश है। यहां के 5 लाख 50 हजार गांव ही भारत की वास्तविक पहचान हैं। इन गांवों में भारत की 60% जनता निवास करती है। गांव ही भारत की ऊर्जा और उसकी शक्ति हैं। अत: भारत की शासन-प्रशासन को सर्वस्पर्शी बनाने के लिए जब भारत के संविधान का निर्माण हुआ तो उसमें भारत के शासन को चलाने के लिए हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया, साथ ही यह भी व्यवस्था की गई कि सभी प्रदेशों के शासन प्रशासन वहां की अपनी मातृभाषा में चलाए जाएंगे। इस प्रकार भारत की संघ सरकार की राजभाषा-हिन्दी तथा राज्यों के प्रशासन की भाषा वहां की प्रादेशिक भाषाएं होंगी जैसे महाराष्ट्र राज्य की मराठी, गुजरात की गुजराती, कर्नाटक की कन्नड आदि आदि। तथापि सरकारी स्तर पर यह भी निर्णय लिया गया कि चुंकि हिन्दी देश की संपर्क भाषा है और देश ही नहीं विश्व में भी यह सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में एक मानी जाती है। अत:इसके विकास और प्रचार-प्रसार के लिए भी सभी प्रदेश कार्य करेंगे।

उपयुक्त संकल्प को ध्यान में रखकर महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्ष 1986 में महाराष्ट्र राज्य में हिन्दी भाषा तथा सहित्य के संवर्धन के लिए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की स्थापना की गई। इसका उदेश्य महाराष्ट्र राज्य में हिन्दी भाषा तथा साहित्य के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहन देना, महाराष्ट्र राज्य की राज्यभाषा मराठी तथा हिन्दी साहित्य कें बीच साहित्यिक तथा सृजनशील विधाओं का आदान प्रदान करना, हिन्दी में शोध निबंधों, प्रबंधों तथा स्तरीय ग्रंथों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं के प्रकाशन में सहयोग देना तथा आर्थिक अनुदान: मराठी भाषी हिन्दी के विद्वानों तथा साहित्यकारों अथवा महाराष्ट्र के हिन्दी लेखकों पत्रकारों,सहित्यकारों को पुरस्कृत करना; राज्य में हिन्दी भाषा एवं साहित्य के संवर्धन हेतु संगोष्ठी,परिसंवाद,सम्मेलन तथा प्रदर्शन आदि का आयोजन करना हैं।

हिन्दी साहित्य के विकास के साथ-साथ, हिन्दी अकादमी संपूर्ण महाराष्ट्र में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए भी काम करती हैं। महाराष्ट्र के शहरों -गांवों के विद्यालयों/महाविद्यालयों में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार तथा उसमें प्रवीणता प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है जिसमें छात्र-छात्राएं बडी संख्या में भाग लेते हैं। इससे उनका हिंदी के प्रति अनुराग बढता है और वे अपनी मातृभाषा के साथ-साथ देश की राजभाषा-संपर्क भाषा में भी प्रवीणता प्राप्त करके अपना ज्ञानवर्धन तथा करते हैं।

कहना नहीं होगा बल्कि, हिन्दी आज की आवश्यकता हैं। केवल भारत में हीं नहीं, विश्व के किसी भी देश में अब हिंदी बोली तथा समझी जाती है। अमेरिका तथा यूरोप के अनेक देशों में अब हिन्दी बोलने और समझने वालों की संख्या भी बढ रही है। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में भी अपने सम्बोधनों से हिन्दी को नई ऊर्जा और गरिमा प्रदान की है। अमेरिका, इंगलेंड,ऑस्ट्रेलिया अरब देश जहां भी प्रधानमंत्री गए,वहां उन्होंने हिन्दी के माध्यम से देश के मन की बात लोगों केसामने रखी और लोगों ने भी उसे उसी भाव स्वीकार किया। उसका कारण है कि हिंदी भारत के जन की और उसके मन की भाषा है तथा वह लोगों के ह्दय को स्पर्श करती है अब, महाराष्ट्र हिन्दी सहित्य अकादमी ने भी यह निश्चय किया है कि वह हिन्दी सहित्य के विकास के लिए, हिन्दी को संपर्क भाषा के रूप में और अधिक प्रभावी तरीके से उपयोग में लाने के लिए तथा उसे महाराष्ट्र के दूर-दराज के क्षेत्रों, गांवों तालुका स्तर तक लोकप्रिय बनाने के लिए सुनिश्चित प्रयत्न करेगी तथा विविध अनेक कार्यक्रमों को आयोजित करके महाराष्ट्र में गांव स्तर तक हिन्दी को अधिक लोकप्रिय बनाने का कार्य करेगी।

Leave a Reply