बात कुछ भी नहीं थी मगर …..!

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मैं बेबात कुछ नहीं बात होते हुए भी ज्ञानी जी से उलझ गया। ऐसे ज्ञानी आपके इर्द-गिर्द भी होंगे, आप संभलोगे? कृपया ज्ञानी जी की तरह बेबात मुझसे सवाल नहीं उठाएं, मैंने सारे उत्तर इसमें दे दिए हैं।

बिखर रही है झाडू!

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देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करके साफसुथरा बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न झाडू रखा था; परंतु अब उसी झाडू के तिनके अब बिखरते नजर आ रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि आगामी चुनावों से पहले और कुछ तिनके बिखर जाएं और अरविंद कहें- बिखर गए झाडू के तिनके अब सफाई कैसे हो?

विपरीत दिशाए

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गांव बचपन में ही छूट गया था लेकिन भइया भाभी के कारण रिश्ता नहीं टूटा था। कुछ वर्षो तक तो वहां आना जाना नियमित रूुप से होता रहा, परन्तु पत्नी और बच्चों की अनिच्छा के कारण इधर कुछ वर्षो से बिल्कुल समाप्त हो गया था। बच्चे सभी महानगर में पले बढे; यहा के मोहल्लों और सडकों से आये गये, इस कारण उन्हे गांव की तुलना में शहर ही अपना ज्यादा लगता था।

सांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका

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सांप्रदायिक राजनीति की विभीषिका पर शोधोपरांत प्रोफेसर डॉ. अलकेश चतुर्वेदी द्वारा लिखित एवं इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत द्वारा प्रकाशित पुस्तक “सांप्रदायिक राजनीति का इतिहास”, वर्तमान बदलते परिद़ृश्य में जनमानस के लिए अमूल्य निधि के रूप में उपलब्ध है।

सिर्फ चर्चा से … आतंकवादियों का हौसला न बढाओ

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पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने कश्मीर में आर्मी पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। आर्मी के उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर रविवार तड़के हुए इस हमले में 17 जवान शहीद हो गए। इनमें से 13 की मौत टेंट में लगी आग से जिंदा जलने से हुई। आतंकी सुबह 3.30 बजे कैंप की पिछली दीवार से घुसे।

त्यौहार सिर्फ त्यौहार नहीं

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त्यौहार केवल सुंदर कपड़े पहन कर सेल्फी खींचना नहीं। अपनी परंपराओं को केवल सोशल मीडिया तक सीमित रखना नहीं तो त्यौहार सभी के साथ मिलकर मनाना, सबके बारे में सोचना है।

अखिलेश यादव की बगावत के मायने

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उत्तरप्रदेश विधानसभा के आगामी चुनावों के लिए भले ही चन्द महीने शेष रह गए हों परन्तु राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के अन्दर इस समय जो यादवी संघर्ष की स्थिति दिखाई दे रही है उसे देखकर यह अनुमान तो कतई नहीं लगाया जा सकता कि पार्टी को अगले चुनावों में अपनी अच्छी विजय सुनिश्चित करने की कोई चिन्ता है।

विजय का पर्व विजयादशमी

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आज का संघर्ष नए रूप में हमारे सामने हैं। आतंकवाद असुर जैसा रूप धारण कर मासूम लोगों की जान ले रहा है। भूमंडलीकरण के बाद हमारे समाज को लुभाने मायावी रूप धारण कर कई चीजे हमारे सामने आ रही हैं। क्या हम इन नए आक्रमणों पर विजय प्राप्त कर सकतें हैं ? विजयादशमी के पर्व पर इस दिशा में हमे सोचना होगा।

नथुराम गोडसे को जिंदा रखना कांग्रेस की मजबूरी

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गांधी हत्या का झूठा लांछन संघ पर मढ़ने का खेल पंडित नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक चल ही रहा है। क्योंकि, गोडसे को जिंदा रखना कांग्रेस की मजबूरी है। गोडसे को संघ की वैचारिक पहचान से जोड़ना कांग्रेस की अनिवार्यता बन गई है। इसी कारण कांग्रेस के साथ अन्य हिंदू-विरोधी लोग समस्त हिंदुत्ववादी विचारधाराओं को आरोपी के कठघरे में खड़ा करने का निरंतर प्रयास करते हैं।

काट और प्रति-काट की रणनीति

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भारत के परम्परागत मित्र सोवियत संघ के बिरखने और वैश्विक स्तर पर रूस के कमजोर होने से जो एक रिक्तता पैदा हुई थी उसे हाल के अमेरिकी रक्षा समझौते ने भर दिया है। इससे अब दोनों देश एक-दूसरे के फौजी अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस तरह दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन की स्थिति पैदा हो गई है। पाकिस्तान और चीन साजिशों की काट के रूप में इसे देखा जाना चाहिए। इस बात का समर्थन अन्य देशों के साथ हुए रक्षा समझौतों से भी हो जाता है।

बतर्ज बांग्लादेश मोदी का मिशन बलूचिस्तान

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भारत ने बलूच मुद्दा निर्णायक तौर पर वैश्विक राजनैतिक आकाश में उछाल दिया है तब लगता है कि देश में एक स्पष्ट बहुमत धारी प्रधान मंत्री होने के क्या अर्थ होते हैं यह वस्तुतः देखने को मिलेगा। अब देखना है की नरेंद्र मोदी अपनी चाहत के अनुरूप किस प्रकार और कब इंदिरा गांधी की बांग्लादेश निर्माण वाली भूमिका को निभा पाते हैं?!

पाकिस्तान कितने टुकड़ों में बंटेगा?

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आने वाले समय में पाकिस्तान चार भागों में विघटित हो सकता है- स्वतंत्र सिंध, बलोचिस्तान, खैबर प्रदेश तथा पाकिस्तान का पंजाब। पाक अधिकृत कश्मीर का विलय, भारत में अवश्य होगा। गिलगिट-बाल्टिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र बनेगा। परन्तु भारतीय दूरगामी हितों की दृष्टि से पाकिस्तान का छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजन भारत के हित में होगा यह संदेहास्पद है।

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