एक युग का अन्त है… पूज्य आचार्य श्री धर्मेन्द्रजी महाराज का गोलोकवास

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उनकी परम चेतना ही समस्त हिन्दू समाज को निरंतर उत्प्रेरित करेगी और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सदैव सन्नद्ध रहने की प्रेरणा देगी। साथ ही उनका पावन स्मरण हिन्दू समाज को अपनी धर्म, संस्कृति तथा परंपरा के प्रति अधिक समर्पण भाव से आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद आचार्य स्वामी श्री धर्मेन्द्रजी महाराज की परम चेतना को प्रणाम एवं विनम्र श्रद्धांजलि।

हिन्दू चेतना के प्रचार प्रमुख – पंडित आनंद शंकर पंड्या

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हिन्दुत्व के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान उनका हिन्दुत्व के प्रचार-प्रसार तथा जन जागरण के लिए करोड़ों की संख्या में समय-समय पर वितरित किए जाने वाले हस्त पत्रक (हैंड बिल), पत्रक, पुस्तिकाएं तथा समाचार पत्रों में विज्ञापन का रहा है। उन्होंने विगत पचास वर्षों में अपने आलेखों, पत्रकों तथा साक्षात्कार…

मारीशस के तुलसी अरुण-मृदुल सेवक सुखदाता

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अरुणजी का अवसान मारीशस में एक युग की समाप्ति है, किन्तु भारत भी अससे अछूता नहीं रहा है। अरुणजी ने जिस प्रकार से बीसवी शताब्दी के उत्तरार्ध तथा इक्कीसवी सदी के प्रारंभ में समय की आवश्यकता के अनुरूप समाज को श्रीराम चरित से जोड़ने का सद्प्रयास किया, वह अभिनंदनीय तो है ही, किन्तु अनुकरणीय भी है।

अध्यात्म का वरदान भारतीय परिधान

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जो बात या गरिमा महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली साड़ी से झलकती है वह समाज की महिला के प्रति दृष्टि भी बदल देती है। भारत में स्त्रियों द्वारा साड़ी का पहनना एक जीवन पद्धति भी है और परंपरा भी, जो वैदिक काल से अब तक निरंतर प्रवाहमान है। साड़ी न केवल भारत को बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए स्त्री की स्त्रीत्व और मातृत्व की पहचान है।

आओ मेरे राम तरस रही अखियां

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श्री राम जन्मभूमि मंदिर की और उसके फलस्वरूप उसके भूमि पूजन का भाव ही शरीर को रोमांचित करता है, मन को परमानंद की अनुभूति और बुद्धि को निर्मल करके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अतः यह संपूर्ण श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की घटनाएं आज के युग में त्रेता युग की उन घटनाओं की बिम्ब ही प्रतीत होती हैं।

बंदउ गुरु पद कंज

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गुरु वह प्रज्ञावान, ज्ञानवान महापुरुष और श्रेष्ठ मानव होता है जो अपने ज्ञान का अभीसिंचन करके व्यक्ति में जीवन जीने तथा अपने कर्तव्य को पूरा करने में उसकी सुप्त प्रतिभा और प्रज्ञा का जागरण करता है।

आत्मनिर्भरता का अध्यात्म -सेवा

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‘स्व’ की इस चेतना का विस्तार ही अध्यात्म है और उसके फलस्वरूप निःस्वार्थ भाव से किया गया कार्य ही ‘सेवा’ है।इस प्रकार जब समाज का हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को गढ़ता है और सत्कर्म करते करते आगे बढ़ता है, तो ‘आत्मनिर्भर’ समाज के लक्ष्य की प्राप्ति में फिर कोई संशय नहीं रहता है।

थाईलैण्ड में राम राजा हैं

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थाईलैण्ड ने आज भी हिंदू संस्कारों से सराबोर अपनी संस्कृति को बचाए रखा है। वहां राजा का नाम राम रखने की परम्परा कायम है। फिलहाल दसवें राम राजा गद्दी पर हैं। वहां जीवन के सभी अंग अर्थात- अमृत और विष- दोनों मौजूद हैं। आप क्या लेना चाहेंगे यह आपकी भावना पर निर्भर है। तुलसी ने सच कहा है- जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मूरत तिन देखी तैसी।

नए भारत का निर्माण और घर परिवार

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मकान तो कोई भी बना सकता है, पर घर संस्कारों से ही बनता है। परिवार इसका आधार है। ...क्या यह घर परिवार फेसबुक, या अन्य इलेक्ट्रनिक साधनों, आर्थिक संपन्नता या धन से हासिल हो सकेगा? नए भारत की नई पीढ़ी का यही सवाल है, उत्तर हमें देना है।

तन, मन जीवन समर्पित

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स्वरूपजी अब इस संसार में नहीं हैं, लेकिन उनके आचार-विचार समाज को सदैव प्रचोदित और प्रेरित करते रहेंगे। ...जीवन के 90 वर्ष -9 पूर्णांक, शून्य अनंत का गान, बना एक समाज समर्पित जीवन का चिरस्थान, ॐ राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम। पूर्णमद: पूर्णमिदंं।

परिवार संस्था का पुनर्वास

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यदि देश में, समाज में समृद्धि, संपन्नता आती है, आर्थिक विकास और टेक्नॉलजी के प्रभाव से समाज के रहन-सहन के स्तर में बढ़ोत्तरी होती हैं और उसके फलस्वरूप में समाज में मर्यादाओं, परंपराओं तथा मूल्यों का स्खलन होता है, तो क्या समाज विकास न करें, हमेशा मानवीय मूल्यों की कीमत पर स्वयं को परंपराओं की सीमा में कैद रखें?

॥ राम सच्चिदानंद दिनेसा ॥

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हज प्रकाश रूप भगवाना। नहिं तहं पुनिविग्यान विहाना राम सच्चिदानंद प्रदान करने वाले सूर्य हैं, वहां मोहरूपी रात्रि (अंधकार) का कोई स्थान नहीं है। राम स्वभाव से प्रकाश रूप और सभी प्रकार से सांसारिक ऐश्वर्य और समृद्धि से युक्त हैं। राम नित्य ज्ञान स्वरूप है, जो अज्ञान रूपी अंधकार का सदैव नाश करते हैं।

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